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राज्योत्सव के अवसर पर शहीदों के प्रतीक जय स्तंभ पर रोशनी करना भूला प्रशासन.. पत्रकारों ने ली सुध

 

ध्रुव द्विवेदी मनेन्द्रगढ़

शहीदों की चिताओं पर जुड़ेंगे हर बरस मेले वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशा होगा। यह पंक्तियां जब प्रख्यात कवि जगदंबा प्रसाद मिश्र हितैषी ने 1916में लिखी होंगी तो उसके दिमाग में अमर शहीदों के प्रति जो जज्बा और जो सोच रही होगी वह साफ तौर पर झलकती है, लेकिन कभी किसी ने सोचा नहीं होगा कि हम जैसे जैसे विकास की दिशा में आगे बढ़ते जाएंगे वैसे-वैसे उन लोगों को भूलते जाएंगे जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व निछावर कर दिया।
1 नवंबर को छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना की वर्षगांठ पर राजधानी रायपुर में बड़े आयोजन हो रहे हैं वहीं सभी सरकारी भवनों में रोशनी की व्यवस्था की गई है ।सरकारी भवन रोशनी से जगमग आ रहे हैं ।लेकिन इसे दुर्भाग्य नहीं तो और क्या कहेंगे कि जिन शहीदों ने इस देश की आजादी के लिए हंसते-हंसते अपने प्राण निछावर कर दिए उनकी याद में बनाए गए जयस्तंभ अंधेरे में डूबे रहे। किसी भी अधिकारी और जनप्रतिनिधि का इस ओर ध्यान नहीं गया कि जब राज्य में स्थापना वर्षगांठ का उत्सव मनाया जा रहा है तो इन स्तंभों में भी रोशनी कर दी जाए । इस बात की जानकारी होने पर मनेन्द्रगढ़ के पत्रकारों ने एक पहल की और ज्यस्तम्भ में मोमबत्ती जलाकर अमर शहीदों को नमन किया। लेकिन इसे लापरवाही कहें या फिर सरकार की संवेदनहीनता जिसने इस ओर ध्यान देना भी उचित नहीं समझा कि जिनकी बदौलत आज हम यह जश्न मना रहे हैं उनकी याद में बने जय स्तंभ पर रोशनी करवा सकें।

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