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लॉक डाउन के बीच विश्व पुस्तक दिवस पर सरगुजा IG रतन लाल डांगी का विशेष लेख…यदि आपको पुस्तके पढ़ने की आदत है तो आप हर दृष्टि से संपन्न है…

23 अप्रैल को विश्व पुस्तक दिवस..

रतन लाल डांगी ( आईजी सरगुजा)
लेखक, छात्रों व प्रकाशकों के साथ पुस्तक प्रेमियों के लिए एक विशेष दिवस माना जाता है।इस दिवस का मकसद लोगों को जीवन मे शिक्षा तथा पुस्तकों का महत्व समझाना हैं। कहते है एक किताब से ईमानदार मित्र कोई नहीं होता है ।कम्प्यूटर व इंटरनेट की दुनिया मे भी लोग किताबें पढ़ना पसंद करते हैं ।पुस्तकें न केवल ज्ञान का भंडार होती हैं, बल्कि उनका व्यक्तित्व निर्माण मे भी बड़ा योगदान है,वो सच्ची मार्गदर्शिका है,ये लोगों के मानसिक, भावनात्मक, सांस्कृतिक व मानवीय मूल्यों का का निर्माण करती हैं, साथ ही राष्ट्रीयता का भाव जगाने मे भी महत्ती भूमिका है। ज्ञान स्वयं एक शक्ति है, ज्ञान वो सीढी है जो शिखर तक ले जाती हैं।
यदि आप नये नये आविष्कार,खोज,शोध और अन्वेषण करना चाहते है ,असंभव को संभव करना चाहते है,यदि आप शक्ति संपन्न बनना चाहते है,यश कीर्ति के साथ धन कमाना चाहते हैं ,जीवन मे उन्नति के पथ पर आगे बढ़ना चाहते है,सामाजिक उत्थान करके समाज को नई दिशा देना चाहते हैं,
यदि आप अच्छी अभिवृत्तियों का विकास करना चाहते हैं। तो यह सब होगा अच्छी पुस्तकें पढ़ने और अच्छी शिक्षा से। शिक्षा ही व्यक्तियो के विचारों में परिवर्तन लाती हैं, जागरूक नागरिक बनाती है,तार्किक दृष्टिकोण विकसित करती हैं। इसलिए हमको किताबों से दोस्ती करनी चाहिए।जिसमे ज्ञान विज्ञान से लेकर साहित्य ,कविता, आत्मकथाएं, संस्मरण, मोटिवेशनल, उपन्यास इत्यादि शामिल है।
यह संयोग की बात है कि विश्व पुस्तक दिवस ऐसे समय मे आया है जब देश मे लाकडाउन मे हम सब घरों के अंदर ही बंद है।ऐसे समय मे घरों के अंदर रहकर न केवल अपने आपको ,परिवार को सुरक्षित रख सकेंगे बल्कि देश को भी कोरोना से बचा पाएंगे।इस समय का सदुपयोग पुस्तकें पढ़कर करना चाहिए।न केवल स्वयं बल्कि बच्चों को भी नई नई पुस्तकें पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।इतिहास, संस्कृति,अर्थशास्त्र, राजनीति, दर्शन संबंधी और साहित्यिक के साथ साथ अपने फिल्ड संबंधी पुस्तकें पढ़ने की आदत डालनी चाहिए।जैसे शरीर के लिए खुराक भोजन होता है वैसे ही आत्मा व मष्तिष्क के लिए ज्ञान रूपी खुराक की जरूरत होती है।

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