
केलो स्टील एवं पावर प्राइवेट लिमिटेड की जन सुनवाई अवैध ….इस वजह से होना चाहिए निरस्त … जंगल की आग बुझाने चिड़िया चोंच से एक एक बूंद पानी डालती है … चंद सामाजिक कार्यकर्ता औद्योगिक बाढ़ के खिलाफ … शेष बने मूक दर्शक
शमशाद अहमद/-
रायगढ़।
मेसर्स केलों स्टील एवं पावर प्राइवेट लिमिटेड वरपाली, सराईपाली स्टील प्लांट की स्थापना को लेकर कई खामियां सामने आ रही हैं। एक तो जिले में एक एक करके उद्योगों की बाढ़ आते जा रही है और इसकी वजह से जिले में औद्योगिक प्रदूषण एक और नींव रखी जा रही है। एक कहावत है आपने सुना होगा कि जंगल में आग लगी थी कोई बुझाने वाला नहीं था वहीं एक चिड़िया कुछ दूरी एक तालाब से अपने चोंच में एक एक बूंद पानी लाती और आग वाली जगह में डालती जाती, कहने का तात्पर्य यह है की जंगल की आग को एक चिड़िया के बूंद बूंद पानी से नही बुझने वाला था लेकिन चिड़िया ने एक प्रयास जारी रखा, बाकि लोग खामोशी से जंगल में बढ़ाकती आग को देखते रहते हैं, ऐसा ही कुछ रायगढ़ जिले में उद्योगों की बाढ़ और उसके खामियाजे को लेकर चंद सामाजिक कार्यकर्ता और स्थानीय लोग विरोध में है बाकियों में खामोशी छाई हुई है। इतिहास के पन्नो में उस चिड़िया की भांति ये चंद लोग याद रखे जाएंगे, और आने वाली पीढ़ी हमसे सवाल करेगी।
दरअसल मेसर्स केलों स्टील एवं पावर प्राइवेट लिमिटेड वरपाली, सराईपाली की विस्तार क्षेत्र में पहले से लगभग छोटे-बड़े 73 स्पंज आयरन और पावर प्लांट स्थापित है जिसके कारण व्यापक पैमाने पर जल प्रदूषण वायु प्रदूषण एवं ध्वनि प्रदूषण के कारण जनजीवन पर व्यापक पैमाने पर प्रभाव पड़ रहा है इसलिए इस जनसुनवाई को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाना चाहिए|
दूसरा एक तथ्य यह है कि केंद्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय की अधिसूचना 14 सितंबर 2006 के तहत किसी भी उद्योग के आवेदन जमा करने के 45 दिवस के अंदर जनसुनवाई का आयोजन राज्य सरकार द्वारा करवाया जाना चाहिए अगर किन्हीं परिस्थितियों बस राज्य सरकार 45 दिवस के अंदर जनसुनवाई का आयोजन नहीं कर पाती उन परिस्थितियों में केंद्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय एक समिति का गठन करेगा जो संबंधित कंपनी की जनसुनवाई का आयोजन करेगा इस कंपनी के द्वारा जो आवेदन जमा किया गया है वह करीब एक वर्ष पूर्व है जो की 365 दिवस से ज्यादा आवेदन जमा करने का समय हो चुका है इस कारण आज की जनसुनवाई केंद्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय की अधिसूचना 14 सितंबर 2006 के नियमों का उल्लंघन है इसलिए इस जनसुनवाई को तत्काल निरस्त किया जाना चाहिए |
सामाजिक कार्यकर्ता राजेश त्रिपाठी कहते हैं कि मेसर्स केलों स्टील एवं पावर प्राइवेट लिमिटेड वरपाली, सराईपाली की स्थापना होने जा रहा है इस ग्राम पंचायत में पहले से सिलिकोसिस जैसे गंभीर बीमारियों से कई पीड़ित प्रभावित हैं जिनके उपचार हेतु आज पर्यंत तक किसी भी प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं की गई उक्त सिलिकोसिस प्रभावितों में से अब तक की 14 लोगों की मौत हो चुकी है जिसकी जानकारी मेसर्स केलो इस्पात एंड पावर प्राइवेट लिमिटेड ग्राम वरपाली पोस्ट सराईपाली द्वारा अपने ई आई ए में नहीं दी गई है। जिससे यह साबित होता है की कंपनी द्वारा जो ई आई ए बनाया गया है वह जमीनी स्तर पर अध्ययन करने वाली कंपनी द्वारा नहीं बनाया गया है एवं व्यापक पैमाने पर झूठी जानकारी आम जनमानस को उपलब्ध कराई गई है इसलिए उक्त क्षेत्र में जमीनी स्तर पर पर्यावरणीय अध्ययन करने उपरांत ही उपरोक्त पर्यावरणीय जनसुनवाई करवाने का निर्णय लिया जाना चाहिए |
