
आरटीआई कानून छत्तीसगढ़ में खत्म हो ताकि अधिकारी भ्रष्टाचार की मिसाल पेश कर पाएं – संजीव अग्रवाल…
आरटीआई एक्टिविस्ट संजीव अग्रवाल ने मीडिया के माध्यम से एक खुलासा करते हुए बताया है कि आरटीआई के तहत दिनांक 7 जुलाई 2020 को मरवाही वनमंडल में कुल कितने स्टॉप डैम, डब्ल्यूबीएम रोड और अन्य कार्यों की जब जानकारी मांगी गई थी। जिसपर जन सूचना अधिकारी द्वारा उस विषय में कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई।जिसके बाद 19-08-2020 को मुख्य वन संरक्षक, बिलासपुर को इस बाबत अपील की गई जिसके उपरांत सीसीफ, बिलासपुर द्वारा 03-09-2020 को एक पत्र जारी कर 07-09-2020 को अपील पर सुनवाई हेतु बुलवाया गया जिसका पत्र मुझे 08-09-2020 को प्राप्त हुआ। उसके बाद पुनः सीसीफ, बिलासपुर का एक पत्र क्रमांक 15680 दिनांक 09-09-2020 अपीलीय पेशी तारीख 14-10-2020 दिया गया। तत पश्चात पुनः एक पत्र क्रमांक 15767 दिनांक 15-09-2020 अपीलीय पेशी तारीख 21-09-2020 को कर दी गई लेकिन इस बाबत नियम विरुद्ध तरीके से दी गई नई अपीलीय पेशी तारीख जिसकी जानकारी मुझे विलंब से प्राप्त हुई। उसके बाद 05-10-2020 को बिना किसी तारीख के पत्र क्रमांक 6123 से एक अपील पर सुनवाई करते हुए अपीलार्थी की अनुपस्थिति में उसके बिना जानकारी के निराकरण कर दिया गया। तत्पश्चात अपील के उत्तर में दिनांक 25 नवंबर 2020 को अपीलीय अधिकारी एवं मुख्य वन संरक्षक, बिलासपुर वृत्त, बिलासपुर, छत्तीसगढ़ द्वारा निष्कर्ष निकाला गया कि ‘जनसूचनाअधिकारी को संजीव अग्रवाल द्वारा प्रस्तुत आवेदन पत्र की जानकारी धारा 6(1) के अनुसार नहीं होने पर तत्काल एक सप्ताह के भीतर सूचित किया जाना चाहिए ताकि निर्धारित समय सीमा में उन्हें प्राप्त हो सके ताकि आवेदन को स्पष्ट प्रस्तुत किया जा सके। विलम्ब की स्थिति में अपील की गई है। उक्त सूचना समय पर अपीलार्थी को नहीं मिलने पर अपील की गई है। अतः जनसूचनाअधिकारी को निर्देशित किया जाता है कि भविष्य में समय पर सूचित करें। एक विषयवस्तु की जानकारी नियमानुसार नि:शुल्क प्रदाय करें। इस विनिश्चय के साथ अपील निराकृत किया जाता है।’
संजीव अग्रवाल ने कहा कि अपीलीय अधिकारी द्वारा आदेश के बावजूद भी आज तक कोई भी जानकारी नहीं दी गई है। भाजपा सरकार ने मरवाही वनमंडल में अरबों रुपये के भ्रष्टाचार किया है जिसे आज अधिकारी छुपाने में लगे हुए हैं।
संजीव अग्रवाल ने मौजूदा कांग्रेस सरकार और सूबे के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मांग की है कि इस विषय को संज्ञान में लेते हुए त्वरित कार्रवाई करें और भाजपा सरकार ने जितने भी घोटाले किए हैं उनकी निष्पक्ष जांच हो या फिर जैसे प्रदेश में सीबीआई जांच पर रोक लगाई गई है उसी प्रकार, कांग्रेस सरकार द्वारा बताए गए “सूचना के अधिकार” के कानून को काँग्रेस शासित प्रदेश छत्तीसगढ़ में खत्म कर दिया जाए ताकि भाजपा शासनकाल के दौरान मदमस्त और लापरवाह अधिकारी प्रदेश में अपनी मनमानी करते रहें और प्रदेश की जनता हलाकान होती रहे।