शराब की खाली व टूटी बोतले… डिस्पोजल गिलास.. पानी की बोतलें … सिगरेट के पैकेट..मैदान की उड़ती धूल.. अब यही पहचान रह गई है रामानुज मिनी स्टेडियम की…कोई नही है पालनहार…
अनूप बड़ेरिया
कोरिया जिला मुख्यालय बैकुण्ठपुर का इकलौता रामानुज मिनी स्टेडियम ओपन वाइन बार और स्मोकिंग जोन के रूप में तब्दील होता हुआ नजर आ रहा है।
स्टेडियम के अंदर घुसते ही दर्शक दीर्घा की सीढ़ियों और उसके आसपास खाली शराब की बोतलें, टूटे हुए कांच के टुकड़े, खाली डिस्पोजल के पैकेट, खाली पड़ी पानी की बोतलें, सिगरेट के पैकेट और मुंह चिढ़ाते नमकीन के पैकेट ही नजर आते हैं। पहले सांझ ढलते ही रामानुज मिनी स्टेडियम में युवाओं का ग्रुप विभिन्न जगहों पर बैठे हुए शराब खोरी करते हुए नजर आते थे लेकिन अब यह कार्य दिन के उजाले में भी हो रहा है। शायद यही वजह है कि इवनिंग वॉक करने आने वाली महिलाओं की संख्या इस रामानुज मिनी स्टेडियम में लगभग शून्य सी हो गई है। अब तो यदि आप बारीकी से नजर फेरेंगे तो किसी कोने में आपको कंडोम भी नजर आ जाएंगे।
कुछ इसी प्रकार खेल मैदान की भी भारी दुर्दशा हो गई है। मैदान में घास की जगह छोटी-छोटी गिट्टियां एवं रेत ही नजर आती हैं। ऊपर से फर्राटा मारते युवक मैदान में खिलाड़ियों के बीच में ही धूल उड़ाते नजर आ जाएंगे। इस रामानुज मिनी स्टेडियम का कोई माई बाप नहीं होने की वजह से इसकी भारी दुर्दशा हो रही है। शायद लोग भूल चुके हैं इस रामानुज मिनी स्टेडियम में राजेश तक के भी क्रिकेट टूर्नामेंट हो चुके हैं और लोग यह भी भूल चुके हैं इसी मैदान से खेलकर स्टेट और नेशनल लेवल के खिलाड़ी भी निकले हैं।
कहा यह जा सकता है की अभिभावक के ना होने पर लड़का बिगड़ जाता है कुछ इसी प्रकार का हाल आज रामानुज मिनी स्टेडियम का हो गया है।
वादे हैं वादों का क्या:-
लगभग 2 साल पहले इसी मैदान में स्वर्गीय केपी सिंह स्मृति फुटबॉल प्रतियोगिता का आगाज हुआ था। जिसमें तत्कालीन कलेक्टर नरेंद्र दुग्गा ने डीएमएफ मध्य से ₹5 लाख देकर मैदान में ग्रीन ग्रास लगाने की घोषणा की थी। लेकिन वादे हैं वादों का क्या ? इसी प्रकार तत्कालीन एडिशनल एसपी निवेदिता पाल ने भी रामानुज स्टेडियम में नशाखोरी रोकने के लिए रोजाना शाम को पुलिस ग्रस्त कराने की बात कही थी लेकिन वादे हैं वादों का क्या?
तत्कालीन खेल मंत्री ने भी नही दिखाई थी गम्भीरता:-
बैकुण्ठपुर के तत्कालीन विधायक व छत्तीसगढ़ शासन के खेल मंत्री रहे भैया लाल राजवाड़े ने भी शहर के हृदय स्थल में स्थित एकमात्र इस मिनी स्टेडियम को गंभीरता से नहीं लिया..शायद यही वजह है कि चुनावों में इस बार जनता ने भी उन्हें गंभीरता से नहीं लिया।
फिर भी उम्मीद जिंदा है:-
स्थानीय खिलाड़ियों प्रियंक अग्रवाल, रोहित बड़ेरिया, अर्जुन टोप्पो, सिकंदर, रेहान,शौर्य, आर्यन सहित सैकड़ों खिलाड़ियों को अभी भी जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, खेल विभाग व शहर विधायक से उम्मीद है की शायद कोई रामानुज मिनी स्टेडियम की सुध ले ले और यह अम्बिकापुर के गांधी स्टेडियम की तर्ज पर एक शानदार स्टेडियम हो जाए।