राजेश त्रिपाठी ने कहा कि मेसर्स केलों एवं पावर प्राइवेट लिमिटेड वरपाली, सराईपाली की विस्तार परियोजना से व्यापक पैमाने पर जल प्रदूषण वायु प्रदूषण एवं ध्वनि प्रदूषण का विस्तार होगा जिससे यहां के जनजीवन जल जंगल जमीन जीव और जानवरों पर व्यापक प्रमाण पैमाने पर प्रभाव पड़ेगा जिससे उक्त उद्योग का विस्तार की अनुमति देना पर्यावरणीय मापदंडों का उल्लंघन होगा इसलिए उक्त परियोजना को विस्तार देने की अनुमति प्रदान ना किया जाए |
सामाजिक कार्यकर्ता राजेश त्रिपाठी ने यह भी कहा कि केलो इस्पात एंड पावर की होने वाली जनसुनवाई कि जो ई आई ए है इसमें जो भी जानकारियां लगाई गई हैं वह अन्य होने वाली जनसुनवाई यों एवं कंपनियों की ईआईए की रिपोर्टर लगाई गई है उपरोक्त जानकारियां करीब 5 से 6 साल पुरानी है इसलिए केंद्रीय जलवायु परिवर्तन विभाग नई दिल्ली के आदेश अनुसार किसी भी कंपनी की जनसुनवाई में 3 वर्ष से पुराने डेटा का उपयोग नहीं किया जा सकता परंतु इस ई आई ए में जो भी जानकारी दी गई है वह 2011 के जनगणना के अनुसार है इसलिए यह जनसुनवाई अवैध है इसलिए जनसुनवाई का हम विरोध करते हैं |
रायगढ़ में औद्योगिक विस्तार के खिलाफ स्थानीय लोग विरोध कर रहे हैं, क्योंकि उनका मानना है कि यह प्रदूषण को और बढ़ाएगा।सरकारी तंत्र पर लापरवाही का आरोप है, और प्रदूषण नियंत्रण के लिए कारगर उपायों की कमी की शिकायत की जाती है।पर्यावरण नियमों की अनदेखी करने वाले उद्योगों में वायु प्रदूषण रोधी उपायों की कमी है।
रायगढ़ जिले में औद्योगिक प्रदूषण के कारण होने वाली बीमारियों और प्रभावित लोगों की संख्या के बारे में सटीक आंकड़ों का अभाव है, क्योंकि उपलब्ध जानकारी में इस विषय पर कोई व्यापक सर्वेक्षण या आधिकारिक डेटा स्पष्ट रूप से उल्लेखित नहीं है। हालांकि, कुछ स्रोतों और सामान्य अध्ययनों के आधार पर बीमारियां और उनके प्रभाव का अनुमान लगाया जा सकता है।
औद्योगिक रसायनों और प्रदूषित पानी के संपर्क में आने से डर्मेटाइटिस, एलर्जी, और अन्य त्वचा रोग हो सकते हैं। पूंजीपथरा और तमनार जैसे क्षेत्रों में स्थानीय लोग इन समस्याओं की शिकायत करते हैं। दीर्घकालिक प्रदूषण, विशेष रूप से वायु और जल में मौजूद कार्सिनोजेनिक रसायनों कार्बनिक यौगिक के कारण फेफड़े, त्वचा, और अन्य प्रकार के कैंसर का जोखिम बढ़ता है। रायगढ़ में पिछले कुछ वर्षों में कैंसर के मामलों में वृद्धि की सूचना है।
पूंजीपथरा, तमनार, गेरवानी, और सरायपाली जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में रहने वाले लोग नियमित रूप से स्वास्थ्य समस्याओं की शिकायत करते हैं। इन क्षेत्रों में हजारों लोग प्रभावित हो सकते हैं, स्थानीय लोग प्रदूषण के कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के खिलाफ विरोध कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन और उद्योगों का रवैया उदासीन रहा है।
राजेश त्रिपाठी कहते हैं कि रायगढ़ में प्रदूषण से प्रभावित लोगों की संख्या और बीमारियों का आकलन करने के लिए एक व्यापक स्वास्थ्य सर्वेक्षण की आवश्यकता है। औद्योगिक और खनन परियोजनाओं के लिए पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए पर्यावरण प्रभाव आकलन के जगह सामाजिक, आजीविका और जैव विविधता पर प्रभाव आकलन करने के बाद पर्यावरणीय स्वीकृति के जगह सामाजिक स्वीकृति के लिए खुली जन सुनवाई करने की जरूरत है l