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कोरोना को रोकने सबसे पहले डटकर खड़ी हैं नर्स* *मरीजों को ठीक करने के लिए पूरी ताकत झोंक रहीं रायगढ़ की नर्स* *नर्सिंग दुनिया का सबसे बड़ा स्वास्थ्य पेशा :डॉ. राघवेंद्र बोहिदार*

रायगढ़ से शशिकांत यादव

रायगढ़-/-बीते 12 साल से आदिवासी अंचल धरमजयगढ़ के खरगांव में ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक के रूप में काम करने वाली नर्स अनीमा तिर्की ने उस क्षेत्र में संस्थागत प्रसव को बढ़ाया जहां लोग घर से बाहर प्रसव कराने के लिए तैयार नहीं होते। ग्रामीणों के ही बीच की अनिमा की यह इच्छाशक्ति है जो उन्हें संस्थागत प्रसव और बच्चों को लगने वाले टीका के लिए मना लेती हैं और उनके क्षेत्र में किसी भी तबीयत खराब हो वह सबसे पहले अनीमा दीदी को ही याद करता है।

अनीमा इस कोविड संक्रमण काल में दोगूने उत्साह से काम कर रही हैं। लोगों का कोविड टेस्ट करना हो या फिर पॉजिटिव निकलने के बाद होम आइसोलेशन और उससे संबंधित निर्देशों को समझाना पर बखूबी कर रही हैं।

अनीमा कहती हैं: “ग्रामीणों से जुड़कर काम करने में ऐसा लगता है मानों मैं अपने घर में काम कर रही हूं। आदिवासी क्षेत्र होने के कारण दूरस्थ इलाकों में लोग रहते हैं और पहुंच की सबसे बड़ी कठिनाई होती है ऐसे में सही समय में इलाज उपलब्ध करना चुनौती भरा होता है। झोलाछाप डॉक्टरों से लोगों को बचाना यह भी समस्या रहती है, मेरे वश में जितना है मैं कर रही हूं और लोग समय के साथ जागरूक हो रहे हैं और साथ दे रहे हैं।“

हर साल 12 मई को दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया जाता है। नर्सें लोगों को स्वस्थ रहने में बड़ा योगदान देती हैं। यह दिन उनके योगदान को समर्पित होता है। साथ ही यह दिन दुनिया में नर्सिंग की संस्थापक फ्लोरेंस नाइटिंगेल को भी श्रद्धांजलि है। इस दिन के लिए हर साल थीम होती है इस बार की है, `नर्सेस : ए वाइस टू लीड’ यानी नेतृत्व करने के लिए एक आवाज है।

*जयकिशन सराफ : नर्सिंग के साथ मोटिवेशन भी*
मेट्रो अस्पताल के नर्सिंग सुपरिटेंडेंट जयकिशन सराफ 12 साल से इस पेशे में है। वह कोरोना संक्रमण काल में एक ऐसे अस्पताल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं जहां से कई सारे मरीज ठीक होकर लौटे हैं। जयकिशन जैसे लोगों को कोरोना ने एक नए तरह का अनुभव दिया है जहां क्रिटिकल मरीजों की तादात दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है, इन मरीजों को लगातार देखभाल की जरूरत होती है।

जयकिशन बताते हैं “ मरीजों की जान की बचाना हमारा उद्देश्य है, कोराना आम बीमारी व ऑपरेशन के जैसा नहीं है, इसके मरीजों मे अलग-अलग प्रकार के लक्षण और प्रभाव होते हैं हम हर बीतते दिन कुछ न कुछ नया देख रहे हैं हमारी महती जिम्मेदारी मरीज के साथ रहना और अच्छा महसूस कराना होता है। कोरोना से संक्रमित मरीज बहुज जल्दी हताश हो जा रहे हैं और मैं मर जाऊंगा की भावना उनके मन में प्रबल कर कई है, मरीजों के साथ नर्सिंग स्टाफ भी कई बार हताश हो जाता है तो इन सभी को प्रोत्साहित करना मेरी जिम्मेदारी है।“

*सिन्सी कुंजेमॉन : संक्रमण का फैलाव रोकने वाली ही दो बार संक्रमित*
स्क्रीनिंग एरिया में मरीजों की कतारें लगी होती हैं और वह हमारे यहां भर्ती होने के लिए गुहार लगाते हैं पर हम कुछ नहीं कर सकते क्योंकि हमारे जहां जितनी जगह है वह पहले से ही मरीजों से भरी है। मरीजों को इस तरह से लौटना, हमें झकझोर कर रख देता है। मन व्यथित हो जाता है लेकिन हमें तो और लोगों के लिए काम करना है| संक्रमण को रोकना जो है तो आंसू पोछते हैं काम पर लग जाते हैं, सेवा ही हमारा धर्म है। बीते डेढ़ साल में दो बार कोविड से संक्रमित हुई हूं और अभी वर्तमान में संक्रमित होकर होम आइसोलेशन में हूं जबकि हमारा काम स्टाफ संक्रमित होने से रोकने है फिर भी काम जारी है, यह कहना है 36 वर्षीय स्टाफ नर्स सिन्सी कुंजेमान का जो डिस्ट्रिक्ट कोविड हॉस्पिटल में इनफेक्शन कंट्रोल की जिम्मेदारी स्टाफ नर्स ज्योति सिंह के साथ संभाले हुए हैं। दोनों के हिस्से में बायो मेडिकल वेस्ट को सही तरह से ठिकाने लगाना, कोविड अस्पताल में साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखना है। पूरे जिले में स्टाफ को पीपीई किट को पहनना और उतारने के लिए ट्रेनिंग भी यही देती हैं।

ज्योति कहती हैं: “पीपीई किट पहनना और उतारना सबसे संवेदनशील है अगर यहां चूके तो संक्रमित होना तय है। हर दिन इसे 8 घंटे तक पहनना होता है और हर प्रकार की परिस्थिति में हमें तैयार रहना पड़ता है काम करने का कोई फिक्स टाइम नहीं है।“

सहायक शहरी कार्यक्रम प्रबंधक डॉ. राघवेंद्र बोहिदार बताते हैं नर्सिंग को पूरी दुनिया के सबसे बड़े स्वास्थ्य पेशे के रूप में माना जाता है। नर्स को फिजिकली ही नहीं मानसिक और सामाजिक स्तर पर भी रोगी की देखभाल करने के लिए अच्छी तरह से प्रशिक्षित, शिक्षित और अनुभवी होना चाहिए। जब पेशेवर चिकित्सक दूसरे रोगियों को देखने में व्यस्त होते है, तब रोगियों की चौबीस घंटे देखभाल करने के लिए नर्सें ही होती हैं।

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