छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी… नरवा, गुरूवा, घुरवा, बाड़ी गाँव ल बचाना है.. संगवारी.. – राज्यमंत्री कमरो
अनूप बड़ेरिया
सरगुजा विकास प्राधिकरण उपाध्यक्ष (राज्यमंत्री) एवं भरतपुर-सोनहत विधायक गुलाब कमरो ने प्रदेश सरकार की विकासोन्मुखी नवीन योजना नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी के संबंध में जिला, जनपद एवं ग्राम पंचायत स्तर पर बड़े पैमाने में प्रचार-प्रसार की आवश्यकता पर जोर दिया
है। उन्होंने मुख्यमंत्री द्वारा प्राथमिकता क्रम पर चिन्हित छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी, गांव ल बचाना है संगवारी का नारा देते हुए ग्रामीण क्षेत्र की जनता को इस योजना से जोड़ने के लिए तेजी से काम करने के निर्देश दिए।
राज्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी योजना से ग्रामीण जनों को जो लाभ प्राप्त होंगे उस पर
क्रमवार विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि नरवा योजना का प्रमुख उद्देश्य नरवा संरक्षण के माध्यम से कृषि संबंधित गतिविधियों के साथ आर्थिक लाभ को बढ़ावा देना है जिससे ग्रामीण किसानों को रोजगार के साथ-साथ कृषि से आय में वृद्धि हो सकेगी। उन्होंने कहा कि जल स्रोत का संरक्षण एवं पुराने स्रोत को आवश्यकतानुसार सुधार करते हुए उपयोगी बनाना है, ताकि अनावश्यक बहने वाले पानी के बहाव में रोक लगाकर जल स्रोत में वृद्धि हो सके।
गरूवा विकास हेतु अपनाई जाने वाली प्रक्रिया के विषय में उन्होंने कहा कि गौठान निर्माण में पशु विश्राम हेतु चबूतरा, सीपीटी तार फेंसिंग, कंपोस्ट पीट, वर्मी कंपोस्ट, पशु शेड इत्यादि का निर्माण स्थानीय भौगोलिक परिस्थिति के अनुरूप किया जा रहा है जिसमें चार से पांच एकड़ की ऊंची भूमि का चयन कर बड़े वृक्षों वाले छायादार स्थल को प्राथमिकता क्रम से चयन कर इस बात का ख्याल रखा जाता है कि चयनित स्थल पर बरसाती पानी का भराव न हो।
उन्होंने कहा कि गौठान परिसर में पशु शेड का निर्माण अपंग, बूढ़े, अशक्त, बीमार पशुओं को रखने हेतु व्यवस्था की जा रही है। इस शेड में बीच में चारे एवं पानी के नालों की व्यवस्था की जा रही है जिससे दोनों ओर पशु खड़े होकर पानी एवं चारा ग्रहण कर सकें। गौठान में पशुओं हेतु पैरा, भूसा के साथ-साथ पशुओं के उपचार की पूरी व्यवस्था की गई है। गौठान में वर्मी कम्पोस्ट खाद्य
निर्मित किया जा रहा है जैसे 20 वर्मी कंपोस्ट पिट निर्मित होने से 20 दिन में प्रतिदिन 1 पिट में वर्मी कम्पोस्ट खाद तैयार मिलेगा जिसके विक्रय से आय प्राप्त हो सकेगी जिसका उपयोग गौठान के संरक्षण एवं संवर्धन किया जावेगा। गौठान के कार्य हेतु पंजीकृत चरवाहों को रोजगार उपलब्ध हो सकेगा। साथ ही गौमूत्र एकत्रित कर पंचगव्य आधारित दवाई बनाकर अतिरिक्त आय अर्जित करने का प्रयास जारी है।
घुरूवा के संदर्भ में राज्यमंत्री कमरो ने कहा कि घुरूवा अंतर्गत उन्नत कृषि तकनीकी का
उपयोग करते हुए स्थानीय स्तर पर गुणत्तायुक्त कम्पोस्ट निर्माण के लिए विकसित तकनीक नाडेप व वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन इकाई की स्थापना से रासायनिक उर्वरक पर निर्भरता व काश्त लागत में कमी आएगी, जैविक खाद के उपयोग में वृद्धि से मिट्टी में आर्गेनिक कार्बन में वृद्धि होगी, मृदा स्वास्थ्य में सुधार, पर्यावरण संरक्षण एवं मानव स्वास्थ्य में सुधार होगा, पशुधन का संरक्षण एवं संवर्धन बेहतर होगा, गाँव में जीविकोपार्जन के नवीन अवसर सृजित होंगे, दूसरी फसल की तैयारी
हेतु धान के अवशेष जलाने की प्रथा में कमी आएगी, समन्वित खेती व जैविक खेती का प्रसार होगा, खुली चराई प्रथा में कमी संभावित है जिससे द्विफसलीय क्षेत्र में विस्तार होगा, केंद्रों में बायोगैस संयंत्र की स्थापना से प्राप्त बायो ईंधन व बायो स्लरी उपयोग किया जाएगा।
वहीं बाड़ी विकास हेतु अपनाई जाने वाली प्रक्रिया के विषय में राज्यमंत्री कमरो ने कहा कि बाड़ी में शासन की मंशानुसार खाली स्थानों का समुचित उपयोग किए जाने, सब्जियों के उत्पादन हेतु फसल चक्र अपनाना, जैविक खाद का अधिक से अधिक प्रयोग करना, झाड़ियों, लताओं एवं वृक्षों आदि की समय-समय पर कटाई-छंटाई करते रहना, लतायुक्त सब्जियों को पंडाल या फेंसिंग
का सहारा देने आदि कार्य किया जाना है। बाड़ी प्रबंधन में रासायनिक कीटनाशी दवाईयों का कम से कम उपयोग किया जाना है जब तक आवश्यक न हो दवाईयों का उपयोग नहीं करना है।
इसी तारतम्य में कोरिया जिले के पांचों जनपद पंचायत क्षेत्रों में गौठान की स्वीकृति की गई है। जिससे स्थानीय ग्राम पंचायत स्तर के समूह एवं ग्रामीण किसानों की आय में वृद्धि हो रही है।