
देश की नवरत्न के खिलाफ प्रभावितों का चक्का जाम आंदोलन …… क्या उद्योग माइंस प्रभावितों को ऐसे ही मिलता है न्याय, देर से मिला न्याय, न्याय नहीं कहलाता ….. पढ़िए पूरी खबर देश की नवरत्न कंपनियों में शुमार एनटीपीसी तिलाइपाली प्रोजेक्ट के प्रभावितों को क्यों होना पड़ा मजबूर
रायगढ़।
देश की नवरत्न कम्पनियों में शुमार एनटीपीसी कम्पनी भी दूसरे निजी कंपनियों की तरह भू प्रभावितों के साथ छलावा करने पर उतारू है। उतारू क्या है बल्कि छल करने से नहीं चूक रही है। जब चक्का जाम जैसे आंदोलन करने को मजबूर हो जाएं।
अगर हम बात करें रायगढ़ स्थित एनटीपीसी लारा और एनटीपीसी तिलाइपाली प्रोजेक्ट में लगातार भू विस्थापित अपने हक और अधिकारों की मांग को लेकर अनवरत आंदोलन करते आ रहे हैं। बड़ी मुश्किल से एनटीपीसी लारा का मामला ठंडा पड़ा है वहीं अब एनटीपीसी के ही तिलाइपाली माइंस के भूविष्थापित परिवार अब रोजगार की मांग को लेकर आन्दोलन रत हैं। लारा और तिलाइपाली दोनो।प्रोजेक्ट को लेकर भू प्रभावितों से बड़े बड़े वायदे किये गए थे लेकिन अब जब प्रभावितों को रोजगार व अन्य सुविधाएं देने की बारी आई तो अपनी पॉलिसी का राग अलापने लगे।
मौजूदा दौर में क्या निजी क्या सरकारी किसी भी प्रोजेक्ट में प्रभावितों को हक़ीक़क्त की धरातल पर न्याय नहीं मिल पा रहा है अपनी मांगों को लेकर जब तक कि धरना प्रदर्शन करने के बाद भी न्याय कोषों दूर नजर आती है। ऐसा ही नजारा आज एनटीपीसी तिलाइपाली प्रोजेक्ट को लेकर देखा जा रहा है। प्रभावितों को अपनी मांगों को लेकर चक्का जाम तक करने को मजबूर हो जाना पड़ जा रहा है। चक्का जाम बोल देना बड़ा आसान सा शब्द प्रतीत होता है किंतु ऐसा करने से कितना नुकसान होता है इसका अंदाजा लगाने पर पता चलता है जरा सोचें की प्रभावित परिवार जब लोक लुभावन सपने से रु ब रु होता है तब उसके पैर तले जमीन खिसक गई होती है फिर जब कुछ नहीं सूझता तब चक्का जाम जैसे आंदोलन को बाध्य होना पड़ता है।
एनटीपीसी के लारा प्रोजेक्ट की बात करें या तिलाइपाली प्रोजेक्ट की बात करें भू प्रभावितों को न्याय नहीं मिल पा रहा है और जब न जाने कितने जद्दोजहद के बाद हक मिलता है तो उसे न्याय कहना उचित प्रतीत नहीं होता है। और कहते भी हैं कि देर से मिला हुआ न्याय, न्याय नहीं कहलाता है। प्रोजेक्ट के तहत जो वायदे भू प्रभावितों से किये गए थे उन्हें पूरा नहीं किया गया।
एनटीपीसी तिलाइपाली प्रोजेक्ट प्रभावित लोग सोमवार से रायकेरा मार्ग में चक्काजाम कर आंदोलन को बाध्य हैं। एनटीपीसी ने प्रभावित लोगों के साथ छलावा किया है। आंदोलनकारियों की मांग रखी गई है कि वर्ष 2018-19 के सर्वे में जिन्हें 18 वर्ष हो गया उन्हें भी पुनर्वास राशि प्रदान किया जाए। प्रत्येक प्रभावित परिवार के एक सदस्य को योग्यता अनुसार नोकरी दिया जावे। प्रभावित परिवार के जो सदस्य अस्थायी नौकरी में हैं उन्हें एनटीपीसी में स्थायी नौकरी दिया जाए। प्रभावित ग्रामों में काबिज आबादी भूमि, जोगी पट्टाधारी जमीन का मुआवजा प्रदान किया जावे। प्रभावितों ने बताया कि जब तक इन मांगों को एनटीपीसी नहीं मान लेता तब तक यह आंदोलन चलता रहेगा।