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विपक्षी कांग्रेसियों की गुटबाजी का लाभ मिला सत्तापक्ष भाजपा को, पांच बैठकों के बाद अंतत: निगम का बजट सर्वसम्मति से पारित

दक्षिणापथ, दुर्ग। नगर निगम की बजट बैठक में विपक्षी कांग्रेस पार्षदों की आपसी गुटबाजी सोमवार को खुलकर सामने आ गई। जिसका फायदा सत्तापक्ष भाजपा ने उठाया और पिछले 4 बैठकों से पारित नहीं हो पा रही निगम की बजट अंतत: नाटकीय अंदाज में सर्वसम्मति से पारित हो गई। मजे की बात है कि 1 लाख 27 हजार के लाभ के बजट पर सर्वसम्मति बनने के दौरान विपक्षी कांग्रेस के तीन पार्षद को छोड़कर कांग्रेस के अन्य पार्षद सदन से बाहर थे, वहीं निर्दलीय पार्षदों ने भी सदन का बहिष्कार कर रखा था। इस बीच सत्तापक्ष व विपक्षी कांग्रेस के 3 पार्षदों की मौजूदगी में बजट को बहुमत के आधार पर सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। पारित बजट की त्रुटियों में संशोधन कर व पार्षदों के सुझावों को जोड़कर बजट को शासन को भेजने का निर्णय लिया गया है। बजट पारित होने के दौरान सदन का बहिष्कार कर बाहर गए विपक्षी कांग्रेस पार्षदों व निर्दलीय पार्षदों ने बजट पारित होने पर जमकर विरोध जताया। उनका कहना था कि हमें मुद्दो पर बोलने का अवसर ही नहीं दिया गया और बजट को पारित कर लिया गया। यह लोकतंत्र में न्यायसंगत नहीं है। बजट के महत्वपूर्ण बैठक में निगम आयुक्त सुनील अग्रहरि अनुपस्थित थे। उनकी अनुपस्थिति में ई ई राजेश पांडेय ने कार्यभार संभाला। आयुक्त की अनुपस्थिति पर सत्ता पक्ष मुखर रहा। जिससे सदन में हंगामा की स्थिति भी बनी।


सोमवार को दोपहर 12 बजे से आदित्य नगर कुशाभाऊ ठाकरे भवन में 18 जुलाई को स्थगित सामान्य सभा की बजट बैठक फिर से शुरू हुई। बैठक में स्थगित विषयों के साथ बजट अनुमोदन पर चर्चा की गई। इस बीच विधायक अरूण वोरा पर सत्ता पक्ष के आरोप से नाराज विपक्ष ने पहले सत्र में ही बैठक का बहिष्कार कर दिया था।
विपक्षियों की अनुपस्थिति में भी सामान्य सभा की बैठक जारी रही। सत्ता पक्ष ने पिछली बैठक में शासन से स्वीकृति संबंधी घोषणा पर आयुक्त से जवाब मांगा। आयुक्त के अवकाश पर होने के कारण प्रभारी आयुक्त के रूप में ईई राजेश पांडेय ने सवालों का जवाब दिया।


प्रभारी आयुक्त के जवाब से सत्ता पक्ष असंतुष्ट नजर आए। आयुक्त सुनील अग्रहरि की अनुपस्थिति पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि वे जान बूझकर सदन में नहीं आए। पार्षदों का आरोप सुन सभापति ने बताया कि वे हाईकोट गए हैं।
सामान्य सभा की बैठक हंगामे के कारण 15 मिनट के लिए स्थगित भी की गई। दोपहर 1 बजे के बाद सदन की कार्रवाई दोबारा चालू हुई। सत्ता पक्ष ने आयुक्त की अनुपस्थिति पर उनके द्वारा कार्यो के संबंध में लिखे गए पत्र सदन में रखने की मांग की। इसी बीच विपक्ष के पार्षद आरएन वर्मा, राजेश शर्मा, सुरेंद्र सिंह राजपूत सदन में लौट आए। लेकिन नेता प्रतिपक्ष लिखन साहू, अब्दुल गनी एवं अन्य कांग्रेसी पार्षद सदन के बहिष्कार में बाहर ही खड़े रहे, वहीं निर्दलीय पार्षद भी अपने मांगों में अडिग रहकर सदन में वापस नहीं लौटे। इस बीच सदन में वरिष्ठ पार्षद आर.एन. वर्मा ने सत्तापक्ष को खरीखोटी सुनाते हुए कहा कि सत्तापक्ष सदन में धरने पर बैठ जाता है, सदन चला नहीं पाते है। मुद्दे से सदन भटक जाता है। अधिकारियों से जवाब मांगा जाता है। जबकि जवाब देने का दायित्व तो सत्तापक्ष का होता है। ऐसी स्थिति में बजट कभी पारित नहीं हो पाएगा। इसलिए बेहत्तर होगा कि बजट को त्रुटि संशोधन व पार्षदों के सुझावों को जोड़कर बहुमत के आधार पर सर्वसम्मति से पारित कर दिया जाए। श्री वर्मा के पहल पर सदन में सहमति बनी और बहुमत के आधार पर बजट को सर्वसम्मति से पारित किया गया। बजट बैठक में महापौर चंद्रिका चंद्राकर, नेता प्रतिपक्ष लिखन साहू, वरिष्ठ पार्षद आर.एन. वर्मा, राजेश शर्मा, अब्दुल गनी, दिनेश देवांगन, शिवेन्द्र परिहार, देवनारायण चंद्राकर, भोला महोबिया,ऋषभ जैन, प्रकाश गीते, राजकुमार वर्मा, सुरेन्द्र सिंह राजपूत, अरुण सिंह, संध्या चंदेल, नजहत परवीन, शकुन ढीमर, कन्या ढीमर, निर्दलीय पार्षद आशीष दुबे, कुलेश्वर साहू, दीपक साहू , अरुण यादव, प्रकाश जोशी, ज्ञानचंद बंजारे के अलावा अन्य पार्षद एवं नगर निगम के अधिकारी मौजूद थे।

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