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IG डांगी ने कहा अपने कार्य क्षेत्र में चमक दिखाएं युवा…युवाओं के लिए अम्बेडकर द्वारा दिया गया संदेश आज भी प्रासंगिक… कठिन परिश्रम से मिलती है सफलता…

अनूप बड़ेरिया
भारत के संविधान निर्माता डॉक्टर बाबा साहब अम्बेडकर के परिनिर्वाण दिवस पर उन्हें श्रद्धांजलि  अर्पित करते हुए सरगुजा रेंज के संवेदनशील आईजी रतनलाल डांगी ने युवाओं को एक बार सहित प्रेरित करते हुए कहा है कि कठिन परिश्रम से ही सफलता मिलती है। यदि वंचित समाज के दृष्टिकोण से सोचे तो उनके पास बहुत सीमित संसाधन है । उसी के अनुसार इंसान को शुरू में छोटे-छोटे कार्य या जिम्मेदारियां हाथ में लेनी चाहिए और उन्हें सफलतापूर्वक संपन्न करते हुए आगे बढ़ना चाहिए। युवाओं  की शिक्षा ऐसी होनी चाहिए कि सभी छात्र विश्व को प्रभावित कर सके, केवल स्नातक होकर संतुष्ट नहीं हो।
IG डांगी ने कहा कि जब तक आप अपने कार्य क्षेत्र में अपनी चमक नहीं दिखाएंगे तब तक आपको कहीं भी मान्यता नहीं मिलेगी ।समाज में अपना स्थान पाने के लिए आत्मविश्वास प्राप्त करना पड़ेगा । आत्मविश्वास से बड़ी कोई अलौकिक शक्ति नहीं है। बकौल बाबा साहब इंसान सतत और कठिन परिश्रम से बुद्धिमान बनता है। बाबा साहब ने इंग्लैंड में अपनी पढ़ाई सफलतापूर्वक 2 साल 3 महीने की निर्धारित अवधि में कर लिया जबकि सामान्य रूप से इसे पूरा करने में 8 साल लग जाते हैं।।इसके लिए वो दिन रात 15 से 20 घंटे तक पढ़ते थे। किंतु आज के युवक यदि आधे घंटे भी काम कर लेते हैं तो उन्हें विराम की आवश्यकता पड़ती है। सिगरेट पिएंगे या लेट जाएंगे और ध्यान इधर-उधर कर लेंगे। आपका स्वाध्याय व समर्पण बाबा साहब के जैसा होना चाहिए ।
उन्होंने आगे कहा कि सतत कठिन परिश्रम से ही आप सफलता हासिल करेंगे केवल डिग्री हासिल करने से कुछ नहीं होगा। विश्वविद्यालय की डिग्री और बौद्धिकता के बीच कोई संबंध नहीं है । छात्रों को ऐसे महान व्यक्तियों से कुछ सीखना चाहिए और हमेशा ज्यादा से ज्यादा अध्ययन करना चाहिए ।
आईजी रतनलाल डांगी ने बताया कि शिक्षा स्नातक होने से ही पूरी नहीं हो जाती ज्ञान के साथ-साथ उनमें नैतिकता और चरित्र भी होना चाहिए । नैतिकता के बिना ज्ञान अनुपयोगी है। यदि किसी के पास ज्ञान का अस्त्र है और नैतिक गुण संपन्न भी है  तो वह किसी की भी सुरक्षा कर सकता है । लेकिन यदि कोई व्यक्ति चरित्रहीन है तो अपने ज्ञान के अस्त्र से वह दूसरों का विनाश कर सकता है । ज्ञान तलवार की तरह है इसका मूल्य उपयोगकर्ता ही जानता है।नैतिकता और चरित्र शिक्षा से ज्यादा अहमियत रखते हैं। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को प्राथमिक रूप से चरित्रवान होना चाहिए। स्वार्थों को त्याग कर व्यक्तिगत लाभ की अपेक्षा समाज के फायदे पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए।
 IPS रतन लाल डांगी ने आगे कहा कि आत्मसम्मान बनाए रखे क्यूंकि कोई भी पुरुष अपने सम्मान की कीमत पर आभारी नहीं हो सकता, कोई भी औरत अपने पवित्रता की कीमत पर आभारी नहीं हो सकती और कोई भी राष्ट्र अपने स्वतंत्रता की कीमत पर आभारी नहीं हो सकता। आज की पीढ़ी को स्वयं सामने आकर अपनी जिम्मेदारी का वहन करना चाहिए । यदि आप अनुशासन का पालन करते हैं तो बहुत कुछ संभव है, नहीं तो हर कहीं बुरी तरह व्यवस्था नजर आएगी ।
अंत में आईजी ने बताया कि युवाओं को चाहिए कि वो अपने चरित्रों  को मजबूत बनाएं तथा अपने प्रयास से अपना अनुशासन बढ़ाएं और समाज का उत्थान करें। कठिन परिश्रम से ही सफलता मिलती है। इसलिए परिश्रम करते ही रहिए। निश्चित ही आप अपने मुकाम तक पहुचेंगे।

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