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गर्ल्स कॉलेज में कृषि कॉलेज होने से छात्राओं को भारी परेशानी… दिनभर रहता है असामाजिक तत्वों का जमावड़ा.. एग्रीकल्चर की बन चुकी है बिल्डिंग… को-एजुकेशन से परहेज वाली छात्राओं के सामने बन रही असहज स्थिति… कृषि कॉलेज को हटाने की मांग…

गर्ल्स कॉलेज में कृषि कॉलेज होने से छात्राओं को भारी परेशानी… दिनभर रहता है असामाजिक तत्वों का जमावड़ा.. एग्रीकल्चर की बन चुकी है बिल्डिंग… को-एजुकेशन से परहेज वाली छात्राओं के सामने बन रही असहज स्थिति… कृषि कॉलेज को हटाने की मांग…

 
अनूप बड़ेरिया
 
कोरिया जिला के एक मात्र गर्ल्स कॉलेज नवीन कन्या महाविद्यालय बैकुंठपुर  के ऊपर के भाग को अब एग्रीकल्चर कॉलेज के लिए देने का निर्णय अब काफी सर दर्द भरा साबित हो रहा है। दरअसल अपनी बच्चियों को कोएजुकेशन से दूर रखने के लिए उनके अभिभावकों ने शहर के एकमात्र गर्ल्स कॉलेज में अपनी बच्चियों का एडमिशन कराया था । लेकिन वर्ष 2013 में गर्ल्स कॉलेज के ऊपर का भाग एग्रीकल्चर कॉलेज को दे दिया गया। जिससे अब छात्राओं को भारी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। इस संबंध में एग्रीकल्चर कॉलेज को हटाने के लिए छात्राओं ने प्रिंसिपल को एक आवेदन पत्र भी दिया है। छात्राओं ने बताया कि अब कॉलेज में सभी विषयों की पढ़ाई के लिए पर्याप्त रूम नहीं है, जिससे उन्हें पढ़ाई के लिए काफी समस्या उत्पन्न होती है। अध्ययन रूम ना होने की वजह से छात्राओं को कालेज के बाहर या आंगन में अपनी बारी की प्रतीक्षा करते हुए समय व्यतीत करना पड़ता है।
 इतना ही नहीं एग्रीकल्चर कॉलेज होने की वजह से बाहर के असामाजिक लड़के भी कॉलेज में निरंतर आते रहते हैं और गर्ल्स कॉलेज के रूम में तांका-झांकी करने व शोर-शराबा करने से छात्राओं को परेशानी उठानी पड़ती है। इतना ही नहीं कई बार छात्राओं को छेड़छाड़ जैसी और सहज स्थिति से गुजरना पड़ता है। इन असामाजिक तत्वों द्वारा छात्राओं पर फब्तियां कसना तो आम बात हो गई है। जिला प्रशासन को चाहिए कि इस संबंध में कड़ा निर्णय लेते हुए छात्राओं की परेशानी को शीघ्र दूर करने के संबंध में पहल की जाए।
 
वहीं प्रभारी प्राचार्य अंजना नीलिमा कश्यप ने बताया कि  लगभग 6 वर्ष पूर्व तत्कालीन कलेक्टर द्वारा गर्ल्स कॉलेज के ऊपरी तल में कृषि महाविद्यालय को संचालित करने का आदेश दिया था। गेज नदी के समीप एग्रीकल्चर कॉलेज बंद जाने के बावजूद उसे यहां से शिफ्ट नहीं किया जा रहा है। जिससे हमारी छात्राओं को कई वर्षों से भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

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