एक ऐसा रेलवे स्टेशन जहां कभी-कभी मिलती ही नही टिकट.. रायपुर की मांगों तो बिजुरी तक की मिलती है टिकट..
एक ऐसा रेलवे स्टेशन जहां कभी-कभी मिलती ही नही टिकट..
रायपुर की मांगों तो बिजुरी तक की मिलती है टिकट..
कौन सी ट्रेन कितने बजे आए यह बताने वाला भी स्टेशन में नहीं मौजूद
अनूप बड़ेरिया
कोरिया जिले के पड़ोसी जिले सूरजपुर में एक रेलवे स्टेशन शिवप्रसाद नगर ऐसा स्टेशन है जहां कभी कभी यात्रा करने के लिए टिकट की नहीं उपलब्ध होती है और लोगों को बिना टिकट यात्रा करना पड़ता है इतना ही नही यहां रूकने वाली ट्रेन बिलासपुर, रायपुर, दुर्ग व शहड़ोल तक जाती है पर यात्रा करने वाले यात्रियों को बिजुरी या अनूपपुर तक का ही टिकट मिलता है।
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कभी कभी तो यह हालात होतें है कि रेल्वे स्टेशन में टिकट ही खत्म हो जाता है तब यात्रियों को बिना टिकट सफर करना पड़ता है या दूसरे स्टेशन में उतरकर टिकट लेना पड़ता है।
शिवप्रसाद नगर काफी पुराना स्टेशन होने के बावजूद यहाँ बुनियादी सुविधाओं का काफी अभाव है। इस स्टेशन से आसपास के करीब 30-35 गांव लाभान्वित हैं और इस छोटे से स्टेशन में लोकल टिकट के बिक्री रेलवे विभाग की आमदनी भी महीने में अच्छी खासी भी हो जाती है। यहां न तो टेलीफोन है और न ही स्टेशन जाने के लिए सड़क है।
6 प्रमुख गाड़ियों का है स्टॉपेज
जबकि इस यहां में 6 गाड़ियो का ठहराव है। इस स्टेशन पर मनेन्द्रगढ़-अम्बिकापुर, अम्बिकापुर-मनेन्द्रगढ, षहडोल-अम्बिकापुर, अम्बिकापुर-शहडोल, दुर्ग-अम्बिकापुर, अम्बिकापुर-दुर्ग इन 6 ट्रेनों का ठहराव है। इसके बाद भी यहां अम्बिकापुर से अनूपपुर के बीच तक का लोकल टिकट ही मिलता है। जबकि यहां दुर्ग-अम्बिकापुर ट्रेन का स्टापेज भी है पर यहां के यात्रियों को बिलासपुर, रायपुर, व दुर्ग जाने के लिए पटना के कटोरा रेलवे स्टेशन चढ़ने जाना पड़ता है।
ठेके पर टिकट काउंटर
यहां से यात्रा करने वाले यात्रियों को जो टिकट मिलता है, वह कोरिया जिले के बैकुन्ठपुर रोड़ रेल्वे स्टेशन से कटा होता है। जिसे टिकट बेचने के लिए ठेके पर लेने वाले ठेकेदार द्वारा नगद पैसा देकर हर हफ्ते 25 से 30 हजार रूपए का टिकट छपवाकर ले जाया जाता है। जिसमें यात्रा दिनांक की सील लगाकर टिकट ठेकेदार यात्रियों को बेचता है।
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बिना स्टेशन मास्टर के संचालित
शिवप्रसादनगर रेल्वे स्टेशन का शुभारंभ 1980 हुआ। यह स्टेशन पैसेंजर स्टेशन के अंतर्गत आता है । यहां कोई भी स्टेशन मास्टर है, इसलिए शुरू से ही यात्रियों को टिकट देने के लिए एक व्यक्ति को ठेके पर दे दिया जाता है। जो व्यक्ति कमीशन पर टिकट वितरण करता है। जिस व्यक्ति को टिकट बेचने का ठेका मिला है वह अपना पैसा लगाकर हर स्टेशन का टिकट एक अंदाज से बैकुन्ठपुर रेल्वे स्टेशन से छपवाकर लाता है फिर उस टिकट को यात्रा दिनांक का सील लगाकर यात्रियों के पास बेचता है। इतना ही नहीं जब स्टेशन में टिकट खत्म हो जाता है तो यात्रियों को बिना टिकट यात्रा करने को मजबूर होना पड़ता है। इसके अलावा इस स्टेशन में बुनियादी सुविधाओं जैसे शौचालय, पेयजल शेड, प्लेटफॉर्म ऊंचाई जैसी अनेक समस्याएं हैं। जिन पर रेलवे प्रबंधन की नजर नहीं पड़ रही है।