
अवैध वसूली मामले में सहकारिता उप पंजीयक को बचाना चाह रहे जांच अधिकारी….. मंत्री और कलेक्टर के निर्देश की भी परवाह नहीं ……कलेक्टर के निर्देश के 3 माह बाद भी जांच नहीं हुई पूरी ….वसुलीबाज सहकारिता निरीक्षकों पर कार्रवाई की मांग ….क्यों न हो इस अधिकारी के भ्रष्टाचार की सीबीआई जांच …
रायगढ़। भ्रष्टाचार और अवैध वसूली के आरोप में घिरे सहकारिता उप पंजीयक को जांच अधिकारी ही बचाने में तुले हुए हैं । कलेक्टर के निर्देश के बाद भी 3 माह में जांच रिपोर्ट पेश नहीं की गई है । इससे लगता है कि जांच अधिकारी उप पंजीयक के साथ मिले हुए हैं। विभाग से जुड़े सूत्र बताते हैं की इस अधिकारी के भ्रष्टाचार मामले की पूरी जांच सीबीआई को सौंपी जानी चाहिए। और इनके संपत्ति की भी जांच होनी चाहिए सूत्र बताते हैं की उनके सर्विस काल और आय से संबंधित जांच हो जाए तो इस अधिकारी के भरष्टाचार की पूरी पोल खुल जायेगी।
सहकारिता उप पंजीयक रायगढ़ श्री जायसवाल पर सहकारी समिति प्रबन्धको से प्रति क्विंटल धान में 1 रुपये अवैध वसूली का आरोप है। बकायदा समिति प्रबंधकों ने मंत्री उमेश पटेल और कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा को लिखित में शिकायत कर उप पंजीयक और उनके अधीनस्थ वसुलीबाज सहकारिता निरीक्षकों पर कार्रवाई की मांग की थी। यह शिकायत मिलने के बाद मंत्री उमेश पटेल खासे नाराज हुए थे। उन्होंने कलेक्टर को इस मामले में सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। मंत्री के निर्देश के बाद कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा ने मामले के जांच के आदेश दिए। उन्होंने रायगढ़ के अपर कलेक्टर राजीव पांडेय को जांच अधिकारी बनाकर माह भर में जांच प्रतिवेदन पेश करने का आदेश दिया था। लेकिन जांच अधिकारी प्रारम्भ से ही उप पंजीयक और आरोपी वसुलीबाज सहकारिता निरीक्षकों पर नरम व्यवहार बनाये रखा और समिति प्रबन्धको से बयान लेने के नाम पर उन्हें डराया धमकाया जाता रहा जिसके कारण अधिकांश समिति प्रबंधक वसूली की बात से मुकर गए। लेकिन कुछ अभी भी अडिग है। ऐसे में समिति प्रबन्धको का बयान पूरा नही होने की बात कहकर अब तक जांच को अपर कलेक्टर द्वारा अटकाया जा रहा है। कुल मिलाकर जांच अधिकारी वसूली के आरोप में घिरे उप पंजीयक जायसवाल को बचाने के फिराक में दिख रहे है। वरन ऐसे गम्भीर मामले जिसमे खुद मंत्री का निर्देश हो उसमें 3 माह की लेटलतीफी नहीं होती। यहां बताना लाजिमी होगा कि उप पंजीयक जायसवाल पर पुरुष निरीक्षकों के साथ साथ महिला निरीक्षकों से भी अवैध वसूली करवाने का आरोप है। अब ऐसे में कलेक्टर को ही बड़ा एक्शन लेना होगा। नहीं तो किसानों के लिए बनी सहकारी समितियों को खोखला करने वाले भ्रष्टाचारी आसानी से बच निकल जाएंगे।