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भारत – पाक युद्ध मे शहीद फौजी की जमीन पर भू माफियाओं का कब्जा …..पट्टे का दिया आवेदन सैनिक परिवार अपने हक की जमीन बचाने मे लाचार……..राजस्व अमला भी जमीन को सैनिक परिवार का ही बता रहा है ….परंतु 

 

रायगढ। शासन की ओर से काबिज भूमि का 152 फीसद की दर से पट्टे बनाने की सहूलियत का कुछ भू माफिया भी अनुचित लाभ लेने से पीछे नहीं हैं। ऐसा ही एक मामला घरघोड़ा नगर से सामने आया है जहां एक शहीद और सैनिक परिवार के मालिकाना हक की भूमि पारिवारिक विवाद के पेंच मे उलझा देख कुछ आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों ने अपना कब्जा दर्शाकर पट्टे के लिए राजस्व न्यायालय मे आवेदन किया है। इस संबंध मे प्रकाशित इश्तिहार के माध्यम से सूचना मिलने के बाद अब सेवानिवृत्त सैनिक व शहीद का परिवार अपनी जमीन बचाने प्रशासनिक दफ्तरों के चक्कर काट रहा है। यद्यपि राजस्व अमला भी जमीन को सैनिक परिवार का ही बता रहा है।

इस संबंध मे पीड़ित राजेंद्र सिंह चौधरी ने बताया कि उसके पिता स्व. गोधूराम चौधरी व भाई भगवान सिंह चौधरी फौजी थे और 1971 मे भारत – पाकिस्तान की जंग मे शहीद हो गये थे। 1951 मे सैनिक गोधूराम का घरघोडा मे खसरा नंबर 445/1 ,445/2 , तथा 446/1 शीट पर आहाता निर्माण था जिसे उनकी शहादत के बाद शासन ने काबिज भूमि का पट्टा गोधूराम की बेवा के नाम बनाकर उसपर आवास निर्माण की अनुमति दे दी गई । राजेंद्र चौधरी ने बताया कि उक्त 15 डिसमिल जमीन का पट्टा बनाते समय रिकार्ड मे लिपिकीय त्रुटि से 05 डिसमिल दर्ज हो गई। जिस त्रुटि को सुधारने के लिए शहीद का परिवार सन 1980 से राजस्व विभाग मे आवेदन – निवेदन करता आ रहा है लेकिन आज तक त्रुटि सुधार नहीं हो सका। वहीं प्रार्थी राजेंद्र चौधरी ने यह भी बताया कि शासन से मिली भूमि का उसके सभी भाई – बहनों के नाम पर मुख्यमंत्री आबादी पट्टा बन चुका है लेकिन विवाद की वजह से वितरित नहीं किया जा रहा। पीड़ित ने बताया कि हरियाणा से आकर बसे उसके भाई महेंद्र द्वारा कुछ आपराधिक तत्वों के साथ मिलकर उसकी जमीन पर कब्जा करने की नीयत से राजस्व विभाग मे भ्रामक जानकारी देकर अपने नाम दर्ज करा लिया गया व अब भूमि के पट्टे के लिए आवेदन लगाया गया है। राजेंद्र चौधरी ने बताया कि बरघाट निवासी सचिन गुप्ता जो कि महेंद्र चौधरी का पुराना साथी है और आपराधिक पृष्ठभूमि का बताया जाता है के माध्यम से घरघोड़ा तहसील कार्यालय मे 152 फीसद की दर से पट्टे के लिए आवेदन किया गया है। राजेंद्र ने बताया कि उसे अखबार मे प्रकाशित इश्तिहार से मालूम हुआ कि उसकी जमीन पर कोई और मालिकाना हक लेने का षडयंत्र रच चुका है। जिसके बाद पीडित ने तहसीलदार के समक्ष पंहुच कर अपने रिकार्ड दिखाते हुए पट्टे की कार्रवाई मे आपत्ति दर्ज कराई। पीडित पक्ष के मुताबिक उसका अपना भाई महेंद्र भी आपराधिक पृष्ठभूमि से जुडा है और उसके विरूद्ध जिलाबदर की कार्रवाई भी हो चुकी है लेकिन फिर भी उसकी गिद्ध नजर अपने ही भाई बहन के सम्पत्ति पर है। वहीं इस पूरे मामले मे पीड़ित पक्ष ने हल्का पटवारी की भूमिका को भी संदेहास्पद बताते हुए कहा कि पटवारी द्वारा भूमि आबंटन के संबंध मे नियम से हटकर कब्जेदार का बयान और पंचनामा बनाये बगैर सीधे महेंद्र के पक्ष मे प्रतिवेदन तैयार कर दिया गया। पूरे मामले मे राजेंद्र चौधरी ने एसडीएम व तहसीलदार को अवगत कराकर सैनिक परिवार की जमीन को गलत तरीके से हथियाने के साक्ष्य के साथ शिकायत करते हुए पटवारी की भूमिका की जांच की मांग की है तथा अपनी जमीन का बन चुका पट्टा शीघ्र आबंटित करने का निवेदन किया है। वहीं हल्का पटवारी का कहना है कि तहसीलदार के आदेश पर उनके द्वारा जमीन का मौका मुआयना व माप करने की कार्रवाई प्रक्रियाधीन थी किंतु रिपोर्ट तैयार होने से पहले पार्थी पक्ष ने तहसील कार्यालय मे आपत्ति दर्ज करा दी। जिसके बाद तहसीलदार ने भी सीमांकन व जांच से पटवारी को रोक दिया। पटवारी ने यह भी बताया कि राजेंद्र चौधरी का 5 डिसमिल का पट्टा पहले बन चुका है। तहसीलदार न्यायालय मे 29 अगस्त को इस प्रकरण की अगली सुनवाई है।

वर्जन…
नहीं बनाया प्रतिवेदन…

तहसीलदार के आदेश पर मेरे द्वारा विवादित जमीन का मौका जांच कर प्रतिवेदन बनाने की कार्रवाई के पहले ही राजेंद्र चौधरी ने तहसील कार्यालय मे अपनी आपत्ति लगा दी। जिसके बाद तहसीलदार ने प्रतिवेदन बनाने का आदेश शिथिल कर दिया। राजेंद्र चौधरी की काबिज भूमि पर 5 डिसमिल का पट्टा पहले से बना हुआ है। यह पारिवारिक विवाद है।

शंकर सिदार
हल्का पटवारी , घरघोडा

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