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कोरिया में पोषण पुनर्वास केंद्र बच्चों के लिए संजीवनी आश्रम..आश्रम…7 माह में 290 बच्चों को मिल चुका है लाभ..

पोषण पुनर्वास केंद्र बच्चों के लिए संजीवनी आश्रम…7 माह में 290 बच्चों को मिल चुका है लाभ..

जिले के पटना गाँव के दो वर्षीय शिव कुमार का वजन केवल7.5 किलो था जो उसकी उम्र की हिसाब बहुत कम था। उसकी सेहत को देखते हुए आगंनवाडी कार्यकर्तासे परामर्श मिलने के बाद शिव कुमार की माँ सावित्री ने उसे पोषण पुनर्वास केंद में भर्ती करवाया|
सावित्री बाई ने बताया:” आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से मिली सलाह पर मैने पोषण पुनर्वास केंद्र में बच्चे को भर्ती कराया जहाँ धीरे धीरे उसके स्वास्थ्य में सुधार होने लगा| हमारा बच्चा अब स्वस्थ है।“
पोषण पुनर्वास केंद्र सुविधा आधारित इकाई है जहा 5 वर्ष से कम व गंभीर रूप से कुपोषित बच्चो जिनमे चिकित्सकीय जटिलताएं हो उन्हें चिकित्सकिय व पोषण सुविधाएं प्रदान की जाती है ।इसके अलावा बच्चो कीमाताओ या अन्य देखभालकर्ताओ को बच्चो के समग्र विकास हेतु आवश्यक देखभाल तथा खानपान सम्बंधित कौशल का प्रशिक्षण दिया जाता है।
कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में पोषण केंद्रों का महत्व बढ़ रहा है| पोषण पुनर्वास केंद्रों के माध्यम से कुपोषित बच्चों की जिंदगी में बहारआ रही हैं। छोटे बच्चे में उम्र के साथ जो चंचलता दिखाई देनी चाहिए वह पोषण पुनर्वास केंद्र में आने पर दिखाई देती है।


सीएमएचओ डां रामेश्वर शर्मा ने बताया वर्तमान में जिले में 4 पोषण पुर्नवास केन्द्र संचालित है।जल्द ही विकासखण्ड सोनहत में भी प्रारंभ किया जायेगा जिसकी मांग राज्य सरकार से की जा चुकी है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी चन्द्रवेश सिसोदिया कहते हैआगनवाडी केन्द्रो में बच्चों के स्वास्थ्य में गुणात्मक सुधार न होने की स्थिति में परिजनों को पोषण पुर्नवास केन्द्रो में बच्चों को ले जाने की सलाह आगनवाडी सहायिका /ध्कार्यकर्ता देते है, जिससे कि बच्चों की सही देखभाल हो सके।
जिला अस्पताल एनआरसी केंद्र परामर्शदात्रीममता सिंह के अनुसार केंद्र में गंभीर कुपोषित बच्चों को लाया जाता है जहाँ पर मिड अपर आर्म सरकम्फ्रेंस (यानी बाजू के ऊपर वाले हिस्से को नापा जाता है)से उसकी ऊंचाई और दोनों पैरों में सूजन देखकर उसका परीक्षण होता है| उसके बाद उसकी भूख की जांच करते है जिसे ऐपेटाइट टेस्ट कहते है |
केंद्र में कुपोषित बच्चों को खास प्रकार का पोषण दियाजाता है जिसे एफ 100 और एफ 75 कहते हैं इसके अलावा खिचड़ी, हलवा, मूंगफली का पाउडर औरदलिया दोनो टाइम, नियमित रूप से दवाएं 15दिन तक डी जाती हैं| इसके बाद बच्चे कावजन लिया जाता है| आवक दर्ज रिकॉर्ड से जब तक 15% अधिक वजन नहीं बढ़ता तब तक उसकी छुट्टी नहीं करते है, ममता सिंह ने बताया|
बच्चे की देखभाल करने वाले किसी एक सदस्य को 150 रुपए प्रतिदिन मजदूरी क्षतिपूर्ति के रूप में 15 दिन तक दिया जाता है ताकि वह बच्चे का अधूरा उपचार न छोड़ दे और उसे काम छोड़ कर अगर उसेकेंद्र में रहना पड़ता है तो उसे आर्थिक नुक्सान न हो|
स्वास्थ्य विभाग द्धारा मिले आकड़ों के अनुसार जिले में अब तक पोषण पुनर्वास केंद्र से स्वास्थ्य विभाग द्धारा मिले आकड़ों के अनुसार अप्रैल 19 से अक्टूबर 19 तक 290 बच्चे लाभ ले चुके हैं जिनका केंद्र के स्टाफ द्धारा समय-समय पर फॉलोअप भी किया जाता है।
विश्व भर में कुपोषण एक गंभीर समस्या है। एनएचएफएस-4 के अनुसार 5 वर्ष से कम उम्र के 49 प्रतिशत बच्चों का वजन अपनी उम्र के हिसाब से कम है।

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