बेकाबू होती छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग, नहीं है कोई नयी योजना
रायपुर। नयी सरकार के गठन के बाद, वर्तमान में छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग की स्थिति अत्यन्त दयनीय हो चुकी है। पद्मश्री डॉ सुरेन्द्र दुबे ( सचिव ) राजभाषा आयोग की सेवा निवृत्ति के बाद, उनके स्थान पर पुरातत्ववेत्ता श्री भगत को प्रतिनियुक्ति पर यहां रखा गया, किन्तु दुर्भाग्य यह है, कि न तो वे कुछ नयी योजना बना पा रहे हैं, न ही पुराने कार्यो का निपटारा ही कर पा रहे हैं। आयोग के अनुदान से, पूर्व में प्रकाशित पुस्तकों का भुगतान भी अटका पड़ा है। प्रकाशकगण साहित्यकारों से भुगतान के लिये बार-बार तकाजा कर रहे हैं किन्तु स्वीकृतशुदा राशि भी राजभाषा आयोग से प्राप्त न होने के कारण जहां लेखकगण असमर्थ हैं, वहीं प्रकाशक भी परेशान हैं।
सूत्रों का मानना है कि सचिव श्री भगत, यदा-कदा कार्यालय आते तो हैं, किन्तु वे न तो किसी फाइल में हस्ताक्षर करते और न ही राजभाषा आयोग के लिये कोई नयी योजना तैयार करते। उक्त लापरवाही के चलते एक ओर जहां साहित्यकारों में रोष है, वहीं आयोग से संवेदनात्मक रूप से जुड़े भाषाविद् भी असन्तुष्ट हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल व संस्कृति मंत्री ताम्रध्वज साहू, स्वयं भी छत्तीसगढ़ी भाषा के प्रबल पक्षधर हैं, ऐसे में राजभाषा आयोग की वर्तमान निश्क्रियता अत्यंत चिंताजनक है। साहित्यकारों ने शासन से अपील करते हुए कहा कि शासन इस ओर त्वरित ध्यान देकर बेकाबू होती जा रही स्थिति पर लगाम कसे।