जी हाँ… मैं हूँ रामानुज क्लब.. जीर्ण शीर्ण, टूटे दरवाजे, खंडहर होता भवन… अब इतिहास के पन्नों पर सिमटने को मजबूर..
जी हाँ… मैं हूँ रामानुज क्लब..
जीर्ण शीर्ण, टूटे दरवाजे, खंडहर होता भवन…
अब इतिहास के पन्नों पर सिमटने को मजबूर..
बैटमिंटन के खिलाड़ियों को हो रही परेशानी..
खिलाड़ी की जगह अब दिखते हैं मवेशी..
अनूप बड़ेरिया
जी हां.. मैं हूं रामानुज क्लब… कोरिया रियासत के राजा स्वर्गी रामानुज प्रताप सिंह के नाम से बना यह क्लब कभी कोरिया जिले के उच्चाधिकारियों की भीड़ से गुलजार हुआ करता था। जिला बनने के बाद इस रामानुज क्लब में बैडमिंटन खेलने के लिए कोर्ट बनाया गया था। जहां जिले के कलेक्टर व एसपी सहित अनेक बड़े अधिकारी बैडमिंटन खेला करते थे। इसी रामानुज क्लब में शादियों की पार्टियां जन्मदिन के उत्सव छोटे-मोटे शासकीय कार्यक्रम सही अनेक निजी और शासकीय कार्यक्रम हुआ करते थे।
समय बदलने के साथ विकास की गति में शहर की फिजां बदली.. मानस भवन बना.. इंडोर बैडमिंटन कोर्ट बना.. लेकिन जिस महान हस्ती के नाम पर यह क्लब बनाया गया.. उस भवन की किस्मत नहीं बदली..।
सरकारी उदासीनता की वजह से आज यह भवन अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। आसपास फैली बड़ी-बड़ी गाजर घास बता रही है, सालों से कोई बड़ा अधिकारी इस ओर झांकने तक नहीं आया । दरवाजे टूट चुके हैं, बिजली के संसाधन रिपेयरिंग होने की बाट जोह रहे हैं। अब खिलाड़ियों से ज्यादा यहां मवेशी नजर आते हैं, शौचालय था भी कि नहीं किसी को पता ही नहीं चलता है। बैडमिंटन खेलने जब खिलाड़ी पहुंचते हैं तो उन्हें पहले घंटों मवेशियों का गोबर साफ करना पड़ता है।
इन खिलाड़ियों को अभी भी उम्मीद है की जिले का कोई ऐसा रहनुमा आएगा, जिसकी नजर इस रामानुज क्लब पर पड़ेगी और एक बार फिर यह गुलजार हो जाएगा। जब यह गुलजार होगा तो वाकई जिस महान विभूति के नाम पर इस तरह का नामकरण किया गया है, उन्हें एक सच्ची श्रद्धांजलि होगा। अब लोगो को राजपरिवार की सदस्य व संवेदनशील शहर विधायक श्रीमती अम्बिका सिंहदेव से इस सम्बंध में उचित पहल की आशा है।