माइनिंग इंस्पेक्टर की शह पर अवैध उत्खनन..? साहब के खनिज माफियाओं से हैं प्रगाढ़ सम्बन्ध..? 200 में मिल रही क्लीन चिट…
कोरिया जिले के खंडगवा क्षेत्र में इन दिनों अवैध उत्खनन का कार्य बड़े जोरों पर चल रहा है। खड़गवां बचरा पोड़ी और बैकुंठपुर वाले इलाके में भौगोलिक दृष्टिकोण से पूरे पथरीले इलाके हैं। बताया जाता है कि हर एक स्थान पर विभाग से संरक्षण प्राप्त पत्थर सप्लायर द्वारा बड़े पैमाने में पत्थर उत्खनन कर क्रेशरों में पहुंचाया जा रहा है। बताया जाता है कि प्रतिदिन एक-एक सप्लायर 50 से अधिक गाड़ी उत्खनन करता है और क्रेशरो से आई डिमांड को पूरा करने का काम करता है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक एक गाड़ी पर लगभग ₹700 रॉयलिटी होती है पर मात्र ₹ 200 ट्रैक्टर विभागीय अधिकारी कर्मचारियों को देकर इनके द्वारा भारी भरकम राजस्व चोरी किया जाता है।खानापूर्ति के लिए जब विभाग उस इलाके में जाता है तो उनके द्वारा या उनके कर्मचारियों द्वारा उन्हें सूचित कर दिया जाता है वे सचेत हो जाते है।
उल्लेखनीय है रहे कि खनिज विभाग में इन दिनों पदस्थ अधिकारियों कर्मचारियों के अपने द्वारा निर्धारित पैमानों के आड़ में बड़े पैमाने पर राजस्व का गबन का कार्य जारी है। चर्चे यह भी हैं कि विभाग में कार्यरत एक अकेले इंस्पेक्टर साहब के जलवे ही जलवे है उनका दौरा जब इन इलाकों में होता है तो कुछ इनके चहेते कर्मी तय स्थानों पर पहुंचकर निर्धारित शुल्क लेकर साहब को क्लीन चिट देते हैं। तब साहब उनको एक माह तक फिर से काम करने की अनुमति दे देते हैं यह वसूली लगभग लाखो में होती है, इस्पेक्टर साहब के दौरे के दौरान लगभग सभी ट्रैक्टर बंद रहते हैं और क्षेत्र में संचालित लगभग क्रेशर बंद रखे जाते हैं। चर्चाओं का बाजार इतना गर्म है कि ग्राम दुबछोला स्थित चर्चित होटल पर सभी पत्थर माफिया इकट्ठा होकर इनका दूल्हे राजा की तरह स्वागत करते हैं, पूरी खातिरदारी होने के बाद फिर शाम तक साहब और उनकी सेना कि वापसी हो जाती है,और इस तरह से साहब अपनी जिंदगी का सबसे बेहतरीन स्वर्णिम दौर कोरिया जिले में बिता रहे हैं।
खंडगवा क्षेत्र से सैकड़ो ट्रॉली प्रतिदिन एकत्र एक एक क्रेसर में किया जाता है और क्रेसिग कर महंगे दाम पर चिरमिरी, नागपुर, कोरबी, मरवाही, पेंड्रा, चर्चा कॉलरी आदि क्षेत्रों में लगभग दो दर्जन हाईवा के माध्यम से पूरे क्षेत्र में बेचा जा रहा है। यह खेल बड़े लंबे समय से चल रहा है। इन हाइवा संचालकों के भी इंस्पेक्टर साहब से मधुर संबंध होना बताया जाता है इनके मालिक अपनी गाड़ी नंबर इन साहब के पास दिए हुए हैं और उसका मासिक पैसा इनके द्वारा इंस्पेक्टर साहब को या उनके अधिकृत किसी खनिज विभाग के कर्मचारी को दिया जाता है। जिन गाड़ियों का पैसा आ जाता है उन्हें चेक नहीं किया जाता और जिनके द्वारा थोड़ा भी लेट किया गया फिर उसे शाम तक खड़ा कराया जाता है और जुर्माने की आधी राशि और माह का पैसा लेकर उसे छोड़ दिया जाता है। यदि खनिज विभाग के अधिकारी कर्मचारियों का मोबाइल नंबर की गहराई से जांच कराई जाए तो सब दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा। इनके सभी नंबरों में खनिज माफियाओं से काफी मधुर संबंध होना बताया जाता है और जब भी कोई कार्यवाही होनी होती है तो इन्हीं उगाही करने वाले कर्मचारियों के द्वारा उन्हें सूचित कर दिया जाता है और इस तरफ से मिलजुल कर सरकारी राजस्व का भ्रष्टाचार किया जा रहा है।