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शहर के जाने माने स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ यशवंत शिंदे का राजनीति में कदम ….. जानिए उनके बारे बाल्यकाल से लेकर बतौर जिला चिकित्सालय में सिविल सर्जन सह अस्पताल अधीक्षक रहते हुए किया उल्लेखनीय कार्य …. राजनीत में आकर जनता की सेवा करना लक्ष्य

 

रायगढ़।

नगर पालिक निगम के चुनावी समीकरण लगातार पेचीदा होता चला जा रहा है। प्रत्याशियों की लम्बी फेहरिस्त है। दावेदारों में जिला चिकित्सालय के पूर्व सिविल सर्जन जिले के वरिष्ठ स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ यशवंत कुमार शिंदे भी हैं। रायगढ़ की राजनीत में अक्सर नए प्रयोग सफल भी रहे हैं। डा वाई के शिंदे की दावेदारी को लेकर शहर में चर्चा का विषय तो है साथ यह भी कि स्त्री रोग विशेषज्ञ के रूप में और एक सिविल सर्जन के तौर पर शहरवासी उनसे भली भांति परिचित हैं।
आइए जानते है उनके अब तक के जीवन की कुछ प्रमुख उल्लेखनीय कार्यों का सफर उनके प्रारंभिक शिक्षा से लेकर चिकित्सीय पेशे के दौरान का जीवन सफर कैसा रहा।
शहर के ही बाजीराव पारा में जन्में प्रारंभिक शिक्षा रायगढ़ के नटवर स्कूल और उच्च शिक्षा डिग्री कॉलेज से बीएससी प्रथम वर्ष के बाद एमबीबीएस में चयन होने के बाद जबलपुर मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस किया। बाल्यकाल में टाउन हॉल मैदान में नियमित आयोजित होने वाली आरएसएस की शाखा लगभग 5 सालों तक शामिल होते रहे। जबलपुर से एमबीबीएस की पढ़ाई के दौरान इमारजेसी के वक्त जनता दल से जुड़ कर सक्रिय कार्य किया।
1983 में एमबीबीएस पूरा करने के बाद ग्रामीण अंचल में सेवा देने का संकल्प को पूरा करने के लिए तत्कालीन देवरी से विधायक और मध्यप्रदेश सरकार के स्वास्थ्य मंत्री डॉ परसराम साहू जनता दल के साथ भोपाल जाकर बालाघाट के अस्पताल विहीन पहुंच विहीन क्षेत्र में सिविल डिस्पेंसरी में पदस्थापना करवाकर ग्राम में ही निवास करते हुए चिकित्सा सुविधा देना आरंभ किया। यह गांव 3 ओर से नदियों से घिरा हुआ लगभग 46 गांव में सायकल से भ्रमण 10 साल से अधिक समय तक अपनी सेवाएं दीं।
इसके बाद 1994 में अपने गृह जिले में बतौर डीजीओ स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ के तौर पर रायगढ़ के आदिवासी अंचल क्षेत्र घरघोड़ा से शुरुवात करते हुए इस आदिवासी अंचल में मातृ सुरक्षा तथा सुरक्षित प्रसव के लिए बेहतर सेवाएं प्रदान देने लगे। इस समय ये पूरा क्षेत्र जशपुर तक मलेरिया के प्रकोप से ग्रसित था आदिवासी अंचल में अंधविश्वास एवं अशिक्षा की वजह से झाड़ फूंक पर विश्वास की वजह से मलेरिया की वजह से मौतों का आंकड़ा बहुत ज्यादा था। तब खंड चिकित्सा अधिकारी का दायित्व संभालते हुए मलेरिया की वजह से होने वाली घातक मौत पर रोकथाम हेतु वैज्ञानिक पद्धति अपना कर मलेरिया के प्रभाव को कम करने जिला प्रशासन को विश्वास में लेकर घरघोड़ा में यह प्रयोग आरंभ किया। एक वर्ष में मलेरिया की वजह से होने वाली मौतों के आंकड़े में काफी कमी आई। इससे प्रभावित होकर जिला प्रशासन इस प्रयोग को पूरे जिले में इस दवा के प्रयोग व विधि को सुनिश्चित किया गया, इसके परिणाम स्वरूप रायगढ़ जशपुर जिले में स्पष्ट तौर पर परिलक्षित हुआ।

