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निर्भया केस के चारो आरोपी के बाद हिंदुस्तान की इन 4 कुख्यात महिलाओं को भी होना है फांसी…आजाद भारत के बाद पहली बार किसी महिला को होगी फांसी…राष्ट्रपति कर चुके हैं दया याचिका खारिज…

निर्भया केस के चारो आरोपी के बाद हिंदुस्तान की इन 4 कुख्यात महिलाओं को भी होना है फांसी…आजाद भारत के बाद पहली बार किसी महिला को होगी फांसी…राष्ट्रपति कर चुके हैं दया याचिका खारिज…

बेंगलुरु। निर्भया केस के चारों दोषियों को अलग-अलग जेल से लाकर तिहाड़ जेल में रखा गया है। तिहाड़ जेल में उत्तर प्रदेश के एक जल्लाद बुलवाने की व्यवस्था की जा रही है। इतना ही नहीं बिहार की बक्सर जेल में तैयार खास फांसी देने वाली 10 रस्सियों भी मंगवा ली गयी। ये सभी इंतजाम से यह साफ हो चुका है कि निर्भया के दोषियों को कभी भी फांसी जाएगी। लेकिन इन चार दोषियों के अलावा देश में 35 और ऐसे जघन्‍य अपराध के दोषी हैं जिन्हें फांसी दी जानी है। इन 35 लोगों में वह चार महिलाएं भी शामिल है जिन्‍हें फांसी के फंदे पर लटकाया जाना हैं।

इनके अपराध इतने संगीन और भयावह थे कि इनकी दया याचिकाओं को राष्ट्रपति खारिज कर चुके हैं। दया याचिका खारिज होने के बाद इन चार में से जिसको भी सबसे पहले फांसी के फंदे पर लटकाया जाएगा वो ही देश की महिला होगी जिसे देश की आजादी के बाद फांसी दी जाएगी। जिन महिलाओं को फांसी दी जानी हैं उन चार महिलाओं में हरियाणा की सोनिया, उत्तर प्रदेश की शबनम और महाराष्ट्र की रेणुका और सीमा हैं। इन चार महिलाओं की फांसी पर भारत के राष्ट्रपति भी अपनी मुहर लगा चुके हैं। आइए जानते हैं क्या उनका अपराध….

विधायक पिता व परिवार के 8 की हत्‍या

सोनिया के पिता हिसार के विधायक रेलूराम थे। प्रॉपर्टी की लालच में 23 अगस्त 2001 को सोनिया और उसके पति संजीव ने मिलकर रेलूराम व उसके परिवार के आठ लोगों की हत्या कर दी गई थी। जिसके बाद 2004 को सेशन कोर्ट ने इन्हें फांसी की सजा सुनाई थी। जिसे बाद में 2005 को हाई कोर्ट उम्रकैद में बदल दिया था। बाद में 2007 में सुप्रीम कोर्ट ने वापस से सेशन कोर्ट की सजा बरकरार रखने का फैसला दिया। समीक्षा याचिका खारिज होने के बाद सोनिया व संजीव ने राष्ट्रपति के पास दया के लिए याचिका लगाई। जिसे राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दया याचिका खारिज कर दी है।

जेल से कई बार भागने का कर चुकी है प्रयास

राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज होने के बाद अब यह मामला एक बार गृह मंत्रालय चला जाएगा। जहां से फाइल फिर सेशन जज हिसार को भेजी जाएगी। जिसके बाद सेशन जज फांसी देने के लिए डेथ वारंट की तिथि निर्धारित करेंगे। सोनिया पहली महिला होगी जिसे दया याचिका खारिज होने के बाद फांसी पर चढ़ाया जाएगा। जेल में बंद इन दोनों ने कई बार वहां से भागने की कोशिश भी की थी। गौरतलब है कि इससे पहले राजीव गांधी हत्याकांड की दोषी नलिनी सिंह को उच्चतम न्यायालय ने फांसी की सजा सुनाई गई थी। जिसके बाद खुद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने हस्तक्षेप कर नलिनी सिंह को फांसी से राहत दिलवाई थी। तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के पास पहुंची दया याचिका पर उन्होंने पैरवी की थी। जिसके बाद उसकी फांसी की सजा को बदल कर उम्रकैद कर दिया था। लेकिन सोनिया ने एक साथ अपने ही परिवार के आठ लोगों की एक साथ हत्या की, इस निर्मम हत्‍या के लिए उसकी फांसी के फैसले का बरकरार रखा गया।

