
रोजगार की गारंटी वाली योजना नहीं ये तो भ्रष्टाचार की गारंटी की है योजना …. बिना पैसे के नहीं होता काम … जांच के नाम पर घाल मेल … पढ़े खबर और जाने क्यों रोजगार की गारंटी में भ्रष्टाचार की गारंटी
रोजगार की गारंटी वाली योजना नहीं ये तो भ्रष्टाचार की गारंटी की है योजना, एक महिला सरपंच कहती है की मैं भी महिला सरपंच हूं लेकिन पीओ मैडम बिना अकड़ के बात नहीं करती और बिना पैसे के नहीं होता काम की बात नहीं करती है।
जशपुर।
सरकार ने रोजगार गारंटी का कानून इसलिये लाया था, कि लोगो को काम का अधिकार मिले, साथ ही ग्राम पंचायतों में एक संपत्ति का निर्माण हो। मगर जाशपुर जिले के मुख्यालय में ही कुछ ऐसा हो रहा है, कि योजना और योजना से होने वाला लाभ दोनों ही तार तार हो रहा है, इन सबके बीच अगर कोई सबसे ज्यादा पीस रहा है तो वो हैं सरपंच सचिव, जिसको लेकर जशपुर जनपद पंचायत के कुछ सरपंचों ने मोर्चा खोल दिया तो जांच हो रही है, पर जांच में शामिल अधिकारी ही इस जांच को टांय टांय फिस्स करने की जोर जुगत में लग जाते हैं, ऐसा ही कुछ अंदेशा इन सरपंचों के द्वारा व्यक्त किया जा रहा है।
दरअसल मामला कुछ ऐसा है कि जशपुर जनपद के सरपंच इसका सारा दोष नरेगा के जनपद पीओ पर लगा रहे हैं, जहां रुपयों के लेनदेन के बिना पिछले तीन सालों से अटके पड़े हैं, सरपंच यह भी बता रहे हैं कि 3% पीओ को चाहिए, नही तो उनका नरेगा कार्य का भुगतान तीन से ज्यादा वर्षों से लंबित है। जहां साँई टाँगरतोली के सरपंच यह बता रहे हैं कि बकरीशेड, मुर्गीशेड, सेगरिकेशन शेड सभी के पूर्ण हुए तीन साल से ज्यादा हो गए, पर अब तक भुगतान नही हुआ।
उधर नरेगा के जिलाधिकारियों को भी यह फुरसत नही की आखिर जब कार्य पूर्ण हो रहे हैं, तो यह भुगतान क्यों अधूरा है, साल में एक टेबल भी फाइल पैदल चलती तो अब तक भुगतान हो गया होता, पर जो हापात हैं उस पर आक्रोश है, आरोप अब शासन प्रशासन भी लगाने से सरपंच नही चूक रहे। जाहिर है मसला गंभीर है।
गंभीरता को समझते जब जांच जारी हुई तो अब पीड़ित संतुष्ट नजर नही आ रहे, कि यह जांच था या घालमेल! लापरवाहियां स्पष्ट है, और फाइल 3% के चलते नही रेंग रही तो मसला और भी गंभीर, फिलहाल प्रशासन ने जांच तो कराई है पर जो सरपंचों के अब तक बयान आ रहे है, वो यह बताने के लिए काफी है कि “कहीं तो कुछ गड़बड़ है!”