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महाजेंको की बढ़ने वाली है मुश्किल …..सूचना का अधिकार से हुआ खुलासा अभी और परत खुलनी बाकी है ….. महाजेंको में कोयला प्रभावित क्षेत्र के 14 पंचायतों में लगा सूचना का अधिकार ……. अब तक के खुलासे में लग रहा गम्भीर आरोप …. मामला है संगीन इसलिए ….पढ़े पूरी खबर

 

रायगढ़।

महाजोंको द्वारा कोल ब्लॉक क्लियरेंस में लिए जिन पंचायतों की ग्राम सभा का एनओसी मिलना बताया जा रहा है उसका पंचायत प्रतिनिधि खुलकर मुखालफत कर रहे हैं। बताए जाने वाले एनओसी को फर्जी बताते हुए कम्पनी प्रबन्धन को संदेह के दायरे में ला खड़ा के दिया है।

महाजेंको प्रबन्धन द्वारा एनओसी उस समय की बताई गई है जब त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर अचार संहिता लग गई थी और पंचायत बॉडी भंग हो चुकी थी। प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रभावित 14 पंचायत की महाजेंको द्वारा एनओसी मिलना बताया गया और जिस तारीख का मिलना बताया गया है वह सन्देह के दायरे में है क्योंकि उस दौरान पंचायत चुनाव की घोषणा हो चूकी थी और ऐसे में ग्राम सभा का आयोजन भी नहीं किया जा सकता है।

 

पंचायत द्वारा सूचना के अधिकार के तहत दी गई जानकारी

महाजेंको द्वारा 23.60 एमटी प्रति वर्ष कोयला उत्पादन के लिए 3 बार जन सुनवाई रखी गई लेकिन 2 बार निरस्त हुई और तीसरी बार जब जनसुनवाई कराई गई तब भी प्रभावित ग्रामीणों का भारी आक्रोश देखा गया था जन सुनवाई स्थल को ग्रामीणों द्वारा चारो तरफ से घेर रखा था कोई भी सुनवाई में हिस्सा नहीं ले सकता था जब गांव के लोगों ने घुसने नही दिया तब कंपनी प्रबन्धन द्वारा उन 54 लोगों से कम्पनी के पक्ष में बुलवाया जो जन सुनवाई स्थल पर लगे टेंट भोजन पानी आदि की व्यवस्था में लगे थे। इनमें से कुछ को विपक्ष में भी बुलवाया था ताकि सुनवाई किसी भी तरह से फर्जी न लगे। जन सुनवाई स्थल पर विरोध करने वाले ग्रामीणों का हुजूम इतना था कि कोई भी परिंदा अंदर जाकर पर नहीं मार सकता था। यहां तक कि जन सुनवाई कराने वाले अधिकारियों तक को ग्रामीणों ने रोकने तक कि कोशिश की गई। जिनके खिलाफ पुलिस ने सरकारी काम मे बाधा डालने के धाराओं में अपराध दर्ज किया। जन सुनवाई के विरोध में हजारों ग्रामीणों ने तहसीलदार श्री कश्यप को जन सुनवाई के विरोध में ज्ञापन भी सौंपा था।

दरअसल आरोप इस तथ्य पर लग रहे हैं कि जब जनसुनवाई के बाद त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की घोषणा हो गई थी और इसी समय की तिथि पर महाजेंको (महाराष्ट्र स्टेट पावर) द्वारा एनओसी मिलने दावा किया जा रहा है। चूंकि यह पूरा क्षेत्र 5 वी अनुसूची के अंतर्गत आता है ऐसी स्थिति में नियम है कि अनापत्ति सम्बंधित जब भी कोई ग्राम सभा होगी उसके लिए अनुविभागीय अधिकारी द्वारा पत्र जारी किया जाएगा और पत्र जारी होने के 15 दिवस के बाद ग्राम सभा की तिथि समय व स्थल के निर्धारण की सूचना जारी की जाएगी। साथ ही ग्रामीणों को इसके लिए जागरूक होने मुनादी, दीवाल

लिबरा पंचायत द्वारा सूचना के अधिकार के तहत दी गई जानकारी

लेखन आदि के माध्यम से ग्राम सभा की तिथि स्थान समय का प्रचार प्रसार किया जाएगा। ग्राम सभा का आयोजन अनुविभागीय अधिकारी के अधीनस्थ अधिकारी तहसीलदार, नायाब तहसीलदार को शामिल होना अनिवार्य होता है। इस दौरान की सम्पूर्ण कार्यवाई की फोटोग्राफी वीडियो ग्राफी भी कराया जाना अनिवार्य होता है।
यह सब कब और किसकी उपस्थिति में हुवा इसका भी उल्लेख किसी भी प्रभावित पंचायत के पंचायत रजिस्टर में उल्लेख नही हैं।

ग्रामीणों ने महाजेंको के अधिकारियों पर गम्भीर फर्जीवाड़ा करने का आरोप लगाया है। वहीं लिबरा और गारे पंचायत के सचिव द्वारा जो सूचना के अधिकार में जानकारी दी गई है उसके अनुसार बताई गई तिथियों में ग्राम स्तर पर कोई ग्राम सभा हुई ही नहीं है । ग्रामीणों ने इस बाबत खुलकर मोर्चा खोलने की की तैयारी में है।

दो पंचायतों द्वारा लिखित पत्र जन चेतना मंच और मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत तमनार को भी पत्र लिखकर पंचायत की ओर से महाजेंको किसी भी तरह के एनओसी देने से इंकार किया है।

 

इस मामले में राजेश त्रिपाठी द्वारा 14 ग्राम प्रंचायत में सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई थी जिसमे से दो की जानकारी प्राप्त हो गई है। जानकारी देने वाले दोनों पंचायत सचिव द्वारा महाजेंको को बताई गई तारीख में ग्राम सभा एनओसी नहीं दिए जाने की लिखित जानकारी दी है।


 

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