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शिक्षक दिवस और बैकुंठपुर..  शिक्षक दिवस पर बिलासपुर कलेक्टर आईएएस डॉ. संजय अलंग की बैकुंठपुर से जुड़ी यादें.. शिक्षक दिवस पर विशेष..

शिक्षक दिवस पर बहुत यादें परदें पर आती-जाती हैं। इस दिन माता जी और पिता जी भी स्वभाविक रूप से याद आते हैं। दोनों शिक्षक थे। वह भी सहज उच्च आदर्शों के साथ। दोनों रिटायरमेंट के बाद भी मेरे साथ ही रहे। अतः भरपूर सानिध्य सुख और मार्गदर्शन का सौभाग्य मिला।
 इसी अनुक्रम में पी.टी.आई. श्री के.पी.सिंह भी याद आते हैं। रामानुज स्कूल और बैकुण्ठपुर उनसे परिचित रहा है। अथक परीश्रमी और प्रेरक। विद्यार्थियों में से उचित खिलाड़ी और उसके लिए उचित खेल का सहज चुनाव कर लेते थे। लगातार परिश्रम कराते। राष्ट्रीय स्तर का खिलाड़ी बनाने हेतु जिस कार्यक्षमता, मेहनत, समर्पण आदि की आवश्यकता है वह सभी करा ले जाते। एक समय ऐसा था कि राष्ट्रीय स्कूल फुटबाल टीम के आधे से अधिक खिलाड़ी हमारे रामानुज स्कूल के होते थे। कई तो कई वर्ष रहे और कप्तान भी हमारे स्कूल से चुना गया। कुछ नाम याद आते हैं। बब्बू (चन्द्र मोहन जुत्सी), संजय (एमिल बरला), अजहर आदि। नए खेल चुन उसमें पूरी टीम को आगे ले जाते। जैसे हैंण्ड़बाल, बेसबाल। नए प्रवर्ग भी चुन बलदाऊ को कुश्ती में आगे ले गए।
अब श्री बिहारीलाल गुप्ता की याद आना भी स्वभाविक है। हालाँकि वह वकील बने, पर शिक्षकीय प्रेरणा उनमें कूट-कूट कर भरी हुई थी। वे प्रतिभावन विद्यार्थियों को सम्मानित करते / कराते। गीता सहित अन्य पुस्तकें सम्मान में दी जातीं।  अजय को अभी भी याद होगा। इस तरह पुस्तक भी सहज दे, पढ़ने की आदत को प्रेरणा दी। बड़ी शिद्दत के साथ लगातार नागपंचमी पर कुश्ती का अयोजन कराया। सामूहिक सहयोग को प्रेरित किया। सभी प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया।
 खेल को लेकर श्री देवेन्द्र गुप्ता का समर्पण भी काबिले गौर था। इसका उल्लेख साहित्य पत्रिका ‘बया’ में प्रकाशित मेरी कविता ‘सुपारीलाल की रामलीला’ में भी आया है, जो कि बाद में दीपक राज़दान ने उन्हें दी भी।
एक आशु कवि थे। वे ऊँट सेठ के नाम से जाने जाते थे। वे मुख से जो भी शब्द उच्चारते वह काफियाबन्दी के साथ कविता में ही होता। किसे ने कभी भी, उनसे, तुकांत कविता के आलावा और कुछ भी नहीं सुना। हालाँकि लोगों को यह कहते सुना कि, वे कभी कभार ही नहाते थे।
उनके पुत्र मत्तू फाग गायन के रूचिवान कलाकार हैं। पता नहीं अब फाल्गुन फाग की बैठकें होती भी हैं या नहीं? तब तो देर रात तक खूब रंग जमता था।
एक पहलवान रामू भी रहे। वे बैलगाड़ी चालक थे। ऐसी देह यष्टी विरले को ही नसीब होती है। बाद में मुझे अनिल जिज्ञासी ने बताया कि, वे अधिक ही बीमार रहे और कृश्काय हो गए थे।
बीमारी पर श्री बी. एल. गुप्ता भी याद आ जाते हैं।
गुरू अनुक्रम में शास्त्री जी, अली सर , श्री सोमधर शर्मा आदि-आदि कई लोगों की याद है।
सभी शिक्षक वृन्द प्रेरणादयी और शिक्षकीय कर्म में निपुण लोग थे।
मुस्तफा मा’साब के मानस गायन पाठ को भी कौन भूल सकता है।
