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यह सड़क व्हीआईपी रोड है …. जहां से बालू कोयला आयरन ओर व उद्योगों के रॉ मटेरियल से लदे भारी वाहन बेरहमी के साथ ….कभी निर्दोष आम नागरिकों को तो कभी मवेशियों को कुचलते …सरकारी मुआवजे का मरहम लगा कर … लोक निर्माण विभाग अब तो जाग जाओ …

 

रायगढ़।
जी हाँ . . रायगढ़ से नंदेली  (विधायक एवं पूर्वमंत्री का गांव ) तथा “बायंग” (वर्तमान रायगढ़ विधायक एवं प्रदेश के वित्त मंत्री महोदय का गांव ) पहूंच मार्ग, जिला पंचायत के अध्यक्ष निराकार पटेल के ग्राम धनागर का वह मुख्य मार्ग जहाँ से बालू . कोयला . आयरन ओर और उद्योगों के लिए रा मटेरियल से भरे हुए भारी वाहन सड़कों को रौंदते हुए पार होते है जो बेरहमी से कभी – कभी निर्दोष ग्रामीणों . स्कूली बच्चों और आम नागरिकों को कुचल भी देते है । थोड़े समय के आक्रोश की अभिव्यक्ति . रोड जाम . बिना मुआवजा लाश नहीं उठाने देने का आगाज . विखरे हुए लोगों का अनायास हुजुम . फिर प्रशासनिक अधिकारियों का प्रारंभिक (जिसे अंतिम कह सकते है) सहायता के रूप में कुछ रुपये के रूप में सरकारी .सहायता का मरहम . दाह संस्कार का खर्चा देकर रास्ता खुलवाना और फिर चल पड़ती है दिनचर्या यथावत् . जैसे थे . ज्यो का त्यो …न कोई दर्द न पीड़ा न व्याकुलता ; जिसे पॉस नामक एक विद्रोही कवि ने लिखा था – “बहुत खतरनाक है तुम्हारा खामोश हो जाना ।

आजादी का अमृत महोत्सव मनाकर हर्ष व्यक्त करते है, पंच प्रण लेकर देश की प्रतिष्ठा बढ़ाने का संकल्प लेते है. एक पेड़ माँ के नाम फोटो खिचवाकर . सोशल मिडिया में डालते है . . और भी न जाने कितने बहाने . कितने कारण . स्वयं की संतुष्टि के लिए खोज निकालते है ! शायद भूल जाते है कि यह जो सड़क है मेरे टेक्स के अनुदान से बनता है, दरकते हुए स्कूल भवन की बिल्डिंग मेरी पाकेट से ली गई शुल्क के अंश से निर्मित होता है, वह पूल जो उद्घाटन से पहले भरभराकर गिर गया मेरे हिस्से से छिनी गई टेक्स राशि के भाग से ही बना हुआ है !
हे भगवान हम ईमानदार बनने की दिशा में फिर किसी मसीहा का इंतेजार ही करते रहेंगे या अपने कुनबा में आओ तो साफ सुथरा दूसरे के साथ रहो तो सफाई का आवश्यकता .. ! यह भाव कब तक सुधरेगा जो बेइमान और राष्ट्रद्रोही है तो वह कहीं रहे वही होगा जो है .. जगह बदलने पर निर्मल हो जाते है यह क्या पैंतरा है . समझ नहीं आता . . . !


क्या कभी हम स्वयं के लिए मेहनत से कमाई हुई पगार और वेतन तथा पारिश्रमिक के बदले राष्ट्र की ईमानदार सेवा का संकल्प ले पायेंगे . . यह सोचते … सोचते…मुझे चिंता .होने लगती है . हम कब तक सोचते रहेंगे कि हमें राष्ट्र भक्त तो चाहिए मगर भगत सिंह और आजाद मेरे पड़ोस के घर मे होना चाहिए . . .
मुझे भी फिक्र बहुत है देश के लिए, बस पेट भर गया तो नींद आ गई ..

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