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क्षमता विस्तार चंदा धंधा और औद्योगिक विकास के फेर में ऑक्सीजोन केंद्र का विनाश …. सारडा एनर्जी के 4/7 और जिंदल पावर के 4/1 परियोजनाओं को विस्तार देना … तापमान बढ़ने और जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी प्रभाव ….पढ़ें पूरी ख़बर

शमशाद अहमद/-

रायगढ़। औद्योगिक परियोजनाओं को गति देने के लिए सरकार द्वारा ऐसा सिस्टम बना दिया है जिससे आम प्रभावित ग्रामीण जनता चिल्लाते रहे कुछ नहीं होने वाला, हम बात कर रहे है कोयला खदान विस्तार के लिए जो रणनीति अपनाई गई है।

ऐसा ही इन दिनों दो औद्योगिक घरानों के कोयला खदान के विस्तार के लिए हर शाम दाम दण्ड भेद की नीति अपनाई जा रही है। जिसका स्पष्ट उदाहरण जिंदल पावर के गारे पेलमा 4/1 और सारडा एनर्जी को मिले कोल ब्लॉक 4/7 से कोयला निकालने विस्तार की प्रक्रिया का प्रभावित ग्रामीणों द्वारा पुरजोर तरीके से विरोध के बाद भी मौन प्रशासनिक स्वीकृति और उद्योगपतियों के द्वारा जिसे दबाने के लिए हर तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं।

सारडा एनर्जी के कोयला खदान से कोयला निकालने के लिए विस्तार किया जाना है और इसके लिए पर्यावरणीय लोक जन सुनवाई को भी अब महज सुझाव तक लाकर सिमटा दिया जा है। उधर जिंदल पावर के कोल ब्लॉक के विस्तार के लिए पेड़ों की कटाई को लेकर तीखा विरोध है। लेकिन प्रभावित ग्रामीणों की आवाज गांव से बाहर निकल कर मानो आ ही नहीं पा रही है या फिर जिम्मेदार पूरी तरह से कान आंख दिलो दिमाग को पूरी तरह बंद कर रखा है। इसके पीछे परियोजनाओं को कही किसी तरह की दिक्कत न हो इसके लिए बनाई गई सिंगल विंडो सिस्टम बड़ा जिम्मेदार है। इस सिस्टम के तहत औद्योगिक घरानों को किसी भी तरह से दिक्कत न हो इसके लिए उन्हें कानूनी रूप से कहीं कोई दिक्कत न आए इस बात का विशेष ख्याल रखा गया है। जहां चाहे वह पैसा कानून एक्ट की बढ़ाएं हों या अन्य किसी प्रकार की बाधाएं कोई मायने नहीं रखती हैं। इससे भले चाहे पर्यावरण को कितनी भी छति क्यों न हों? इसकी वजह से जलवायु परिवर्तन के दीर्घकालिक घातक दुष्परिणाम का सामना आने वाली पीढ़ी को करना क्यों न करना पड़े? हम वर्तमान में जी रहे हैं और वर्तमान को देख रहे है भविष्य को किसने देखा है? अंधाधुंध तरीके से औद्योगिक विकास के लिए हजारों पेड़ों प्राकृतिक संपदा का विनाश कर ऑक्सीजन के स्तर को किस हद तक खतरनाक जोन में ला खड़ा कर रहे हैं जहां कार्बन उत्सर्जन को बढ़ावा मिलेगा और एक दिन हम भी अमेरिका के कैलिफोर्निया शिकागो में भावायवाह विनाश को पूरी दुनिया देख रही है। इसे लेकर दुनिया भर के शोधकर्ताओं और जलवायु परिवर्तन की दिशा में चेताने वाले आज भयंकर विनाश को देख रहे हैं और लगातार आगाह कर रहे हैं।

सारडा एनर्जी के कोल ब्लॉक 4/7 के लिए आदिवासी और दलित समुदाय की बड़े रकबे की जमीन को षड्यंत्र पूर्वक हथिया रखी है । इनकी एक बड़े रकबे को 30 साल के लिए लीज पर लेकर अब तक सिर्फ धोखा और धोखा ही दिया गया। अब तक न तो उनके हिस्से में मुआवजा आई है और न ही सम्मान पूर्वक जीने का अधिकार मिल पाया है। कइयों आदिवासी दलित परिवार न्याय की गुहार में अपना समय गुजार दिया लेकिन कोई सार्थक परिणाम ग्रामीणों को नहीं मिला। आदिवासियों की व्यक्तिगत भूमि पर जबरन कब्जा कर पिछले 8 वर्षो से पहाड़ बना दिया गया है उसका आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई है।

सारडा एनर्जी की वजह से भालूमुड़ा, सरसमाल सराईटोला, बाजरमुड़ा, करवाही, गारे, लामदरहा, पाता, बंधपाली आसपास के 10 किलोमीटर परिक्षेत्र में केवल जल स्रोतों ही नही मृदा, और मृदा के भीतर वन्य बीजों, पेड़ों का विनाश हुवा है। वायु मंडलीय प्रदूषण की मात्रा खतरे के निशान से ऊपर अत्यधिक होने की वजह से महत्वपूर्ण प्राकृतिक जैव विविधता खत्म हो चुकी है। इसका जलवायु परिवर्तन पर सीधा और व्यापक खतरनाक प्रभाव मानव जीवन पर पड़ने वाला है।

दूसरी ओर जिंदल पावर के कोल ब्लॉक गारे पेलमा 4/1 के लिए नागरामुडा, डोंगामाहुवा, जांजगीर, टपरदा, आमगांव, के जंगलों का विनाश किया जाकर एक बड़े ऑक्सीजन के केंद्र को हमेशा के लिए खत्म कर दिए जाने का काम जोरों पर चल रहा है। ग्रामीणों द्वारा लगातार दबाव तो बनाया जा रहा है लेकिन
इस चंदा और धंधा के खेल में औद्योगिक विकास के साथ हम जलवायु परिवर्तन के खतरनाक मुहाने की ओर तेजी से अग्रसर हो रहे हैं। खदान के लिए हजारों हरे भरे वृक्षों को काट दिया जायेगा। और हमेशा हमेशा के लिए एक बड़ा ऑक्सीजोन के केंद्र खत्म हो जायेगा। इस तरह से सराडा एनर्जी के 4/7 और जिंदल पावर के 4/1 के विस्तार के लिए हजारों पेड़ों और वन्य जीव जीवाश्म की क्षति कर रहे हैं। इस बात से सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि हम जलवायु परिवर्तन को लेकर आखिर किस दिशा में जा रहे हैं।

 

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