3 दिन से एनजीटी की जिले में समाजिक संगठनों की निगाह एमएसपी पर …..क्या एमएसपी भी जाएगी एनजीटी की टीम ……….जल जंगल जमीन सहित इंसानी जीवन हुवा दूभर …..अगर यहां जाए तो फ्लाई यूटिलाइजेशन की खुलेगी …..
रायगढ़,.
जिले में बढ़ते औद्योगीकरण के साथ प्रदूषण का प्रभाव भी तेजी से बढ़ा और तेजी से आबोहवा में जहर खोलना शुरू किया। इसे लेकर जिले में विभिन्न सामाजिक संगठनों जन मानस और अन्य स्तर पर लगातार आवाज उठती रही है। बीते दिवस तमनार क्षेत्र के ग्रामीणों की शिकायत एनजीटी की गठित एक टीम जिले में फ्लाई ऐश और उसके प्रभाव पर अध्य्यन कर रही है। तमनार घरघोड़ा क्षेत्र के औद्योगिक फ्लाई ऐश डंप और उसके प्रबन्धन पर जांच पड़ताल में जुटी है। अब देखना है की एनजीटी की टीम क्या 15 सितम्बर को होने वाली विवादित जन सुनवाई के विरोध पर भी नजर डालेगी। एमएसपी द्वारा मनुवाली और आसपास में अनियमित तरीके से डंप फ्लाई ऐश और इस क्षेत्र में फ्लाई ऐश से खेती किसानी पर प्रभाव की भी पड़ताल करेगी। एमएसपी का फ्लाई ऐश यूटिलाइजेशन की वास्तविकता सामने आ जायेगी।
दरअसल जिले में औद्योगिकीकरण के इस दौर में बढ़ते प्रदूषण और उसके दुष्प्रभाव का निरीक्षण करने आई एनजीटी की टीम बीते दो दिनों से शहर में है। उनके द्वारा जिले के औद्योगिक क्षेत्रों में लगातार दौरा भी किया जा रहा है।
बीते दिनों दिल्ली से आई एनजीटी की टीम घरघोड़ा ब्लॉक का निरक्षण करने आई। प्राप्त जानकारी के अनुसार टीम ने टीआरएन एनर्जी भेंगारी से निकलने वाले राखड को बिना बेतरतीब ढंग से बिना अनुमति राष्ट्रीय राजमार्ग और राज मार्ग सड़कों के किनारे डालने व किसानों खेतों में बहाकर उनकी फसल बर्बाद करना पाया। वही टीम ने यह भी पाया कि trn उद्योग निजी जमीनों के साथ शासकीय जमीनों पर भी जबरदस्ती फ्लाई ऐश (राखड) डाल रहा है। इस विषय में बीते दिनों उद्योग प्रभावित ग्रामीणों के द्वारा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में शिकायत भी दर्ज कराई गई थी। उक्त शिकायत के आधार पर एनजीटी की टीम यहां जांच करने आई है।
खबर है कि दूसरे दिन एनजीटी की टीम तमनार में भी गई,जहां टीम के साथ सामाजिक कार्यकर्ता और उद्योग ग्रामीण भी थे। ग्रामीणों के द्वारा स्थानीय उद्योगों के द्वारा क्षेत्र के खेत,खलिहानों और नदी नालों के अलावा तालाबो के आपसपस फैलाए जा रहे राखड़ को भी दिखाया। जिसकी वजह से नदी-तालाबों का पानी उपयोग करने लायक नही रहा है।
वही टीम के द्वारा घरघोड़ा में बायपास सड़क पर,कुरकुट नदी के घाट व निजी जमीनों के अलावा कटंगडीह भेंगारी, बैहामुडा, टेंडा में ग्रामीणों के खेतों में डाले गए जहरीले फ्लाई एस डस्ट का निरक्षण किया गया।
क्या कहते हैं समाजिक कार्यकर्ता-
एनजीटी टीम के निरीक्षण को लेकर लोगों ने पृथक-पृथक विचार व्यक्त किए है। समाजिक कार्यकर्ता और पर्यवारण विद राजेश त्रिपाठी ने एनजीटी टीम के जिला दौरे को लेकर सकारात्मक विचार व्यक्त करते हुए कहा गया कि टीम के द्वारा जैसे ही अपना भौतिक रिपोर्ट पेश की जाएगी स्थानीय उद्योगों पर लगाम कसना शुरू हो जाएगा। वही पर्यावरण मित्र के बजरंग अग्रवाल का कहना है कि एनजीटी की टीम जामगांव एमएसपी के फ्लाई से ग्रामीण किस कदर परेशान है उसकी जांच करने जाती है या नहीं यह तो पता नहीं, परन्तु जाना चाहिए मैंने भी इसकी शिकायत एनजीटी की टीम के मुखिया को पूरी दस्तावेज के साथ दिया है।
वही ग्रामीणों का कहना है उनके यहां पहले भी एनजीटी की टीम आ चुकी पर परन्तु जानलेवा ओद्योगिक प्रदूषण के हालात आज भी जस के तस बने हुए है। वैसे स्थानीय मीडिया कर्मियों से एनजीटी टीम की बनाई गई दूरी ग्रामीणों द्वारा जताई जा रही आशंका को कहीं न कहीं बल जरूर देती है। जिले के धर्मजयगढ़ तहसील से लेकर घरघोड़ा, रायगढ़, छाल, खरसिया, छाल, जामगांव पुसौर तहसील तक औद्योगिक राखड़ से फैलने वाले प्रदूषण की जद में बने हुए है। जिले के अधिकांश नदी-नालों और तालाबो के पानी मे जहरीला राख घुल चुका है।