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अधिकारियों की मनमानी और उपेक्षा से त्रस्त आदिवासी किसान अब बैठेंगे सड़क पर …. जमीन पर बना दी सड़क पर मुआवजा के लिए लगा रहे दो साल से दफ्तरों के चक्कर

 

 

*० एसडीएम सारंगढ़ को किसानों का आवेदन, एक सप्ताह में मुआवजा नहीं मिलने पर सड़क में बैठकर रोकेंगे रास्ता*

*० मुख्यमंत्री को भी सुनायेंगे पीड़ित किसान अपनी व्यथा,*

रायगढ़ |
रायगढ़ जिला के बरमकेला तहसील अंतर्गत बरमकेला से सोहेला राजमार्ग पर ग्राम खिचरी के आदिवासियों की जमीन पर बिना परमिशन के और मुआवजा भुगतान किये बिना ही छग रोड डवलपमेंट कार्पोरेशन लिमि. द्वारा सड़क निर्माण कर दिया गया और जब उक्त अनुसूचित जनजाति आदिवासी समुदाय के किसानों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाते हुए 2 साल गुजर जाने के बाद भी अपनी जमीन का मुआवजा नहीं मिला और उन्हें बताया गया कि आदिवासी जमीन बिना कलेक्टर की अनुमति के बिक्री नहीं कर सकते फिर कलेक्ट्रेट में अपने जमीन विक्रय की अनुमति बाबत आवेदन देकर प्रतीक्षा करने लगे अगस्त 2001 में कलेक्टर कार्यालय से उक्त जमीन के बिक्री और पंजीयन की अनुमति प्राप्त हो जाने के 10 महीने बीत जाने के बाद भी आज पर्यंत आदिवासियों को मुआवजा राशि नहीं मिल पाया है जिससे व्यथित होकर अपने स्वामित्व की जमीन पर बने सड़क में बैठकर सरकार का ध्यान आकृष्ट करना चाहते हैं और इसके लिए उन्होंने एसडीएम सारंगढ़ को अल्टीमेटम देकर अपनी भावनाओं से अवगत कराया है । यहां यह भी सवाल उठता है कि यदि बिना कलेक्टर की अनुमति के आदिवासियों की जमीन क्रय विक्रय नहीं हो सकती तो बिना भूस्वामियों की सहमति के जमीन पर सड़क कैसे बना दिया गया ? विदित हो कि व्यथित किसान छत्तीसगढ़ रोड डवलपमेंट कार्पोरेशन लिमि. , लोक निर्माण विभाग, तहसीलदार से लेकर कलेक्टर तक राजस्व विभाग के अधिकारियों और ठेकेदार के चक्कर लगाते लगाते थक चुके सड़क बनने के सालों बाद भी उन्हें अपने स्वामित्व की जमीन का मुआवजा आज पर्यंत नहीं मिला है जिससे व्यथित होकर उग्र किसान अब अपनी जमीन को कब्जा मे लेकर रास्ता रोकने के निर्णय लेने को विवश हुए है। किसानों ने यह भी जानकारी दिया है कि 29 मार्च 2022 को एसडीएम सारंगढ़ द्वारा प्रबंध संचालक छ.ग. रोड डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड रायपुर को पत्र लिखकर किसानों के जमीन पंजीयन की कार्यवाही हेतु लिखा गया था परंतु इस पत्र पर किसी भी प्रकार से रुचि नहीं ली गई और ना ही कोई कार्रवाई हुई। प्रदेश में आम जनता के अधिकार और पिछड़े आदिवासियों के हक दिलाने मे कितने बेपरवाह है अजजा वर्ग को जमीनी स्तर पर किस प्रकार यहां के अधिकारी नजरअंदाज करते हैं , ठेकेदार और राजस्व विभाग की मजबूत गठजोड सरकार के मंसुबो पर किस प्रकार पानी फेरते हैं इसका ज्वलंत उदाहरण है ग्राम खिचरी के आदिवासी कृषको के जमीन मुआवजा का यह लम्बित मामला । किसानों ने अपने व्यथा आवेदन पत्र में उल्लेख करते हुए लिखा है कि यदि उनके जमीन की मुआवजा का भुगतान 1 सप्ताह के भीतर नहीं किया जाता है तो वह उक्त जमीन को अपने खेत में मिलाने के लिए विवश हो जाएंगे और सड़क पर बैठकर सरकार का ध्यान आकृष्ट करेंगे ग्राम खिचरी के कृषक पंडितराम , रामदयाल आत्माज दुर्जन जाति कोंध, पालूराम एवं संतराम पिता सत्यानंद जाति कोंध एवं रघुनाथ एवं लक्ष्मण सिदार पिता रोन्हा प्रसाद जाति गोड़ द्वारा एसडीएम सारंगढ़ को लिखे गए पत्र की प्रतिलिपि रायगढ़ कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक को भी दी गई है । अब देखना है शासन के नुमाइंदे पीड़ित आदिवासियों को उनका हक दिलाते हैं या उन्हे सड़क पर बैठने के लिए विवश करते है। व्यथित किसानों ने बताया कि जरूरत पड़ने पर वे मुख्यमंत्री निवास तक पहुंचेंगे और उनके साथ हो रहे अन्याय से उन्हे भी अवगत कराएंगे ।

*∆ पूर्व में भी किसानों ने रोका था सड़क निर्माण का काम :*
विदित हो कि उक्त जमीन के मुआवजा नहीं मिलने से गैर आदिवासी पिछड़े वर्ग के किसानों ने भी सड़क निर्माण कार्य पर रोक लगाकर अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराया था और लंबे संघर्ष के बाद ही कुछ किसानों के जमीन की पंजीयन कार्यवाही हो पाई थी और कलेक्टर की अनुमति के वजह से आदिवासियों की जमीन का विक्री एवं पंजीयन लंबित रहा अब जबकि कलेक्टर रायगढ़ से जमीन क्रय और पंजीयन के लिए अनुमति प्राप्त हो चुकी है जिसकी प्रति एसडीएम सारंगढ़ और तहसीलदार बरमकेला भेजे 10 महीना हो गए हैं परंतु इन अधिकारियों को किसानों के हित के प्रति रूचि नहीं होने से आज यह स्थिति निर्मित हुई है ।

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