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जूटमिल व मधुबन क्षेत्र के प्रमुख सट्टा खाईवालों पर कार्रवाई कब? ,कार्रवाई के अभाव व मिल रही छूट से बुलन्द हौसलो के साथ फैला रहे अपनी जड़ें

रायगढ़-/-शहर में सट्टे के मकड़जाल को खत्म करने की आधी अधूरी कवायद से सट्टा खाईवालो के हौसले बुलंद है।जिसका परिणाम शहर में बेख़ौफ चल रहे सट्टा पट्टी की खाईवाली के रूप में सामने है।हालांकि छोटे प्यादों पर कार्रवाई की कवायद कर इस अवैध बाजार और अंकुश लगाने का दिखावा तो जरूर किया जाता है। परंतु जब तलक इस तालाब के मगरमच्छो की धरपकड़ के बिना खत्म करना नामुमकिन है। जिस पर बहरहाल कोई ठोस पुलिसिया कार्रवाई नजर नही आ रही है।जो इसकी व्यापक जड़े फैलाने में सहयोगी साबित हो रही है।अलबत्ता देखना होगा कि इन्हें जड़ से उखाड़ने की कोई कवायद होगी या फिर छोटी मछलियों की धरपकड़ तक ही यह सिलसिला थम जाएगा।
जूटमिल के सट्टा किंग से कोसो दूर कानून
गौरतलब हो कि जूटमिल क्षेत्र में सट्टे का अवैध कारोबार बड़े लम्बे अरसे से संचालित है। जिसकी कुछ वर्षों पूर्व तक तो यहां के प्रमुख सट्टा खाईवाल की धरपकड़ जरूर की जाती थी। जिसका इतिहास निगरानीशुदा बदमाश के रुप मे शामिल है। परंतु आश्चर्य की अब कुछ वर्षो में ही न केवल अपने सट्टे के पैसों जी बदौलत इस सट्टा खाईवाल ने अपना राजनीतिक रुतबा बढ़ा लिया है। बल्कि सट्टे के अवैध कारोबार के संचालन करने के बावजूद भी इसे पुलिसिया कार्रवाई का कोई ख़ौफ़ ही नही रहा है।बड़े आश्चर्य की बात है कि एक निगरानीशुदा सट्टा खाईवाल बीते कई वर्षों से पुलिस की गिरफ्त सही बाहर है।
मधुबन में क्षेत्र में भी जोरो पर खाईवाली
जूटमिल के अलावा मधुबन पारा भी सट्टा खाईवाली का प्रमुख केंद्र है। जहां महजचन्द सालो में ही एक ऑटो चालक सट्टे का अवैध कारोबार की बदौलत अकूट धनकुबेर बन बैठा है। जिस पर कार्रवाई को लेकर कोतवाली पुलिस बहरहाल गम्भीरता नही दिखा रही है।जिसका परिणाम इस सट्टा खाईवाल के बढ़ते इस अवैध कारोबार के रूप में सामने है।बताना लाजमी होगा कि शहर में सट्टा पट्टी के अवैध संचालन में मधुबन पारा व जूटमिल क्षेत्र का नाम प्रमुख रूप से देखने व सुनने को मिल रहा है।एवम इनके सरगना पर पुलिस द्वारा सख्ती न दिखाया जाना इसकी जड़ो को और भी पुख्ता बना रहा है।

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