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अब ऐसे जननायक कहाँ… जब जिला के मुद्दे को लेकर पूर्व विधायक गुलाब सिंह अपनी ही सरकार के खिलाफ बैठ गए थे अनशन पर..MCB

अनूप बड़ेरिया
कल 9 सितंबर को मनेंद्रगढ़वासियों के लिए एक ऐतिहासिक दिन होगा। जब पूरे जिले से विभाजित होकर मनेंद्रगढ़ MCB जिले के रूप में अस्तित्व में आएगा। अगर यह कहा जाए कि मनेंद्रगढ़ को उसका वाजिब हक मिला है तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी क्योंकि मनेंद्रगढ़ जिला बनाओ संघर्ष समिति के बैनर तले पहली बार 1983 में मनेंद्रगढ़ को जिला बनाने की मांग उठी थी और 29 जनवरी 1983 से 84 दिन क्रमिक आमरण अनशन चला था। उसके बाद 1998 में जब सरगुजा को विभाजित कर कोरिया जिला बनाया गया और उसका मुख्यालय बैकुंठपुर को घोषित किया गया। तब ऐतिहासिक विरोध के बात मनेंद्रगढ़ में 13 दिन का कर्फ्यू लगा था। और तकरीबन 11 महीने तक आमरण अनशन चला था।
आपको बता दें कि 1998 में अविभाजित मप्र में दिग्विजय सिंह की कांग्रेस सरकार में कद्दावर मंत्री व बैकुंठपुर के विधायक स्व.डॉ. रामचन्द्र सिंहदेव की मंशानुरूप सरगुजा को विभाजित कर कोरिया को जिला बना कर बैकुंठपुर को मुख्यालय बनाया गया था। तब मनेंद्रगढ़ से कांग्रेस के ही विधायक स्व. गुलाब सिंह ने अपनी सरकार के खिलाफ शंखनाद करते हुए आम जनता के साथ आमरण अनशन पर बैठ गए थे। तब स्वर्गीय गुलाब सिंह को केवल आम जनता की जन भावनाओं का ख्याल था ना की किसी पद या विधायकी के खोने का डर था… लेकिन अब ऐसे जननायक देखने को नहीं मिलते है..आज उन्हें डर है कि अपनी सरकार के खिलाफ यदि आवाज उठाई तो उन्हें वर्तमान में जो पद मिला है कहीं वह ना चला जाए या सरकार में महत्त्व मिलना बंद हो जाए और कहीं अगली बार टिकट ही ना कट जाए… इसलिए ऐसे जननायक जन भावना की बजाए स्वयं की भावना को महत्व देते हैं…

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