यूपी की शबनम ने परिवार के 7 लोगों की की थी निर्मम हत्‍या

शबनम ने 15 अप्रैल, 2008 को यूपी के अमरोहा डिस्ट्रिक्ट में 7 लोगों का क़त्ल कर दिया गया था। उत्तर प्रदेश के अमरोहा के बावनखेड़ी गांव की निवासी शबनम ने रात के लगभग डेढ़ दो बजे अपने परिवार के 7 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। शबनम द्वारा अपने ही परिवार के लोगों की निर्मम हत्‍या के बाद यहां लोग शबनम नाम को कलंक मानने लगे हैं इसलिए यहां अपने का बच्चों नाम शबनम नहीं रखते हैं। प्रेम में अंधी हो चुकी इसी गांव की शबनम ने अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर परिवार के 7 लोगों का गला रेत दिया इन सब की मौके पर ही मौत हो गई थी1 इस घटना की चर्चा उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश में हुई थी एक दशक पुराने हत्याकांड को याद कर आज भी गांव के लोग सिहर उठते हैं। शबनम ने सलीम के साथ मिलकर अपने पूरे परिवार का सफाया करने वाली शबनम ने जब अपने परिवार वालों की हत्‍या की तो शबनम 7 सप्ताह की गर्भवती भी थी। शुरूआत में उसने यह दलील देकर खुद को बचाने की कोशिश की कि लुटेरों ने उसके परिवार पर हमला कर दिया था और बाथरूम में होने की वजह से वह बच निकलने में कामयाब रही लेकिन परिवार में सुख वही एकमात्र जिंदा बची थी।इसलिए पुलिस का शक उस पर गहरा गया और उसकी कॉल डिटेल खंगाल ई गई तो सारा सच सामने आ गया। शबनम और सलीम को 2 साल बाद अमरोहा की सत्र अदालत ने मौत की सजा सुनाई निचली अदालत के फैसले के बाद इस मामले को इलाहाबाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी मोहर लगा दिए सब नम पिछले करीब 10 साल से 8 माह के बच्चे सहित सात लोगों की हत्या के मामले में मुरादाबाद जेल में बंद है।

शबनम की फांसी का गांव वाले कर रहे इंतजार

उसका प्रेमी सलीम आगरा सेंट्रल जेल में बंद है। शबनम और सलीम का बेटा अब करीब 11 साल का हो चुका है जिसका लालन-पालन बुलंदशहर का एक परिवार कर रहा है। शबनम की उम्र अब 35 साल हो गई है और घटना को 10 साल से अधिक समय गुजर चुका है। लेकिन लोग आज भी खौफनाक वारदात को भूले नहीं है। दोनों ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल की थी लेकिन इस जघन्य अपराध को देखते हुए राष्ट्रपति ने उनकी दया याचिका खारिज कर दी थी। आखिर 7 लोगों को जान से मारने वाली शबनम को सरकार फांसी कब देगी और इस गांव को शबनम नाम से कब निजात मिलेगी।

पुणे की रेणुका और सीमा दो बहनें है कई मासूमों की हत्‍यारी

पुणे में यरवदा जेल में बंद दो औरतें 23 साल से बंद है। ये वही जेल जहां कसाब को फांसी दी गई थी, जहां संजय दत्त को बंद किया गया था। 23 साल से बंद ये दोनों सगी बहनें हैं। बड़ी रेणुका और छोटी का नाम है सीमा है दोनों फांसी का इंतजार कर रही हैं। इन दोनों ने 42 बच्चों की हत्या की है। इन हत्याओं मे इन दोनों की मां अंजना गावित भी दोषी थी। लेकिन उसकी मौत जेल में ही एक बीमारी के चलते कुछ वक्त पहले हो चुकी है। भारतीय दंड संहिता में फांसी की सजा को ‘रेयरेस्ट ऑफ़ दी रेयर’अपराधों के लिए रखा गया है। इन दोनों कै‍दियों की मां अंजना गावित मूलतः नाशिक की रहने वाली थी। वहीं एक ट्रक ड्राइवर से प्‍यार में आकर उसी के साथ भागकर पुणे आ गई। कुछ दिन साथ में रहने के बाद, उसकी रेणुका बेटी हुई जिसके बाद प्रेमी ट्रक ड्राइवर पति ने अंजना को छोड़ दिया। रेणुका सड़क पर आ गई। एक साल बाद वो एक रिटायर्ड सैनिक मोहन गावित से शादी कर ली। जिससे उसकी दूसरी बेटी सीमा पैदा हुई कुछ दिन बाद मोहन ने अंजना को छोड़ दिया। इसे बच्चियों के साथ सड़क पर आने के बाद वह चोरियां कर पेट पालने लगी।

