मंत्र हृदय की ऑख है …….साध्वी रत्न ज्योति
दक्षिणापथ, दुर्ग। नवकार महामंत्र के जाप अनुष्ठान के पश्चात धर्म सभा को संबोधित करते हुए महासती रत्न ज्योति जी महाराज ने नवकार महामंत्र की व्याख्या करते हुए कहा मंत्र हृदय की आंख होती है। जप, तप एवं मंत्रो के अनुष्ठान से तनाव मुक्ति, गृह शांति में उपयोगी साबित होता है। 15 जुलाई से चातुर्मास प्रारंभ हो रहा है और उसके पूर्व चार दिवसीय जाप का आयोजन आनंद मधुकर रतन भवन बांधा तालाब में सकारात्मक उर्जा के परमाणु को जागृत करने के उद्देश्य से इस जाप का आयोजन किया जा रहा है। जिससे इस क्षेत्र में आध्यामिक उर्जा से हमारे मन के अंदर धर्म के प्रति जागृति जागृत हो। श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रमण संघ के तत्वावधान में श्री जय आनंद मुधकर रतन भवन, बांधा तालाब गंजपारा में महासाध्वी पू.श्री प्रियदर्शनीय म.एवं पू.श्री किरण प्रभाजी म.के पावन सानिध्य में साध्वी रतन ज्योति ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि-महामंत्र नवकार जैन धर्म का अनादि निधानमंत्र है। यह मंत्र हमारे जीवन का तंत्र है, यंत्र है, जब हम श्रद्धाभाव से निर्मलमन से इस मंत्र की भक्ति में रमण होते है तब अनुठी भक्ति से रोम रोम उल्लसित होता है। नवकार मंत्र चौदह पूर्व का सार है, क्योकि पूर्वो का सार स्वयं को जानने में है। ” जे एगं जाणद् से सत्वं जाणइÓÓ आत्मा को जानना ही रहस्य को जानना है। वही इस महामंत्र में छिपा हुआ है मंत्र हृदय की आंख है परमशांति का स्त्रोत है।
नवकार मंत्र के पांच पदों मे साधक साधना साध्य का समन्वय है इसे सम्यक रूप से जानकार सम्यक् आराधना करेंगे तो हमारे स्वरूप की अनुभूति अवश्य होगी। नमस्कार महामंत्र का अनुष्ठान करके जीवन को अमृतमय बनाएं। इस महामंत्र की वर्षा से घर घर में तनाव मुक्ति मन में शांति, यह आनंद का मेघ घर-घर में बरसता रहें। इसी मंगल भावना से साध्वी अर्पिता श्री सुन्दर जाप का आयोजन समाज के हितार्थ आयोजित किया। श्रमण संघ के मंत्री टीकम छाजेड़ नवीन संचेती ने बताया बड़ी संख्या में श्रावक श्राविकाओं की उपस्थिति जाप आयोजन में रही।