♦इस खबर को आगे शेयर जरूर करें ♦

आज के दौर में तेज रफ्तार जिंदगी और प्रतिस्पर्धा …..”काम और जीवन का संतुलन: एक खुशहाल और सामंजस्यपूर्ण समाज की दिशा में कदम” ….पढ़े राहुल और संजय के लेख

 

लेखक: राहुल सिंह, रायपुर, संजय कुमार यादव

रायपुर।

आज के दौर में, तेज़ रफ्तार जिंदगी और प्रतिस्पर्धा से भरी कार्य संस्कृति ने काम और जीवन के बीच संतुलन को सिर्फ एक व्यक्तिगत मुद्दा नहीं, बल्कि एक सामाजिक चुनौती बना दिया है। हर कर्मचारी, चाहे वह पुरुष हो या महिला, इस असंतुलन के दुष्प्रभावों से प्रभावित होता है। तनाव, स्वास्थ्य समस्याएं और घटती उत्पादकता न केवल परिवारों पर असर डालती हैं, बल्कि पूरे समाज को प्रभावित करती हैं।

व्यक्तीगत प्रभाव: जब काम और व्यक्तिगत जीवन के बीच संतुलन बनाए रखा जाता है, तो व्यक्ति कम तनाव महसूस करता है ,और तनाव से संबंधित समस्याएं, जैसे सिरदर्द, नींद की समस्या, और चिंता कम होती हैं। इसका सीधा असर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है।

समाज पर प्रभाव: काम के दबाव में माता-पिता बच्चों को पर्याप्त समय नहीं दे पाते, जिससे उनका मानसिक और भावनात्मक विकास प्रभावित होता है। वहीं, महिलाएं अक्सर करियर और परिवार के बीच उलझी रह जाती हैं, जिससे उनकी प्रतिभा पूरी तरह निखर नहीं पाती। क्या यह सिर्फ उनकी समस्या है? नहीं, यह समाज की भी ज़िम्मेदारी है कि ऐसा माहौल बनाए जहां हर व्यक्ति काम और जीवन को समान रूप से महत्व दे सके।
सामाजिक समाधान  समाज को संगठनों के साथ मिलकर आगे आना होगा। लचीली कार्य नीतियां, महिलाओं के लिए चाइल्डकेयर सुविधाएं, और मानसिक स्वास्थ्य पर जागरूकता अभियान जरूरी हैं। साथ ही, हमें ऐसे सामुदायिक कार्यक्रम शुरू करने चाहिए, जो परिवारों को एकजुट रखें और भावनात्मक संतुलन को बढ़ावा दें।
व्यक्तिगत स्तर पर पहल हर व्यक्ति को यह समझना होगा कि समय केवल काम के लिए नहीं, बल्कि परिवार, दोस्तों और खुद के लिए भी है। समय प्रबंधन, छोटे-छोटे ब्रेक, और अपनों के साथ क्वालिटी टाइम बिताना हमारे जीवन को न केवल बेहतर बनाता है, बल्कि समाज को भी मजबूत करता है।
संतुलन सिर्फ काम और जीवन के बीच नहीं, बल्कि समाज के हर स्तर पर जरूरी है।

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें

Please Share This News By Pressing Whatsapp Button



स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे

जवाब जरूर दे 

[poll]

Related Articles

Back to top button
Don`t copy text!
Close