इसलिए चुराती थी बच्‍चे

दोनों बेटियां जब बड़ी हुईं तो वो भी उसकी मदद करने लगीं। इसके बाद वह चोरी के साथ बच्‍चे चुराकर उनके साथ चोरी करने लगी। इतना ही नहीं उन्‍हें लगा अगर चोरी करते समय पकड़े भी गए तो बच्चे को देखकर लोग छोड़ देंगे। इसके बाद इन मां-बेटियों का बच्चे चुराने का सिलसिला शुरू हुआ। और ये तब तक जारी रहा जब तक इस गिरोह का पर्दाफाश नहीं हुआ। तीनों यही करती थीं। बच्चा उठातीं और फिर चोरी करने निकल पड़तीं।

पकड़ जाने पर बच्‍चे का करती थी ये हाल

अगर पकड़ जातीं तो बच्चे को जमीन पर पटक देतीं ताकि लोगों का ध्यान चोरी से भटक जाए। बाद में बच्चा काम का नहीं रहता तो उसे मार देतीं। ज्यादातर को पटक-पटक मार देतीं इसके अलावा बच्‍चों को ऐसे तरीके इन्‍होंने अपनाएं जिसको सुनकर ही दिल दहल जाए। इस तरह तीनों ने

सीरियल किलिंग का अब तक का सबसे दर्दनाक मामला

1990 से लेकर 1996 के बीच यानी छह साल में 42 बच्चों की हत्या कर दी। इसके बाद ये घटना महाराष्ट्र के अख़बारों की सुर्खियां बन गई। भारत में इससे पहले इतने बड़े स्तर पर कभी हत्याएं नहीं हुईं थीं। यह सीरियल किलिंग का मामला भारत ही नहीं, दुनिया के सबसे खतरनाक और दर्दनाक मामलों में से एक था। प्रदेश सरकार ने मामले पर सीआईडी की टीम बिठा दी जांच करने के लिए। चूंकि हत्या और किडनैपिंग के मामले साल 1990 से 1996 के बीच के थे।इसलिए अधिक मामलों में तो सबूत ही नहीं मिल पाए। लेकिन 13 किडनैपिंग और 6 हत्याओं के मामलों में इन तीनों का इंवॉल्वमेंट साबित हो गया। साल 2001 में एक सेशन कोर्ट ने दोनों बहनों को मौत की सजा सुनाई। हाईकोर्ट में इस केस की अपील में साल 2004 को हाईकोर्ट ने भी ‘मौत की सजा’ को बरकरार रखा। मामला फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने भी कह दिया कि ऐसी औरतों के लिए ‘मौत की सजा’ से कम कुछ भी नहीं है।

पूर्व राष्‍ट्रपति प्रणव मुखर्जी  खारिज कर चुके है क्षमा याचिका

इसके बाद पूर्व राष्‍ट्रपति प्रणव मुखर्जी के समय में क्षमा याचना की लेकिन साल 2014 में प्रणव मुखर्जी ने दोनों बहनों पर कोई रहम नहीं किया। और अदालत के फैसले से ही सहमति जताई। इस तरह दोनों बहनों के लिए फांसी की सजा पर आखिरी मुहर लग चुकी है। लेकिन फांसी कब, किस घड़ी, किस तारीख, महीने में होगी ये फ़िलहाल तय नहीं है। अगर इन दोनों बहनों को फांसी लगती है। तो भारत में आजादी के बाद फांसी के तख्त पर लटकने वाली ये पहली औरतें होंगी। साभार-ndtv news

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