साल 2005 से 2010 में जिला टीकाकरण अधिकारी के पद का निर्वाहन करते हुए शिशु एवम मातृ टीकाकरण अभियान में रायगढ़ जिला प्रदेश में अव्वल रहा। इस उपलब्धि पर उन्हें उत्कृष्ट सेवाएं प्रदान करने पर पुरुष्कृत किया गया। खास बात ये है कि 2007 में जब जिला चिकित्सालय रायगढ़ में बतौर स्त्री रोग विशेषज्ञ के तौर पर पदभार ग्रहण किया तब उस समय 200 से 225 प्रसव ही प्रतिमाह हुआ करता था। जब उन्होंने यहां अपनी सेवाएं देना आरंभ किया तब प्रसव सेवा में उल्लेखनीय वृद्धि हुई यह संख्या बढ़कर 400 से 450 तक पहुंच गया।
इनकी दूसरी खास बात ये है कि जब साल 2012 में बतौर सिविल सर्जन सह अस्पताल अधीक्षक का पदभार संभाला तब मेडिकल बोर्ड में रुपयों के लेनदेन की शिकायत पर पूर्ण विराम लगाकर सरल और समय सीमा निश्चित किया गया। यह भी एक उल्लेखनीय कार्य रहा। महिलाओं के स्वास्थ तथा सुरक्षित प्रसव को लेकर जिले की सभी स्टाफ नर्स तथा एएनएम को सुरक्षित प्रसव कराने वृहद स्तर पर प्रशिक्षित किया।

इनके अलावा उन्होंने जब साल 2013 में स्व लखीराम अग्रवाल स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय का अतिरिक्त प्रभार दिया गया तब मेडिकल कॉलेज को सीमित संसाधनों के बीच मेडिकल काउंसिल से स्वीकृति दिलाने में अपनी महती भूमिका निभाई। इतना ही नहीं साल 2015 में जब केंद्र सरकार द्वारा अस्पतालों की गुणवत्ता की जांच एवं निरीक्षण तथा प्रोत्साहन देने हेतु प्रारंभ किए गए कायाकल्प कार्यक्रम में पूरे प्रदेश में मेडिकल कालेज श्रेणी में केवल मेडिकल कॉलेज अस्पताल रायगढ़ ने पहले क्वालीफाई करते हुए 85.20 प्रतिशत अंकों के साथ चयनित हुआ। जो पूरे प्रदेश में अन्य मेडिकल कॉलेज क्वालीफाई 50 प्रतिशत नहीं हुआ था।
जिला अस्पताल को मेडिकल कॉलेज से मुक्त कराने में भी महती भूमिका निभाई, जब शासन के बारंबार निर्देशों के बावजूद मेडिकल कॉलेज प्रशासन द्वारा अपना नया भवन बन जाने के बाद भी जिला चिकित्सालय भवन और परिसर को खाली नहीं करने तथा भवन को तोड़ने की अनुशंसा किए जाने के कारण 2021 में प्रदेश शासन के स्वास्थ्य विभाग के निर्देशानुसार सिविल सर्जन के दायित्व का निर्वाहन करते हुए मेडिकल कॉलेज प्रशासन से जिला चिकित्सालय भवन परिसर को मुक्त कराकर अपने सेवा निवृत्ति के पूर्व जिला चिकित्सालय को पुनर्जीवित किया।
डॉ यशवंत कुमार शिंदे चिकित्सा क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया हमेशा जरूरतमंद, असहाय गरीबों तथा आदिवासी क्षेत्रों में कार्य किया। बीते 2023 से अघोराचार्य बाबा कीनाराम अघोर शोध एवं सेवा संस्थान वाराणसी के तत्वाधान में विभिन्न सेवा कार्य करते चले आ रहे हैं।

वर्तमान में डॉ यशवंत शिंदे महापौर प्रत्याशी के तौर पर खूब सुर्खियां बटोर रहे हैं। ये एक ऐसे शख्स हैं जिन्होंने जिला अस्पताल में अपनी सेवा देने के दौरान अपने उल्लेखनीय काम की वजह से हर किसी के दिलो दिमाग में न सिर्फ एक बेहतरीन चिकित्सक के रूप में अपनी पहचान बनाई बल्कि एक उदारवादी इंसान के रूप में भी अपनी छाप छोड़ने में कामयाब हुए।
अब वे राजनीत में आकर जनता की सेवा करने की मंशा से नगर निगम रायगढ़ के महापौर के लिए दावेदारी किया है।

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