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कांग्रेस के शहर बंद का चिरमिरी में रहा मिला जुला असर. किसानों के आंदोलन को किया समर्थन… व्यापारियों व नागरिकों के साथ विधायक मनेंद्रगढ़, महापौर चिरमिरी उतरे सड़को पर….

 

* ब्लाक कांग्रेस कमेटी चिरमिरी के नेतृत्व में किसान विरोधी कानून का विरोध करते दिखे कांग्रेसी.

कोरिया/ चिरमिरी । केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन लगातार जारी है। विभिन्न किसान संगठनों ने आंदोलन के साथ ही 8 दिसंबर को किसानों ने भारत बंद का आव्हान किया था । इसे छत्तीसगढ कांग्रेस समेत अन्य संगठनों ने भी समर्थन देते हुए उनके साथ होने की बात कही थी । कांग्रेस पार्टी के जिलाध्यक्ष नजीर अजहर ब्लॉक कमेटी चिरमिरी के अध्यक्ष सुभाष कश्यप ने जानकारी देते हुए बताया की कांग्रेस पूरी तरह किसानों के साथ है। उन्होंने बताया कि किसान नेताओं और सरकार के बीच की पांचवें दौर की बातचीत भी बेनतीजा रहने के बाद किसान संगठनों ने आठ दिसंबर को देशव्यापी बंद का आह्वान किया था । जिसका कांग्रेस पार्टी ने भी बंद को अपना समर्थन देकर सड़को पर उतरने की रणनीति बनाई थी। उन्होने बताया कि आज मंगलवार को पुरे जिले के साथ नगर निगम चिरमिरी में जरुरी सेवाओ को छोड़ सभी दुकाने बंद रहेंगी। कांग्रेस नेताओं ने व्यापारियों और आम नागरिकों से सहयोग करने की अपील की थी जिसका हम लोगो को पूरा सहयोग मिला है स्थानीय लोगो में स्वयं अपने प्रतिष्ठानों को बंद कर इस काले कानून का विरोध दर्ज कराया है जो आप लोगो को दिख रहा है ।

कि देश में सत्तारूढ़ नरेंद्र मोदी सरकार खेती-किसानी से जुड़े लोगों का कभी हित नहीं चाहती, इसलिए उसने इससे जुड़े जड़वत कानूनों को बदल दिया जो देश की आजादी से बना हुआ था । जिसे लेकर हमारे किसान भाईयो द्वारा इस पास हुए कृषि व किसानों से जुड़े दो बिलों को लेकर सभी संगठनों के द्वारा अपना उग्र विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है, जिसके विरोध की गूंज संसद से सड़क तक सुनाई दे रही है। इससे हमारे किसानों के साथ कृषि उत्पाद कारोबारियों ने भी अपना समर्थन दिया जो पुरे देश में दिखाई पढ़ रहा है। एक दिवसीय विरोध प्रदर्शन में उपस्थित मनेंद्रगढ़ विधायक डॉ. विनय जायसवाल ने अपना विरोध जताते हुए कहा कि देश के किसानों के लिए ऐसी विडंबना क्या होगी की इस काले कानून को इस हिटलर मोदी सरकार ने दोनों बिल संसद के दोनों सदनों यानी निम्न सदन लोकसभा व उच्च सदन राज्य सभा में पास करते हुए चोरी छुपे आननफानन में देश के राष्ट्रपति तक पहोचा दिया जो जिनके द्वारा इन बिलों पर हस्ताक्षर करने के बाद से ये कानून का रूप ले चूका हैं। जिसका हम खुले रूप में विरोध करते है ऐसे काले कानून को बना कर यह भाजपा के अनुयाई एवं देश विरोधी लोग खेती- किसानी के हित में लाभदायक फैसले की बात कर रहे है लगातार हो रहे विरोध प्रदर्शन को देखते हुए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तत्काल अपने पद से स्तीफा दे देना चाहिए जो देश रिर की हड्डी को पूरी तरह खत्म करने का काम कर रही है । राज्य सरकारों द्वारा संचालित 2,500 एमएसपी मंडियां हैं, जहां पहले 67 प्रतिशत तक कृषि उपज की खरीद होती थी। वहीं, सरकारी खरीद में पंजाब और हरियाणा का हिस्सा लगभग 90 प्रतिशत है। यही वजह है कि कृषि और किसानों से जुड़े दो बिलों को लेकर किसानों के विरोध की जो गूंज सुनाई दे रही है, उसके मद्देनजर आपके लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि आखिरकार इन बिलों को पास कर पुरे देश को अर्थव्यवस्था को 50 वर्ष पीछे ले जाने का काम किया जा रहा है । और इनके नेता झूट बोल कर देश के लोगो को इसके क्या लाभ बताए जा रहे हैं? वहीं, इनको लेकर भर्मित करने का काम किया जा रहा है । इस बिल के लागु होने से आने वाले समय में देश के लोगो को भूके मरना पढ़ेगा जिसकी आशंकाएं वर्तमान से ही जाहिर हो रही है जो इतनी भ्यावर है, जिसको बताया नहीं जा सकता । उस पर भी एक नजर डालना दिलचस्प है। सबसे पहले यह जानते हैं कि वो दो बिल कौन कौन से हैं- पहला, कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020. और दूसरा कृषक सशक्तिकरण एवं संरक्षण कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020. बताते चलें कि कृषि से जुड़े इन दो बिलों के अलावा आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 के निर्धारित प्रावधानों को लेकर भी किसानों की ओर से ऐतराज जताया जा रहा है, जिसका हम खुले रूप में विरोध करते है । राज्य की भूपेश सरकार ने इससे जुड़े एक एक पहलू को स्पष्ट करते हुए इस बिल को काले कानून का नाम दिया है ।

