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नागरा मुड़ा गारे पेलमा 4/1 का विस्तार यानि ऑक्सीजोन केंद्र व आदिवासी संस्कृति का पतन…. अनुसूची 5 के तहत मिले अधिकारों का हनन ग्राम सभा प्रस्ताव का नहीं कोई औचित्य…. शहर में एक तरफ शहवासियों के लिए ऑक्सीजोन स्थल विकसित करने कवायद उधर ऑक्सीजोन केंद्र को उजाड़ रहे

शमशाद अहमद/-

रायगढ़। जिले का तमनार ब्लॉक कोयला खदान का एक बड़ा श्रोत है। इसका दोहन करने के लिए औद्योगिक घरानों के द्वारा शाम दाम दण्ड भेद की नीति अपनाकर न सिर्फ प्राकृतिक संपदा का भरपूर उपयोग कर रही है। और प्रभावित ग्रामीण आदिवासी अपना अस्तित्व खोते चले जा रहे हैं। औद्योगिक घरानों के लिए लगातार आरक्षित वनों की कटाई हो रही है। इससे ऑक्सीजन यंत्र का विनाश भी चरम पर है।
तमनार ब्लॉक के नागरा मूड़ा में इन दिनों इसी बात की लड़ाई ग्रामीणों और औद्योगिक घरानों के बीच चल रही है। यहां देश के विख्यात जिंदल समूह को यह कोल ब्लॉक आवंटित किया गया है। इस कोल ब्लॉक के और विस्तार को लेकर ग्रामीण लगातार आंदोलन रत हैं। ग्राम सभा से ग्रामीणों द्वारा पहले ही ग्राम सभा में ग्रामीणों ने एक सिरे से जल जंगल जमीन और अपनी देवी देवताओं के वास स्थल, संस्कृति को बचाए रखने के लिए अंतिम सांस तक लड़ेंगे। लेकिन अब आगे कोयला खदान के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं दिया जाएगा। अनुसूची 5 अंतर्गत पेसा कानून के तहत प्राप्त अधिकार के तहत इस किसी भी औद्योगिक प्रयोजन हेतु ग्राम सभा की सहमति आवश्यक है। आदिवासियों के संरक्षण की मंशा से ही सरकार के द्वारा आदिवासी बाहुल्य इलाकों में अनुसूची 5 यानि पेसा कानून लाया गया है। किंतु यहां देखा जा रहा है औद्योगिक घरानों द्वारा सांठ गांठ कर ग्राम सभा की अनापत्ति को भी दरकिनार कर औद्योगिक प्रयोजन के लिए समूल नाश पर तुले हुए हैं।


जिंदल पावर तमनार के लिए आबंटित कोल ब्लॉक गारे पेल्मा 4/1 का कोयले के लिए विस्तारित किया जाना है। इसकी जद में सैकड़ों हेक्टेयर वन भूमि, सैकड़ों एकड़ में फैले संरक्षित वनों का सफाया हो जायेगा। भारी संख्या में हरे भरे सालों से खड़े पेड़ों की कटाई हो जायेगी। इस क्षेत्र में आदिवासियों के देव भूमि भी स्थित है। जहां गोंड आदिवासी राजाओं के देव स्थल आज भी हैं और आज भी यहां आदिवासी परंपरा के अनुसार जन्म मृत्यु, शादी ब्याह, संस्कार के पूर्व आदिवासी विधि विधान से पूजा अर्चना होती है। जिंदल के कोल ब्लॉक गारे पेलमा 4/1 के विस्तार के लिए अनुमति दी जाती है तो न सिर्फ जैव विविधता का विनाश हो जायेगा एक बड़ा आक्सिजोन का केंद्र बिंदु समाप्त हो जायेगा। और आदिवासी संस्कृति परंपरा के बचे कुछ अंश भी हमेशा हमेशा के लिए समाप्त हो जायेगा।
इसे लेकर नागरा मुड़ा में प्रभावित ग्रामीण और जिंदल के अधिकारी आमने सामने हैं। एक तरफ जिंदल समूह के अधिकारी अपने आकाओं को खुश करने के लिए शाम दाम दण्ड भेद की नीति अपनाकर ग्रामीणों को डरा धमका कर, कानून का भय दिखाकर लगातार प्रताड़ित करते चले आ रहे हैं। यहां तक कि विरोध करने पर ग्रामीणों को नक्सली तक घोषित कर दिया जा रहा है।

प्रदर्शन स्थल पर दोना पत्तल बनाती ग्रामीण महिलाएं

एक तरफ शहर में ऑक्सीजोन के लिए शहर में जद्दोजहद हो रही है दूसरी तरफ ऑक्सीजोन के एक बड़े केंद्र को समाप्त करने की कवायद चल रही है। संरक्षित वनों की कटाई कराने से प्रशासन भी गुरेज नहीं कर रहा है। यहां यह भी नहीं देखा जा रहा है कि सरकार द्वारा इन्हे पैसा कानून तहत अपनी बात रखने का अधिकार दिया है जिसके तहत ग्रामीणों द्वारा विरोध दर्ज कराया गया है। इसके तहत वनों की कटाई भी पूर्ण रूपेण अवैध और विधि विरुद्ध है।

 

 

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