में इन्ड सिनर्जी लिमिटेड कोटमार महुवापाली की इतनी हेक्टेयर जमीन पर 13 प्रकार के प्लांटों की क्षमता का विस्तार होगा …..पर्यावरणीय लोक सुनवाई …. आधी हकीकत आधा फंसाना …..कोरोना काल में एक औद्योगिक घराने द्वारा रचा जाएगा ढोंग व स्वांग …
रायगढ़।
आने वाले 30 जुलाई को कोटमार महुवापाली स्थित इंड सिनर्जी लिमिटेड में 103. 65 हेक्टयर में 13 प्रकार के प्लांटो की क्षमता विस्तार किया जाएगा इसमें कुछ पहले से स्थापित हो चुके है और बाकी के स्थापना व संचालन के लिए पर्यावरण प्रदूषण के नाम पर लोक सुनवाई रखी गई है। बताते चले कि सरकारी खजाने की करोड़ो रुपए का बिजली बिल इस उद्योग पर बकाया भी है उद्योगों में उपयोग होने वाले पानी का बिजली बिल ही इस उद्योग पर करोड़ो रु बकाया है जिसे न पटाने की कंपनी ने जिद कर ली है। और यह मामला सक्षम न्यायालय में लंबित है। यह उद्योग आज भी बड़े पौमाने पर पानी का दोहन किया जा रहा है और सम्बन्धित विभाग इससे पूरी तरह स्वयं को अनजान बनाये रखा है । ऐसे उद्योग के आगे यह पर्यावरणीय जन सुनवाई सफल कराना कोई बड़ी बात नहीं है।
फिलहाल जन सुनवाई के विरोध में जन संगठनों के साथ अंदर ही अंदर आक्रोश भी पनप रहा है। खास बात ये है कि बहुतों प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों को यह भी नहीं मालूम है कि किस किस तरह के प्लांटों की क्षमता का विस्तार होगा और कौन कौन सी नई प्लांट की स्थापना होगी। स्पंज आयरन प्लांट 3 लाख टन प्रतिवर्ष से बढ़ाकर 6.30 लाख टन प्रतिवर्ष होगा, पावर प्लांट के दो प्रकार के पावर प्लांट है एक 50 मेगावाट और दूसरा 24 मेगावाट से 49 मेगावाट प्रति वर्ष करने का है। स्टील बिलेट प्लांट की क्षमता वर्तमान में 1.40 लाख टन से 4.40 लाख टन प्रतिवर्ष हो जाएगा। कोलवाशरी प्लांट की क्षमता 7.20 लाख से बढ़कर 9 लाख टन प्रतिवर्ष, आयरन ओऱ क्रशर 6 लाख टन प्रतिबर्ष, रोलिंग मिल 5 लाख टन प्रतिवर्ष, डक्ट टाइल पाइप प्लांट 2 लाख टन प्रतिवर्ष, ऑक्सीजन प्लांट 1 करोड़ 56 लाख घ मी, फेरो एलाइज प्लांट 30 हजार टन प्रतिवर्ष का स्थापित होगा, सीमेंट ग्राइंडिंग यूनिट 3 लाख टन, कोल्ड पिग 49300 टन से 3 लाख टन प्रतिवर्ष, सिंटर प्लांट 4.40 लाख टन प्रतिबर्ष, और ब्लास्ट फर्नेश प्लांट जिसकी क्षमता होगी 3 लाख टन प्रतिवर्ष । इस तरह से 103. 65 हेक्टयर में हम विकास के पैमाने की ओर बढ़ रहे है और विकास का पैमाना क्या होना चाहिए इस पर मन्थन होना चाहिए। इतने सारे उद्योगों से निकलने वाली जहरीली खतरनाक प्रदुषण से बचने और बचाने के लिए 30 जुलाई को कोरोना काल के बावजूद एक बार फिर से ढोंग और स्वांग रचे जाएंगे जिसके समस्त प्रभावित गांव के ग्रामीण इसके गवाह बनेंगे।