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नाक का सवाल बनी जिपं की सीट क्रमांक 7 पर कांग्रेस ने झोंकी पूरी ताकत..संगठन व विधायक सहित तमाम नेताओं का जनसम्पर्क जोरों पर.. मजबूत कांग्रेस प्रत्याशी अनिल जायसवाल को मिल रही निर्दलीय वेदांती और भाजपा के अनिल साहू से कड़ी चुनौती…

नाक का सवाल बनी जिपं की सीट क्रमांक 7 पर कांग्रेस ने झोंकी पूरी ताकत..संगठन व विधायक सहित तमाम नेताओं का जनसम्पर्क जोरों पर.. मजबूत कांग्रेस प्रत्याशी अनिल जायसवाल को मिल रही निर्दलीय वेदांती और भाजपा के अनिल साहू से कड़ी चुनौती…

अनूप बड़ेरिया
त्रिस्तरीय पंचायती चुनावों में कोरिया जिले की जिला पंचायत सीट क्रमांक 7 अति विशिष्ट सीट मानी जा रही है। जिला पंचायत सदस्य के लिए इस सीट पर ऐसा घमासान मचा हुआ है कि मानो डीडीसी नहीं बल्कि एमएलए का चुनाव हो रहा हैं। यहां कांग्रेस के अनिल जायसवाल और भाजपा के अनिल साहू का मुकाबला कांग्रेस के ही स्वतंत्र उम्मीदवार वेदांती तिवारी से माना जा रहा है। इसके अलावा कांग्रेस के ही निर्दलीय चंद्रप्रकाश राजवाड़े, गोंडवाना के शिव यादव एवं भाजपा के ही स्वतंत्र उम्मीदवार  विन्ध्येश पांडेय भी आंशिक रूप से अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में सफल हो रहे हैं।
यह सीट नंबर 7 कॉंग्रेस के लिए नाक का सवाल बन गई है और कांग्रेस ने अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए पूरी ताकत लगा दी है। जहां प्रत्याशी अनिल जायसवाल दिन रात एक कर डोर टू डोर संपर्क करने के अलावा नुक्कड़ सभाओं और चौपाल का सहारा ले रहे हैं वहीं कांग्रेस विधायक श्रीमती अंबिका सिंह देव जिला अध्यक्ष नजीर अजहर पीसीसी सचिव योगेश शुक्ला ब्लॉक अध्यक्ष अजय सिंह जिला सचिव सुरेन्द्र तिवारी नगर अध्यक्ष दीपक गुप्ता बृजवासी तिवारी सहित तमाम बड़े चेहरे कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन में दिन रात एक किए हैं पैदल यात्रा हो या वाहन रैली हर तरह के पैतरे अपना कर कांग्रेस छत्तीसगढ़ में अपनी सरकार बताकर मतदाताओं को लुभाने में लगी हुई है। सच्चाई यह है कि आरंभिक तौर में कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी अनिल जयसवाल की स्थिति काफी कमजोर थी लेकिन हाल ही के तीन-चार दिनों में जिस तरह कांग्रेस ने धुआंधार प्रचार किया है उसके बाद मतदाताओं के बीच उनकी पैठ जमने लगी है और अब वह फिर मुकाबले में दमदार इसे वापस नजर आ रहे हैं इस त्रिकोणीय सीट में कांग्रेस की स्थिति अब काफी मजबूत नजर आने लगी है।
लेकिन इस सच्चाई से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता की कांग्रेस के ही स्वतंत्र उम्मीदवार वेदांती तिवारी की सभाओं में जिस तरह भीड़ उमड़ रही है और स्वमेव व कार्यकर्ता जुड़ रहे हैं उससे उनकी मजबूत पोजीशन बनी हुई है लेकिन यह लहर वोट में तब्दील होती है और आखिरी तक बनी रहती है तभी यह माहौल निर्णायक साबित होगा। आपको याद होगा कि वेदांती तिवारी को कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया इसलिए वह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरे हैं। यह भी सत्य है कि यदि वह कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी रहते तो शायद उन्हें इतना भारी जनसमर्थन नहीं मिलता। वहीं राजनीतिक पंडित इसे सहानुभूति माहौल बता रहे हैं।
सबसे हैरानी की बात यह है कि भाजपा के अनिल साहू भी काफी मजबूत प्रत्याशियों में से एक हैं। लेकिन कांग्रेस अपनी सभाओं में भाजपा प्रत्याशी अनिल साहू पर अटैक नहीं कर रही है बल्कि उसके निशाने पर वेदांती तिवारी रहते हैं। इसी प्रकार निर्दलीय वेदांती तिवारी की सभाओं में कांग्रेस के आरोपों का जवाब दिया जाता है ना कि अनिल साहू का जिक्र होता है। इससे साफ है कि कांग्रेस और निर्दलीय प्रत्याशी दोनों ही अनिल साहू को काफी हल्के में ले रहे हैं जो उनकी राजनीतिक भूल भी हो सकती है। अनिल साहू के लिए भी भाजपा संगठन ने पूरी ताकत लगा दी है, यही वजह है कि यह मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है और 28 जनवरी के पहले कोई भी यह दावा नहीं कर सकता की दो अनिल और वेदांती की लड़ाई में कौन जीतेगा।

कहीं ऐसा ना हो कि इनकी लड़ाई में चौथा बुचक कर न निकल जाए..! हालांकि यह संभव नजर नहीं आ रहा। पर जैसा कि सब जानते हैं राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है….

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