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कही जनसुनवाई का विरोध मौखिक व कागजी लिखा पढ़ी तक न सिमट कर रह जाये?

रायगढ़ से शशिकांत यादव

रायगढ़-/- जिले में उधोग घरानों की जनसुनवाई को लेकर हमेशा से ही विरोध होते देखने को मिला है। परंतु इन उधोगो की होने वाली निर्विवाद सम्पन्न जनसुनवाई कई सवालिया निशान खड़े करता है।कि आखिरकार जनसुनवाई के पूर्व हुंकार भरने वाले प्रकृति प्रेमी आखिरकार जनसुनवाई के दिन कहा चले जाते है। विश्वसिनीय सूत्रों की माने तो जिन उधोग घरानों की जनसुनवाई सम्पन्न होनी होती है। उसके नुमाइंदे पूर्व से ही ऊपर से नीचे सेटिंग के खेल में लग जाते है। ऐसी ही स्थिति अब सिंघल इंटरप्राइजेज की जनसुनवाई को लेकर देखने को मिल रही है। जितना विरोध किसी भी जनसुनवाई का कागजी अथवा मौखिक के साथ सोशल मीडिया में देखने को मिलता है। इसके 50 प्रतिशत भी आबादी यदि जनसुनवाई स्थल पर पहुचकर अपनी आपत्ति दर्ज कराए तो सम्भवतः परिस्थितियां दूसरी हो?

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