ठेकेदारी मजदूरों को दुर्घटना या कार्यरत अवस्था मे मृत्यु होने पर आश्रितों को ग्रेच्यूटी और पेन्शन का भुगतान किया जाए::अख़्तर जावेद
मनेन्द्रगढ़ –कोल इंडिया लिमिटेड की 07 सहायक कंपनियों में कई ठेकेदरी मजदूरों की खान दुर्घटना मे मृत्यु हो गई है। इनमे से किसी के कानूनी वारिशों को न कोल माईन्स पेन्शन स्कीम 1998 के आधीन न्यूनतम पेन्शन का भुगतान किया गया है न ही पेमेंट आफ़ ग्रेच्यूटी एक्ट 1972 की धारा 4 (1) सी के आधीन ही ग्रेजुवटी का भुगतान नही किया गया है। अख़्तर जावेद उस्मानी ने 29 दिसंबर 2016 को इस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की राजमहल खान दुर्घटना मे मृत ज्ञात 23 ठेका मजदूरों के आश्रितों को पीएफ़ ग्रेच्यूटी और पेन्शन न मिलने का प्रश्न कोर्ट आफ इन्क्वायरी मे भी उठाया था। जिस पर दी गई रिपोर्ट को केन्द्र सरकार के श्रम मंत्रालय द्वारा कार्यवाही प्रतिक्षित है। अख़्तर जावेद उस्मानी के द्वारा चेयरमैन कोल इंडिया लिमिटेड सहित सभी कंपनियों के चेयरमैन कम मैनेजिंग डायरेक्टर्स को पत्राचार कर ठेकेदरी मजदूरों के ड्यूज़ के भुगतान के प्रति मुख्य नियोक्ता के कानूनी दायित्वों के वहन की अपील की है। ग़रीब ठेकेदरी मजदूरों के परिवारों को ठेकेदारों के ऊपर ही मात्र छोड़ा जाना ठीक नही है,ज्ञात हो कि विधि का यह उल्लंघन वर्षो से हो रहा है। कोयला कंपनियों को निरंतर हो रहे इस उल्लंघन को पहले काल कालवित हो चुके ठेका श्रमिकों के आश्रितों को भी भुगतान करना है। आश्रितों का ग्रेच्यूटी नामिनेशन ही नही है जो कि ठेकेदार और कंपनियां कभी भी कराया जाता है या इन मजदूरों को पता भी नही है उनकी ग्रेच्यूटी कन्ट्रोलिंग अथॉरिटी पेमेंट आफ ग्रेच्यूटी एक्ट 1972 के समक्ष ठेकेदार या मुख्य नियोक्ता जमा करे। यह रकम ब्याज सहित मृत ठेका मजदूरों के आश्रितों को मिलनी चाहिये। शीघ्र कार्यवाही न होने पर इस विधि विपरीत आचरण की समाप्ति हेतु हर स्तर पर हिन्द मजदूर सभा ने संघर्ष का रास्ता अपनाने का मन बना लिया है,ठेका मजदूरों के कानूनी अधिकारों की प्रतिपूर्ति हेतु एक लंबी लड़ाई ज़ारी है जिसे एक तार्किक परिणिति तक पहुंचाने हेतु एचएमएस श्रम संगठन प्रतिबद्ध है।