
3 विश्वकप खेलने वाली भारतीय टीम की कप्तान रह चुकी…कोरिया की सुमित्रा की सरकार नही ले रही सुध…मप्र के एक निजी स्कूल में नौकरी करने को मजबूर… इनलाइन स्केटिंग रोलर हॉकी में इस इंटरनेशनल खिलाड़ी ने कई बार किया है देश का नाम रोशन…
अनूप बड़ेरिया
कोरिया जिला मुख्यालय बैकुंठपुर के निकट ग्राम भांडी में रहने वाली इंटरनेशनल खिलाड़ी तथा इनलाइन रोलर स्केटिंग हॉकी में तीन विश्व कप में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली तथा भारत की कप्तान रह चुकी सुमित्रा बाई आज सरकारी उदासीनता की वजह से गुमनामी के अंधेरे में खो गई है। छत्तीसगढ़ शासन ने ना तो पहले उसकी सुध ली जब भाजपा की सरकार की और ना अब कोई सुध ले रहा जब कांग्रेस की छत्तीसगढ़िया सरकार है।
सैकड़ों की तादात में उसके नेशनल इंटरनेशनल मैडल, प्रमाण व ट्राफियां घर के कोने में धूल खा रहे हैं। जाहिर सी बात है कि इन मॉडलों व ट्राफियों से दो वक्त की रोटी तो नहीं आ सकती, लेकिन यदि इस अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी की सरकार सुध ले ले और खेल कोटे से उसे नौकरी दे दे तो उसका जीवन यापन अच्छी प्रकार हो सकता है।

छत्तीसगढ़ सरकार की उदासीनता की वजह से सुमित्रा आज मध्य प्रदेश के बुधनी के एक निजी स्कूल में नौकरी कर बच्चों को प्रशिक्षित करने को मजबूर हैं।

भांडी की रहने वाली सुमित्रा बाई की प्रतिभा को देखते हुए भांडी स्थित सच्चा डेरा सौदा आश्रम के बाबा राम रहीम गुरमीत सिंह ने उसे पढ़ाई के लिए हरियाणा के सिरसा में भर्ती करा दिया। जहां उसने स्कूल से लेकर कॉलेज तक की पढ़ाई अर्जित की। इसके बाद इनलाइन रोलर स्केटिंग हॉकी में उसका चयन डिस्ट्रिक, स्टेट व नेशनल के लिए हो गया। सुमित्रा ने 9 बार नेशनल चैंपियनशिप में भाग लेकर हरियाणा का प्रतिनिधित्व किया। इतना ही नहीं वह एथलेटिक्स में भी वह 20 बार राज्य का प्रतिनिधित्व कर चुकी है।

सुमित्रा भाई तीन बार एशियन कप, तीन बार वर्ल्ड कप में भारत का प्रतिनिधित्व करने के अलावा भारतीय टीम की कप्तान भी रह चुकी हैं। यूएसए, फ्रांस, इटली व चार चाइना भी जाकर सुमित्रा खेल चुकी हैं।

पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में खेल मंत्री रहे भैयालाल राजवाड़े से जब उन्होंने मुलाकात की तो पहले उन्होंने उसे छत्तीसगढ़ में खेल कोटे से नौकरी दिलाने का आश्वासन दिया। लेकिन जब खेल मंत्रालय में बात की गई, वहां से जवाब आया चूंकि सुमित्रा ने हरियाणा स्टेट से खेला है इसलिए हरियाणा सरकार ही उसे नौकरी दे सकती है।

सुमित्रा ने कहा कि बैकुण्ठपुर में रोलर स्केटिंग हॉकी के लिए मैदान ही बना दिया जाता तो वह यहां के बच्चों को प्रशिक्षित कर राज्य और नेशनल लेवल के लिए तैयार कर सकती हैं।

अब उन्हें कांग्रेस की छत्तीसगढ़िया सरकार से उम्मीद है कि शायद कोई उनकी सुध ले ले और छत्तीसगढ़ में ही सरकारी कोटे से उन्हें नौकरी दे दे ताकि वहां खिलाड़ियों को प्रशिक्षित कर सकें। सबसे हैरानी की बात तो यह है कि छत्तीसगढ़ में इन लाइन रोलर स्केटिंग हॉकी को बढ़ावा दिया जा रहा है, लेकिन छग में अभी तक गर्ल्स कोच नहीं है। यदि सुमित्रा को मौका दिया जाए निश्चित ही वह छत्तीसगढ़ से भी इंटरनेशनल खिलाड़ी तैयार कर सकती है।