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बजट सत्र के बाद संगठन में फेर बदल..जिला अध्यक्षों में चेंजिंग.. निगम-मण्डलों और आयोगों में होगा नियुक्ति..!

छत्तीसगढ़ में विधानसभा के बजट सत्र के बाद कांग्रेस संगठन का चेहरा बदल जाएगा। टीम भूपेश में शामिल रहे करीब 70 फीसदी पदाधिकारियों को संगठन ने चुनाव मैदान में उतारा और उन नेताओं ने अलग-अलग चुनाव में जीत दर्ज भी की। ऐसे में उनके स्थान पर नए चेहरों को मौका देने का निर्णय लिया गया है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम की टीम 70 फीसदी नए चेहरों के साथ तैयार हो गई है। मरकाम ने प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया से कार्यकारिणी को लेकर चर्चा की थी। उसके बाद आलाकमान के सामने सूची पेश की गई।
सूत्रों की मानें तो आलाकमान ने साफ कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सहमति के बाद सूची लेकर आएं।
फरवरी के पहले सप्ताह में मुख्यमंत्री विदेश यात्रा पर चले गए। इसके बाद अब विधानसभा का बजट सत्र सोमवार से शुरू हो रहा ।
मुख्यमंत्री के करीबी नेताओं की मानें तो बजट सत्र के बाद प्रदेश कार्यकारिणी, जिलाध्यक्ष और निगम-मंडल में नियुक्ति होगी।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी साफ कहा था कि चुनाव निपटने के बाद अच्छा परफार्मेंस करने वाले नेताओं को तोहफा दिया जाएगा। मोहन मरकाम को प्रदेश अध्यक्ष बने आठ महीने का समय हो चुके हैं।
विधानसभा के दो उपचुनाव, नगरीय निकाय चुनाव और पंचायत चुनाव में मरकाम के नेतृत्व में संगठन ने बेहतर प्रदर्शन किया और पार्टी को बड़ी जीत मिली। प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद मरकाम ने कहा था कि 15 दिन में प्रदेश कार्यकारिणी का गठन कर लिया जाएगा। लेकिन अब तक गठन नहीं हो पाया है।
विधायक, महापौर, जिला पंचायत अध्यक्षों को मौका नहीं
कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो इस बार संगठन में विधायक, महापौर और जिला पंचायत अध्यक्षों को मौका नहीं मिलेगा। पार्टी का मानना है कि एक पद पर रहने के बाद संगठन में नए चेहरे को मौका दिया जाए।
पिछली कार्यकारिणी में वरिष्ठ विधायकों को जगह दी गई थी, लेकिन उस समय प्रदेश में कांग्रेस की सरकार नहीं थी। सरकार आने के बाद विधायकों को निगम-मंडल में एडजेस्ट किया जाएगा। हालांकि तीन-चार विधायक प्रदेश संगठन में आने के लिए जोर-मशक्कत लगा रहे हैं।
धनेंद्र साहू का बिना कार्यकारिणी बनाए पूरा हो गया था कार्यकाल
कांग्रेस संगठन में प्रदेश कार्यकारिणी बनाने में सभी गुटों को साधना सबसे बड़ी चुनौती है। अब तक मरकाम की सूची न तो वरिष्ठ कांग्रेस नेता डॉ चरणदास महंत को दिखाई गई है, न ही सिंहदेव और ताम्रध्वज को। ऐसे में मुख्यमंत्री से पहले मरकाम को इन तीनों नेताओं को सूची दिखानी होगी और संतुलन बनाना होगा।
उसके बाद मुख्यमंत्री के सामने यह सूची जाएगी और अंतिम निर्णय होगा। कांग्रेस के जानकारों की मानें तो इस पूरी प्रक्रिया में एक महीने से ज्यादा का समय लगेगा। आपसी संतुलन नहीं बिठा पाने के कारण पूर्व प्रदेश अध्यक्ष धनेंद्र साहू ने अपना पूरा कार्यकाल कार्यकारिणी के गठन के बिना ही पूरा कर लिया था।
41 सदस्यीय होगी प्रदेश की कार्यकारिणी
कांग्रेस के संविधान के अनुसार, प्रदेश में 41 सदस्यीय कार्यकारिणी का गठन होगा। इसमें प्रदेश उपाध्यक्ष, महामंत्री और कोषाध्यक्ष हैं। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल के कार्यकाल में चुनाव को देखते हुए एक नया पद संयुक्त महासचिव बनाया गया था, जिसमें करीब 110 नेताओं को मौका मिला था। ठीक इसी तरह प्रदेश सचिव के पद पर भी 100 से ज्यादा नेताओं को एडजेस्ट किया जाता है। इसमें से कई नेता पार्षद, जिला पंचायत सदस्य, अध्यक्ष और महापौर चुन लिए गए हैं।
आभार-नई दुनिया

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