विभागीय गलतियों का खमियाजा भुगतना पड़ा दो छात्रों को, भविष्य हुआ खराब
बीजापुर। सभी परिजन अपने बच्चों के भविष्य को लेकर काफी चिंतित रहते है, परिजन किसी भी परिस्थिति में अपने बच्चों के भविष्य को उज्ज्वल बनाने के लिए हर सम्भव कोशिश करने में जुटे रहते हैं। किंतु शिक्षा विभाग की गल्ती से यदि किसी परिजन के बच्चे का भविष्य बिगड़ जाए तो उन परिजनों की क्या स्थिति हो सकती है। ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है, सहायक आयुक्त कार्यालय द्वारा गलत जानकारी भेजे जाने के कारण दो होनहार छात्रों का जवाहर उत्कर्ष योजना में काउंसिलिंग नही हो पाया।
बीजापुर निवासी सुरेंद्र टांडिया ने बताया कि मेरे दोनो पुत्र कुनाल टांडिया आठवी और गौरव टांडिया पांचवीं डीएव्ही स्कूल में अध्यनरत हैं, जिन्होंने जवाहर उत्कर्ष योजना वर्ष 2019-20 के चयन प्रतियोगिता परीक्षा में शामिल होकर जिले में प्रथम स्थान प्राप्त किया। किन्तु सहायक आयुक्त कार्यालय से गलत जानकारी भेजे जाने के कारण उनकी काउंसिलिंग नही हो पाया। इस सम्बंध में जब मेरे द्वारा जानकारी चाही गई तो ज्ञात हुआ कि डीएव्ही स्कूल जो मंझिगुड़ा ग्राम पंचायत इटपाल में आता है जिसे नगर पालिका बीजापुर में होने की गलत जानकारी कार्यालय द्वारा भेजा गया है । जिसके बाद कलेक्टर को लिखित शिकायत के आधार पर कलेक्टर द्वारा उक्त त्रुटि में सुधार कर काउंसिलिंग के लिए आयुक्त कार्यालय की ओर पत्र प्रेषित किया, इसके बावजूद मेरे दोनो बच्चों का नाम काउंसलिंग लिस्ट में नही होने के कारण मैंने दूरभाष के माध्यम से आयुक्त कार्यालय रायपुर से सम्पर्क किया तो ज्ञात हुआ कि सहायक आयुक्त कार्यालय से मेरी वार्षिक आय 260000 (दो लाख साठ) हजार भेजी गई है।
शासन के नियमानुसार बच्चों के पलकों का वार्षिक आय 250000(दो लाख पचास) हजार तक होने पर ही परीक्षा में सम्मिलित होने की अनुमति दी जाती है। यदि मेरी आय 260000 हजार रुपये थी तो किस आधार पर मेरे बच्चों को परीक्षा में सम्मिलित होने की अनुमति दी गई थी, जबकि कलेक्टर द्वारा सभी अहर्ताओं की जांच के दौरान किसी प्रकार की त्रुटि नही पाई गई थी। इससे यही प्रतीत होता है कि त्रुटि पूर्ण जानकारी एवम रचे गए षड्यंत्र के कारण मेरे दोनो पुत्रो का नाम काउंसिलिंग सूची में नही आ पाया। मेरे दोनो बच्चो के उज्ज्वल भविष्य के साथ खिलवाड़ से मैं काफ ी दुखी और आहत हूं इस तरह का षड्यंत्र किसी और के साथ ना हो सके इसके लिए जांच आवश्यक है, मैं स्वयं कलेक्टर के माध्यम से जांच की मांग करना चाहता हूं।