 

विरोध प्रदर्शन में मौजूद नगर निगम महापौर श्रीमती कंचन जायसवाल ने इस काले कानून पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा की इस काले कानून में एक एक बिन्दु पर बारीकी से नुकसान की बात कहते हुए कहा की । पहला, जहां तक कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020 का सवाल है तो ये राज्य सरकारों की ओर से संचालित एग्रीकल्चरल प्रोड्यूस मार्केट कमेटी (एपीएमसी) मंडियों के बाहर (बाजारों या डीम्ड बाजारों के भौतिक परिसर के बाहर) फार्म मंडियों के निर्माण के बारे में है। क्योंकि भारत में 2,500 एपीएमसी मंडियां हैं जो राज्य सरकारों द्वारा संचालित हैं। वहीं, दूसरा बिल कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020) कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग या अनुबंध खेती के बारे में है , जिसके आने से राज्यों की कृषि उत्पादन विपनण समिति यानि एग्रीकल्चरल प्रोड्यूस मार्केट कमेटी (एपीएमसी) के अधिकार पूरी तरह खत्म हो जाएंगे । इसलिए किसानों के पास सरकारी एजेंसियों का विकल्प किसी भी हाल में नहीं होगा। दूसरा, नए बिल किसानों को इंटरस्टेट ट्रेड (अंतरराज्यीय व्यापार) को प्रोत्साहित कर पूरी तरह उनके हाथ की कटपुतली हो जाएगी, ताकि किसान अपने उत्पादों को दूसरे राज्य से आये उद्योग पत्तियो के हाथो बेचने को मजबूर होगा ।तीसरा, वर्तमान में एपीएमसीज की ओर से विभिन्न वस्तुओं पर 1 प्रतिशत से 10 फीसदी तक बाजार शुल्क लगता था । लेकिन अब राज्य के बाजारों के बाहर व्यापार पर कोई राज्य के बाद केंद्रीय कर भी देना बाध्य होगा। चौथा, हर संभव हमारे किसान भाइयों को एपीएमसी टैक्स व लेवी एवं शुल्क आदि का भुगतान हर हाल में देना अनिवार्य होगा । जिसके लिए हर किसान भाइयों को अपने साथ अपने पर्खो तक के सभी दस्तावेजो जमा करने की अनिवार्ता बनाई गई है । जबकि इसके आने के बाद , बेचने वाले किसानों के साथ खरीदने वाले लोगो इसका नुकसान होगा । निजी कंपनियों और व्यापारियों की ओर से एपीएमसी टैक्स पूरी तरह समाप्त कर दिया गया है , जो किसानों को ही देना होगा नहीं तो वह अपने उत्पादक नहीं बेच सकेंगे । पांचवा – , किसान कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग या अनुबंध खेती के लिए प्राइवेट प्लेयर्स या एजेंसियों के साथ कोई साझेदारी नहीं होगी जब तक आप इन नियमो का पालन नहीं करेंगे और कर की भरपाई नहीं करेंगे । छठवा – कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग केवल निजी