चिकित्सा अधिकारियों की मांगों पर शासन द्वारा की जा रही है त्वरित कार्यवाही..शासन शासकीय चिकित्सकों के प्रति उतनी ही संवेदनशील जितनी जनता के प्रति
चिकित्सा अधिकारियों की मांगों पर शासन द्वारा की जा रही है त्वरित कार्यवाही..शासन शासकीय चिकित्सकों के प्रति उतनी ही संवेदनशील जितनी जनता के प्रति
स्वास्थ्य विभाग चिकित्सकों की समस्याओं के समाधान के लिए उनकी मांगों पर त्वरित कार्यवाही कर रही है। शासन लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने जितनी संवेदनशील है उतनी ही शासकीय चिकित्सकों के प्रति भी है। चिकित्सक संघों के प्रतिनिधि अपनी समस्याओं को लेकर कभी भी विभाग से चर्चा कर सकते हैं।
संचालक, स्वास्थ्य सेवाएं नीरज बंसोड ने आज यहां बताया कि चिकित्सकों के आंदोलन की जानकारी ज्ञापनों के माध्यम से प्राप्त होते ही समिति गठित कर सभी संघों के मांग-पत्रों पर चर्चा की गई है। ओपीडी के समय में बदलाव के बारे में यह प्रस्ताव आया है कि जिला अस्पताल की सायंकालीन ओपीडी में सभी चिकित्सक उपस्थित न हों, वरन दो चिकित्सा अधिकारी या स्थानीय आवश्यकतानुसार वे मौजूद रहें। इन्हें पूर्वाह्न उतनी अवधि पहले मुक्त किया जाए। इस प्रकार पूर्वाह्न में ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले मरीजों को 9 से 3 बजे तक चिकित्सकों की सेवा मिल सकेगी। उन्हें दोबारा नहीं आना पड़ेगा, जैसी व्यवस्था पूर्व में भी थी। प्रात: एवं सांयकाल ओपीडी मिलाकर भी कुल कार्य अवधि 6 घंटे से अधिक नहीं हो रही है। सायंकाल ओपीडी से केवल उन अधिकारियों को समस्या है जो अपने पदस्थापना स्थान में निवासरत नहीं हैं।
समयमान वेतनमान पर विशेषज्ञ संवर्ग की एक सूची जारी कर दी गई है और शेष सभी प्रस्ताव आयुक्त, स्वास्थ्य विभाग को प्रेषित कर दी गई है। पदनाम परिवर्तन हेतु प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा जा रहा है। डायरेक्टर, स्पेशलिस्ट, डीएचओ,
प्रभारवाद को समाप्त करने निचले कैडर में अधिकारी उपलब्ध न होने के कारण नियमों में शिथिलता हेतु प्रस्ताव शासन को भेजा जा रहा है। नियमितिकरण व स्थायीकरण की प्रक्रिया तेजी से पूरी की जा रही है जिसका डाक्टरों को जल्द लाभ मिलेगा। विभाग की ओर से पहल करते हुए स्वास्थ्य संचालनालय के दो वरिष्ठ अधिकारियों ने सभी संघों के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर इन गतिविधियों की जानकारी दी है जिसमें पदनाम परिवर्तन में उनके बदलाव स्वीकार किए गए हैं।
सायंकालीन ओपीडी में जिस संख्या में मरीज जिला अस्पतालों में आ रहे हैं, उससे शासकीय अस्पतालों के जरिए स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ रही है। विभाग संघों के इस प्रस्ताव से सहमत है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में चिकित्सक ऑनकॉल ड्यूटी पर ही पूर्ववत् कार्य करें और एक चिकित्सक शाम को एक घंटे ओपीडी संचालित करें। ओपीडी बहिष्कार के अनावश्यक आंदोलन में जिन डॉक्टरों के द्वारा ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए ओपीडी और इमरजेंसी ड्यूटी की जा रही है, राज्य की जनता द्वारा उनकी सराहना और प्रशंसा की जा रही है।
शासन ने प्रदेश के चिकित्सा अधिकारियों से अपील की है कि वे आंदोलन का रास्ता त्यागकर प्रत्यक्ष वार्ता करें एवं जन सामान्य को परेशानी से निजात दिलाते हुए अपनी तथा विभाग की छवि बेहतर बनाने में सहयोग दें।