
नेतनागर किसान आंदोलन स्थगित …बैठकों का दौर जारी…जिला प्रशासन का दक्ष निर्णय ….. किसान भी खुश प्रशासन की चिंता भी हुई दूर …. तमाम राजनीतिक दल हो गए थे एकजुट …. विधायक की उपस्थिति में कलेक्टर के साथ हुई बैठक से किसान क्यों नहीं हुए संतुष्ट…किसानों का अगला निर्णय जिला प्रशासन के फैसले के बाद…किस करवट बैठेगा ऊंट
रायगढ़ ।
जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन द्वारा उग्र होते नेतनागर किसान आंदोलन को बड़ी ही कुशलता के साथ पटाक्षेप किया। किसान आंदोलन को जहां तमाम राजनीतिक दलों का समर्थन प्राप्त था और आंदोलन दिन ब दिन उग्र रूप धारण करते जा रहा था। शुरू से लेकर पदयात्रा तक किसानों के साथ पुलिस प्रशासन और जिला प्रशासन का रवैया बेहद नर्म रहा जैसा वो बोलते गए प्रशासन उनकी हर बात को मानते गई। नतीजा यह निकला की उग्र होता किसान आंदोलन बेहद ही खूबसूरत अंदाज में समाप्त हो गया।
किसानों की मुख्य मांग ये नहीं रही की मुआवजा लेना है या नहर नहीं बनना है मुद्दा ये छाया रहा की किसानों को रबी और खरीफ सीजन में पानी मिलेगा भी या नहीं। दर असल किसान आन्दोलन का प्रतिनिधित्व कर रहे संघर्ष शील किसान नेता लल्लू सिंह और जाने माने सामाजिक कार्यकर्ता राधेश्याम शर्मा का साफ तौर पर यह कहना था की बांध का नामकरण वृहद सिंचाई परियोजना किया गया है लेकिन इस बांध से किसानों को पानी कम उद्योगों को ज्यादा पानी दिया जा रहा है। किसानों की यहीं मांग बैनर पोस्टर में भी नजर आया। पानी नहीं तो नहर नहीं, नहर तभी बनेगा जब 12 महीना नहर में पानी बहेगा।
किसान आंदोलन को आगे बढ़ाते हुए गत दिवस नेतनागर से किसानों ने कलेक्ट्रेट का घेराव करने निकले। भले ही आंदोलनकारिओं को जिला और पुलिस प्रशासन कलेक्ट्रेट परिसर के बाहर ही रोक दिया।
किसान आंदोलन का प्रतिनिधित्व कर रहे किसानों के द्वारा एसडीएम से वार्ता करने साफ तौर पर इंकार कर दिया गया और कलेक्टर से सीधे बात करने मांग रखी गई। कलेक्टर की तरफ से प्रतिधिनीमंडल से बात करने राजी हो गए आंदोलन का प्रतिनिधित्व कर रहे 5 किसान आंदोलन कारिओं का बुलावा आया इस पर भी आंदोलनकारी अडिग हो गए 10 भी नहीं कम से कम 20 सदस्य से कम का प्रतिनिधि मंडल नहीं जायेगा। इस पर भी जिला प्रशासन द्वारा इनकी मांगों को मान लिया गया। कलेक्टर से मुलाकात के बाद इतने दिनो से चली आ रही किसान आंदोलन का सुखद पटाक्षेप हो गया। प्रतिनिधि मंडल के कलेक्टर से मिलकर आने के बाद सड़क बैठे आंदोलनकारी फटाफट उठ गए।
यहां एक बात जरूर देखने समझने को मिला कि एक दिन पूर्व विधायक नेतृत्व कलेक्टर के साथ हुई बैठक को किसानों ने सिरे से नकार दिया ऐसा क्यों हुआ यह भी एक यक्ष प्रश्न है की चुने हुए जन प्रतिनिधि की उपस्थिति में हुई बैठक को किसानों ने क्यों नकार दिया। और यही वजह रही की नेतनागर में चल रहे किसान आंदोलन का खत्म नहीं होना बल्कि और उग्र हो गया नतीजा पदयात्रा के रूप में सामने आया। नहर निर्माण को लेकर किसान आंदोलन में राजनीतिक दलों की जबरदस्त भागी दारी रही।
नेतनागर में नहर निर्माण को लेकर किसानों का रुख बेहद कड़ा रहा। दरअसल किसान कुछ तकनिकी खामियों का भी विरोध कर रहे थे मुख्य मुद्दा नहर से 12 महीने पानी मिलेगा का आश्वासन चाहते थे। फिलहाल कलेक्टर और किसानों के बीच हुई वार्ता सफल रही किसान खुशी खुशी कलेक्टर से मुलाकात कर आंदोलन का सुखद पटाक्षेप किया गया।
कलेक्टर तारण प्रकाश सिन्हा ने किसानों से चर्चा के उपरांत मीडिया से चर्चा करते हुए बताया की किसानों की सभी मांगों को मान लिया गया उन्हें कुछ संदेह समस्या है इसके लिए समीक्षा करवाएंगे उन्होंने कहा की नहर निर्माण से रायगढ़ सहित सक्ति के भी गांव नहर के पानी से लाभान्वित होंगे। नहर का निर्माण उच्च दक्षता प्राप्त इंजीनियरों की देख रेख कराया जा रहा है। कलेक्टर श्री सिन्हा के अनुसार किसानों की समस्याओं की समीक्षा करवाई जाकर उन्हें संतुष्ट किया जाएगा। कलेक्टर के आश्वासन पर धरना प्रदर्शन तो समाप्त हो गया है परंतु गांव में अब भी इसे लेकर बैठकों का दौर जारी है। लगातार किसान इस मुद्दों पर बैठक कर प्रशासन के अगले निर्णय के इंतजार में है।
एक ऊहापोह ये भी ..
केलो परियोजना के प्रारंभिक प्रायोजन के प्रारूप को देखें तो ज्ञात होगा कि इसकी दाएं और बाएं नहर की योजना थी । बताया जा रहा है की केलो बांध के बाईं तट नहर योजना को रद्द कर दाईं तट नहर बनाने का निर्णय लिया गया। और नेतननागर नहर बनने के निर्णय से ग्रामीणों में ये ऊहापोह है की पहले बांध की ऊंचाई कम की गई नहर निर्माण पर बदलाव किया गया। जबकि बांध से उद्योगों को 4.44 एमसीएम पानी दिया जाना है ।ऐसे में क्या अंतिम छोर तक पानी पहुंचेगा भी या नहीं। यही वजह है की नेतनगर के किसान नहर बनाने के लिए जमीन नहीं देने की जिद पर अड़े थे। ग्रामीणों में संशय थी की पता चला जमीन भी चली गई और नहर से पानी भी नहीं मिल पाएगा। और यही वजह रही की नेतनागर के किसान आंदोलन का रुख अख्तियार किया। फिलहाल कलेक्टर ने बड़ी ही संजीदगी के साथ किसानों की समस्याओं और संशय को दूर करने का आश्वासन दिया और किसानों का आंदोलन समाप्त हुआ। ये एक बात है की आंदोलन समाप्त हवा है किंतु किसान अब भी इसे लेकर बेहद सजग है की जिला प्रशासन का निर्णय क्या होगा इसके बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा की किसानों का आंदोलन किस करवट बैठेगा।