एजेंसियों को ही उत्पाद खरीदने की अनुमति देगी जिसमें किसानों को खरीदने का कोई मापदण्ड नहीं है । कॉन्ट्रेक्ट केवल उत्पाद के लिए होगा जबकि किसान भाई अपनी ही भूमि का मालिक होकर भी इसका कोई लाभ नहीं ले सकेगा। और हमारा किसान भाई इसके बाद मुख्य दर्शक बन कर एक ही स्थान पर खड़ा रहेगा किसी भी निजी एजेंसियों इन किसानों की भूमि के साथ अपनी मन मर्जी कर केवल अपना लाभ की भरपाई करेंगे । जबकि कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग अध्यादेश के तहत किसान की जमीन पर समय ब समय किसी भी प्रकार का निर्माण कर लेगा और किसान इसके लिए क़ानूनी शिकायत का भी हकदार नहीं होगा । सातवां -, वर्तमान में किसान सरकार की ओर से निर्धारित दरों पर निर्भर हैं। लेकिन नए आदेश में किसान बड़े व्यापारियों और निर्यातकों के अधीन होकर उनके नियमो की पैरवी करेंगे, जो खेती – और अपने खुद के अनाजो हाथ भी नहीं लगा सकेगा । आठवां – अभी तो हम राज़्यों के बने कानून के तहत की कार्य कर रहे है जिसमें प्रत्येक राज्य में कृषि और खरीद के लिए अलग-अलग कानून हैं। लिहाजा, नए कानून के तहत लागू एक समान केंद्रीय कानून होगा जो केवल इन उद्योगपतियों के हाथो में होगा जिसमे सभी हितधारकों को (स्टेकहोल्डर्स) के मुताबिक ही चलना होगा जो अपनी मनमर्जी से कुछ भी करने को बाध्य होंगे । , नवमा – इन नए बिल कृषि क्षेत्र में केवल निजी एजेंसियों को लाभ होगा, क्योंकि इससे केवल देश की रिर की हड्डी को पूरी तरह खत्म करके अपने हाथो में काबिज करने के लिए बनाया गया है। जो आने वाले समय में केवल निजी निवेश खेती के बुनियादी ढांचे को पूरी तरह समाप्त कर एक किसान भाइयो को बेरोजगारी की लाईन में खड़ा करने जा रहा है । जिससे हर तरफ बेरोजगार की होड़ लगी होगी । बाहरहाल इन बातो को हम सब को समझने की जरुरत है जिसको शुरवाती समय से ही रोकना हम लोगो कर्तब्य है । बहरहाल इस भारत बंद के एक दिवसीय विरोध प्रदर्शन में मुख्य रूप से सभी पूर्व महापौर के डमरू रेड्डी,नगर निगम की सभापती गायत्री बिरहा, सभी निर्वाचित कांग्रेसी पार्षद एमआईसी पार्षद, वरिष्ठ कांग्रेसी शंकर रॉव, एल्डरमैन दिनेश यादव,बलदेव दास,शल्य कुमारी,सहाबुद्दीन, उमा शंकर आलगामकर, वरिष्ठ कांग्रेसी ओपी प्रीतम, महिला कांग्रेस, एनएसयुआई, युवा कांग्रेस, के पधादिकरियो के साथ भारी संख्या में कांग्रेसी कार्यकर्ता सुबह से ही शहर की सड़को पर उतर कर दुकानों को बंद कराते दिए ।

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