लोकशक्ति : मिलकर कर रहा पूरे रायगढ़ का जतन* *कोरोना संक्रमण रोकथाम से लेकर वैक्सीनेशन तक में गांव स्तर पर निभाई महत्वपूर्ण भूमिका* *विपरीत परिस्थतियों में भी नहीं डिगे “लोकशक्ति” के स्वंयसेवकों के पग*
रायगढ़ से शशिकांत यादव
रायगढ़ 31 जुलाई 2021, रायगढ़ जिले ने कोरोना संक्रमण की पहली और दूसरी लहर पर बहुत ही तेज गति से नियंत्रण पाया है और उसके बाद कोविड वैक्सीन लगाने के मामले में 86 फीसदी से अधिक दर की प्रगति प्राप्त करने के साथ ही सूबे में अव्वल है। जिले को इस बेहतर स्थिति में लाने के लिए प्रशासन के साथ कदम-से-कदम मिलाकर चल रहे “लोकशक्ति” गैर सरकारी संगठन का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इसमें उनकी सहायता की है अजीम प्रेमजी फाउंडेशन ने।
लोकशक्ति के बैनर तले ‘करबो मिल के जतन’ कार्यक्रम बीते एक साल से चलाया जा रहा है। जिसका मुख्य उद्देश्य समुदाय को जागरूक करना है ताकि अपने जीविकोपार्जन को इस संक्रमण काल में सुव्यवस्थित ढंग से संचालित कर सकें । संस्था द्वारा ग्राम पंचायत की मितानिन, आंगबाड़ी कार्यकर्ता और वहां बनी ग्राम स्वास्थ्य एवं स्वच्छता समिति को जागरूक करने जैसे महत्वपूर्ण कार्य किये जा रहे हैं। संस्था स्वंय सेवकों के माध्यम से पंचायतों में यह जानकारी देती है कि कोविड क्या है, कोविड के फैलने का कारण क्या है, इसके रोकथाम के 6 हथियार किस तरह से कारगर है, लोग वैक्सीन के माध्यम खुद के साथ समाजे के दूसरे व्यक्ति को भी सुरक्षित रख सकते हैं । इसके अतिरिक्त सरकार के स्वास्थ्यगत सिस्टम को मजबूत करने के लिए भी संस्था मदद कर रही है यह कार्य जिले के हर गांव में स्थापित ग्राम स्वास्थ्य योजना समिति को सुदृढ़ करके “करबो मिल के जतन” के तहत किया जा रहा है। इसके लिए हर गांव में संस्था के वॉलिंटियर्स हैं, 10 गांवों को एक क्लस्टर कोऑर्डिनेटर और 8 क्लस्टर कोऑर्डिनेटर को कोऑर्डिनेटर देखते हैं। इस तरह लोक शक्ति के करीब 300 लोगों की टीम जिल के खरसिया, पुसौर और धरमजयगढ में कार्यरत है।
पुसौर में 98 फीसदी से अधिक कोविड वैक्सीनेशन हुआ है तो उसमें लोकशक्ति के करबो मिल के जतन कार्यक्रम का बड़ा हाथ है। इसमें 25 फीसदी लोगों का रजिस्ट्रेशन कराना और उन्हें टीका केंद्र तक लाने की जिम्मेदारी लोकशक्ति के स्वंय सेवकों की ही थी। इसी तरह खरसिया और धरमजयगढ़ में टीकाकरण के लिए लोगों को प्रेरित करना, उनका रजिस्ट्रेशन करना और भ्रांतियों को दूर करना संस्था के स्वंय सेवक कर रहे हैं।
*विरोध के बावजूद डटे हैं वॉलिंटियर्स*
“करबो मिल के जतन” का काम इतना आसान नहीं है। संस्था की विनीता तिवारी कहती हैं, “कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए संस्था जिले के दूरस्थ अंचलों में काम कर रही है। खांटी आदिवासी समाज जो डॉक्टरी इलाज और दवा को नहीं मानते और अपनी खुद की चिकित्सा पद्ति के भरोसे ही जीवन यापन कर रहे हैं उन्हें कोरोना संक्रमण और उसके रोकथाम को समझाना और कोविड वैक्सीन लगवाने के लिए प्रेरित करना आसान नहीं था किन्तु यह कार्य हमारे लोगों ने बखूबी किया है। विरोध का सामना करते समय हमारे वॉलिंटियर्स ने संयम रखते हुए कार्य किया है। गुरुवार को धरमजयगढ़ के शाहपुर ग्राम की वॉलिंटियर अंजली दूधिया ने एक गर्भवती महिला को कोविड टीका लगवाया था। टीका लगाने के दूसरे दिन उस महिला को बुखार आया। अंजलि उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर गई लेकिन इधर घरवालों में यह अफवाह फैल गई कि गर्भवती महिला के बच्चे की सांसे नहीं चल रही है। घरवालों ने आव-देखा न ताव अंजलि के घर हंगामा करने पहुंच गए। फोन पर जब अंजलि ने डॉक्टर से बात कराई तो उन्होंने परिजनों को समझाया कि गर्भवती महिला ठीक और उसका बच्चा भी स्वस्थ है। 108 एंबुलेंस के माध्यम से प्रसव के लिए हम उसे धरमजयगढ़ सिविल अस्पताल भेज रहे हैं। ऐसे कई उदाहरण हैं जिनके बीच “करबो मिल के जतन” बेधड़क जारी है।“
*हम चुनौतियों का सामना कर रहे हैं और करते रहेंगे : श्याम सुंदर यादव*
लोकशक्ति के डायरेक्टर श्याम सुंदर यादव बतात हैं, “करबो मिले के जतन एक सामुदायिक पहल है। जिसमें ग्राम-जनपद पंचायत, महिला एवं बाल विकास, राजस्व अमला साथ में है। किसी भी परेशानी में एसडीएम, बीएमओ, डॉक्टर तुरंत जवाब और सुविधा मुहैय्या कराते हैं। प्रशासनिक योगदान पूरा मिलता है। हम ग्राम या जनपद स्तर पर एक छतरी का निर्माण कर रहे हैं और इस छतरी के नीचे हम मितानिन, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, स्वास्थ्य कार्यकर्ता और पार्षद को लेकर आए हैं। जिसमें डोर-टू-डोर मिलकर लोगों के मन की भ्रांतिया को सही करना शामिल है। हमारे लिए धरमजयगढ़ बड़ी चुनौती है क्योंकि वहां की भौगौलिक स्थिति विपरीत है। बरसात में यहां के ग्रामों में जाना कठिन हो जाता है। यहां कई गांवों में शहरीकरण का प्रभाव नहीं पड़ा है तो वह स्वास्थ्य से ज्यादा नहीं जुड़े हैं। घरेलू उपचार से ही जीते हैं। इन्हें वैक्सीन के लिए लेकर लाना हमारी बड़ी उपलब्धि है। 3,000 विशेष जनजाति परिवार हैं। जंगल में तीर-कमान चलाते हैं और इन्हें हम वैक्सीन के लिए राजी कर रहे हैं। हम चुनौतियां का सामना कर रहे हैं और आगे भी करेंगे। ”