
रायगढ़ विधानसभा में महिलाओ की दावेदारी से बदला सियासी समीकरण…. घर के चूल्हा चौका से निकल कर बाहर आया इनका भी जिन्न ….सियासत की ताल से ताल बजाने हम भी हैं तैयार…… मची है राजनीतिक गलियारों में नायक के कई हैं विकल्प और जीत भी पक्की
रायगढ़ ।
रायगढ़ विधान सभा से पिछले 2018 के विधानसभा चुनाव में महिला प्रत्याशी बनाये जाने को लेकर काफी हद तक चर्चा हुई थी की तत्कालीन संभवित प्रत्याशी ने इस बात पर हाई कमान को कहा की तुरंतफुरंत में पत्नी को चुनावी मैदान में उतारना मुमकिन नही है सो बातें रह ही गई।
अटकलें है की प्रकाश नायक की टिकट कटने के विकल्प पर सुषमा प्रकाश नायक का नाम इन दिनों तेजी से उभर कर सामने आ रहा है। प्रकाश नायक की टिकट कटेगी भी या नहीं यह तो गर्भ में है पर पिछले 2022 को हुए सर्वें में आई रिपोर्ट ने कमजोर विधायकों की आमद करवाई जिसमें रायगढ़ जिले की उपस्थिति हुई और समझाइश हुई की सम्हल जाओ अन्यथा टिकिट काट दी जाएगी। यदि टिकट कटती भी है तो सुषमा प्रकाश नायक के अलावा और भी कई महिला दावेदार सामने आ गए हैं।
सियासी समीकरण बदलने पर सबसे प्रमुखता से पूर्वांचल क्षेत्र से संगीता गुप्ता जो अब तक साइलेंट मोड में थी लेकिन जब से सुषमा प्रकाश नायक की चर्चा शुरू हुई है इनकी भी सियासी दांव पेंच अंगड़ाई लेने लगी है। क्षेत्र के प्रसिद्ध गांधीवादी सर्वोदयी नेता पूर्णचंद्र गुप्ता की पौत्र वधु संगीता गुप्ता जिला पंचायत सदस्य हैं और काफी सक्रिय रहती हैं। पूर्व में भी संगीता गुप्ता का नाम भावी प्रत्याशी की दौड़ में लिया जाता रहा है। संगीता गुप्ता पूर्वांचल क्षेत्र में में एक बड़ा और जाना पहचाना नाम है। और ये किसी भी दावेदारों से कमतर नहीं है।
दूसरा नाम जननायक रामकुमार अग्रवाल की पुत्रवधु अंजना अनिल चीकू एकाएक बाहर आ गया है लोग कहने लगे हैं अनिल चीकू की पत्नी अंजना अग्रवाल को भी किसी प्रभावी दावेदार से कम नहीं आंक रहे है।अनिल चीकू के समर्थक कहते हैं कि पार्टी यदि महिला को टिकट देने की सोचती है तो अंजना अनिल अग्रवाल भी लाइन में है और उनकी दावेदारी सुषमा प्रकाश नायक से बिलकुल भी कमतर नहीं आंका जाना चाहिए। उनके समर्थक कहते हैं की अनिल अग्रवाल ही एक ऐसे नेता हैं जो पूरे विधान सभा क्षेत्र में जगह जगह दीवाल लेखन कराकर भूपेश बघेल की योजनाओं को आम मतदाता तक सही मायने में पहुंचा रहे है। चर्चाओं में भी ये है की अब तक के सभी दावेदारों में अनिल चीकू ही एक ऐसे नेता हैं जिन्होंने जगह-जगह पूरे रायगढ़ जिले में सबसे पहले रायगढ़ विधान सभा क्षेत्र में दीवाल लेखन कराकर भूपेश सरकार की योजनाओं का प्रचार प्रसार करने में कोई कोताही नहीं बरती गई है और इस मामले में भी वे सबसे आगे है। बूथ लेबल कार्यकर्ताओं से लेकर गांव से लेकर शहर तक में उनके कार्यकर्ता मुस्तैदी से काम में जुटे रहते है और बिना शोर-शराबे के अपने काम में लगे होते हैं।टिकट मिले या न मिले इससे सरोकार नहीं,बेरोजगारी दूर करना और आम मतदाताओं को जागरूक करने निःस्वार्थ भाव से चलता रहता रहा है।
जब पुरुष वर्ग राजनीति में रहता है तो महिलाओ के द्वारा घर-गृहस्थी सम्हाली जाती है अब जब पुरुषों ने हामी भर दी तो महिलाएं क्यों पीछे रहें। ऐसे में रायगढ़ का सियासी समीकरण पल में माशा और पल में तोला से ज्यादा खतरनाक होता चला जा रहा है।
अभी आगे और भी हैं सियासी अंगड़ाई जानने के लिए बने रहिए हमारे साथ।
जाया जोहार, जय छत्तीसगढ़