 ‘गु’ का अर्थ अज्ञान, तिमिर और अन्धकार से और ‘रू’ का अर्थ उसे हटा आलोकित करने से है। अर्थात अंधकार को हटाकर प्रकाश की ओर ले जाने वाले को ‘गुरु’ कहा जाता है।
 भारत में गुरू सम्मान गुरू पूर्णिमा को होता था। इसे आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। गुरू की पूजा कर सम्मान किया जाता है। इसे हिन्दू और उससे निकले अन्य धर्मों यथा जैन, भारतीय बौद्ध और सिक्ख मनाते हैं। यह दिन महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास का जन्मदिन भी है। इसी दिवस से चतुर्मास भी प्रारम्भ होता है।
गुरु ब्रह्मा गुरु र्विष्णु: गुरुदेव महेश्वर ।    गुरु साक्षात्परब्रह्म तस्मैश्री गुरुवे नम:।।
 अब विभिन्न देशों में पृथक-पृथक दिनाँकों को शिक्षक दिवस होता है।
भारत में, 1962 से, स्वतंत्र भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति (13 मई’1952-12 मई’1962) और द्वितीय राष्ट्रपति (13 मई’1962-13 मई’1967) सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस 5 सितम्बर को मनाया जाता है। उनका जन्म 1888 में तिरूट्टन्नी (तमिलनाड़ू) में हुआ था। वह प्रख्यात दर्शनिक, शिक्षा शस्त्री और योग्य नेता थे। उन्हें भारत रत्न और नाइटहुड़ भी मिला। वे 40 वर्षों तक शिक्षक रहे। अतः उन्होंने अपना जन्म दिवस शिक्षक दिवस के रूप में ही मनाए जाने की इच्छा प्रगट की थी, जिसका सम्मान किया गया।
      अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक दिवस 5 अक्टूबर को होता है। इसे 1994 से मनाया जाता है।
      चीन में 1931 में नेशनल सेंट्रल यूनिवर्सिटी में शिक्षक दिवस की शुरुआत की गई थी। चीन सरकार ने 1932 में इसे स्वीकृति दी। बाद में 1939 में कन्फ्यूशियस के जन्मदिवस, 27 अगस्त को शिक्षक दिवस घोषित किया गया। लेकिन फिर 1951 में इस घोषणा को वापस ले लिया गया। वर्ष 1985 में 10 सितम्बर को शिक्षक दिवस घोषित किया गया। अब चीन के ज्यादातर लोग फिर से चाहते हैं कि, कन्फ्यूशियस का जन्मदिवस ही शिक्षक दिवस हो।
रूस में 1965 से 1994 तक अक्टूबर महीने के पहले रविवार के दिन शिक्षक दिवस मनाया जाता रहा। वर्ष 1994 से विश्व शिक्षक दिवस पांच अक्टूबर को ही मनाया जाने लगा।
अमेरिका में मई के पहले पूर्ण सप्ताह के मंगलवार को शिक्षक दिवस घोषित किया गया है और वहां सप्ताहभर इसके आयोजन होते हैं।
थाईलैंड में हर साल 16 जनवरी को राष्ट्रीय शिक्षक दिवस मनाया जाता है। यहाँ 21 नवंबर, 1956 को एक प्रस्ताव लाकर शिक्षक दिवस को स्वीकृति दी गई थी। पहला शिक्षक दिवस 1957 में मनाया गया था।
ईरान में वहां के प्रोफेसर अयातुल्लाह मोर्तेजा मोतेहारी की हत्या के बाद उनकी याद में 2 मई को शिक्षक दिवस मनाया जाता है।
तुर्की में 24 नवंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। वहां के पहले राष्ट्रपति कमाल अतातुर्क ने यह घोषणा की थी।
मलेशिया में इसे 16 मई को मनाया जाता है, वहां इस खास दिन को ‘हरि गुरु’ कहते हैं।

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