
थिंक टैंक ने वैवाहिक बलात्कार के मुद्दों और निहितार्थ पर की चर्चा …..अदालत को यह विचार करना होगा कि पति द्वारा बलात्कार को कैसे परिभाषित किया जाए
गुरुग्राम।
जीडी गोयनका विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ लॉ की थिंक टैंक कमेटी ने भारत में वैवाहिक बलात्कार के मुद्दों और निहितार्थों पर चर्चा की। सत्र का आयोजन जीडी गोयनका विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉ तबरेज अहमद और स्कूल ऑफ लॉ के डीन के नेतृत्व में किया गया।
वक्ताओं ने मुख्य तर्क दिया कि आईपीसी की धारा 375 खंड (2) भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन है, इसके अलावा सहमति से जुड़े भी कुछ प्रश्न हैं- जिनसे ये सवाल उठता है कि क्या विवाह के साथ सहमति को अंतर्निहित करना ठीक है? आम तौर पर यह तर्क दिया जाता है कि विवाह में निहित सहमति को अपरिवर्तनीय सहमति नहीं माना जा सकता है और एक महिला को ना कहने की पसंद की स्वतंत्रता होनी चाहिए। चूंकि मामला विचाराधीन है, इसलिए अदालत को यह विचार करना होगा कि पति द्वारा बलात्कार को कैसे परिभाषित किया जाए। इसके अलावा, वक्ताओं ने इस समकालीन विषय से संबंधित अन्य प्रासंगिक प्रश्नों पर भी सहानुभूति व्यक्त की। यह कार्यक्रम लगभग एक घंटे तक चला जहां प्रतिभागियों ने वक्ता से अच्छी संख्या में प्रश्न पूछे और विद्वान वक्ता के विशाल पेशेवर अनुभव से अत्यधिक लाभान्वित हुए।
स्कूल ऑफ लॉ, जीडी गोयनका विश्वविद्यालय ने संकाय और छात्रों के ज्ञान को उन्नत करने के लिए थिंक टैंक श्रृंखला के तहत प्रमुख मुद्दों पर चर्चा करने की पहल की है।