
तालाब की जमीन पर दबंगई निजी भूमि बताकर पड़ोसियों को कर रही परेशान….बाउंड्री कर लगाया गेट पट्टे धारियों को रसूख का दिखा रही भय…माधोबन तालाब पर 1962 से कब्जे का दावा …पीड़ितों की मांग मामले की हो पूरी जांच … दावे की भी हो जांच ताकि विष्णु के सुशासन में सबको मिले न्याय
रायगढ़। शहर के मधुबन पारा स्थित माधोबन तालाब की जमीन पर एक महिला द्वारा अपने राजनीतिक पहुंच के दम पर दबंगई कर मोहल्लेवासियों के नाक में दम कर रखा है। यहां तक कि लोगों के घरों से निकलने वाले निकासी के पानी तक को रोकने की धमकी दी जा रही है। इतना ही नहीं पट्टेधारियों को धमका कर तोड़फोड़ करने की धमकी दी जा रही है। पीड़ित के रजिस्ट्री पेपर में दक्षिण में स्पष्ट रूप से माधोबन तलाब दर्ज है। और उसी तलाब को शिकायतकर्ता अपनी निजी भूमि बताकर मोहल्लेवासियों का जीना हराम कर दिया है।

मधुबन पारा स्थित तालाब की बची जमीन पर एक राजनीतिक रसूख रखने वाली महिला पंकजलता के द्वारा मोहल्लेवासियों को परेशान कर रखा गया है। उसके द्वारा तालाब की जमीन पर न सिर्फ कब्जा कर टुकड़ों में बेचा जा रहा है जिसे वह अपनी निजी जमीन बता रही है।

वहीं से मोहल्लेवासियों के निस्तारी का पानी निकालने बने नाली को भी तहस नहस कर नाली को अन्यत्र से निकालने की बात कही जा रही है। एक पट्टे की जमीन पर बने मकान के पैठा को जेसीबी से तुड़वा दिया गया और बाकी को तोड़ने बकायदा नोटिस भिजवाया गया है। जिसमे उल्लेख किया गया है की आप स्वयं तोड़े अन्यथा हमारे द्वारा जेसीबी बुलाकर तुड़वाया जायेगा और उसका खर्चा भी आपको देना होगा। नोटिस मिलते ही पट्टेधारी द्वारा अपना जवान मय दस्तावेज के निगम में जमा कराया लेकिन महिला के आतंक को लेकर लोगों में भय व्याप्त है।

पीड़ित पक्ष निगम प्रशासन से शिकायत के पूरे मामले में पहले जांच होनी चाहिए किसका निर्माण पट्टे की भूमि पर है और किसका निर्माण शासकीय भूमि पर है। पीड़ित पक्ष और मोहल्ले वासियों का कहना है कि इस मामले में निगम प्रशासन जांच करती है तो स्थिति पूरी तरह साफ हो जाएगा।

शिकायतकर्ता खुद स्वयं माधोबन तालाब को पटवा कर कब्जा कर घेराबंदी की गई है जिसे पूरी तरह कब्जियाने षडयंत्र रचा जा रहा है। इस मामले में खास बात ये है कि जिसका पैठ तोड़ा गया है और जिससे विवाद है उसे नोटिस न देकर अन्य व्यक्ति के नाम पर नोटिस जारी करवाया गया है। नोटिस प्राप्तकर्ता और अन्य ने भी निगम प्रशासन से मांग की है कि शिकायत पर नोटिस मामले में शिकायतकर्ता महिला के निर्माण और कब्जे की भी जांच की जाए।
शिकायतकर्ता राजनीतिक रसूख रखने वाली महिला का कहना है उस जमीन पर उनके पुरखों का 1962 से कब्जा है जबकि वस्तुस्थिति तो ये है कि तलाब पर अतिक्रमण 90 के दशक के बाद शुरू हुआ। अब इसकी जांच होनी चाहिए ताकि विष्णु के सुशासन में सबको न्याय मिल सके।