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आईएएस, आईपीएस के विरुद्ध विभागीय जांच निर्धारित समय मे हो…आरटीआई कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा ने हाईकोर्ट में लगाई थी जनहित याचिका..कोर्ट के निर्देश की अधिकारी कर रहे अवहेलना…

आईएएस, आईपीएस के विरुद्ध विभागीय जांच निर्धारित समय मे हो…आरटीआई कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा ने हाईकोर्ट में लगाई थी जनहित याचिका..कोर्ट के निर्देश की अधिकारी कर रहे अवहेलना…

 
अनूप बड़ेरिया
 

कोरिया जिले के चिरमिरी निवासी आरटीआई कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका प्रस्तुत कर मांग किया था कि प्रदेश के आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों के विरुद्ध कई-कई वर्षों से लंबित विभागीय जांच निर्धारित समय के भीतर पूरा किए जाने का निर्देश दिया जाए। 

 
इस जनहित याचिका में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने 17 जनवरी 2017 को आदेश जारी किया कि अधिकतम 31 दिसंबर 2017 तक सभी अधिकारियों के विरुद्ध विभागीय जांच पूरा किया जाए।

 
छत्तीसगढ़ सरकार के जांच अधिकारियों के द्वारा इस समय अवधि के भीतर संपूर्ण विभागीय जांच पूरा नहीं किया गया। इस संबंध में आरटीआई कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा ने सूचना का अधिकार पर एक आवेदन प्रस्तुत कर गृह पुलिस विभाग से आईपीएस अधिकारियों के विरुद्ध विभागीय जांच की स्थिति से अवगत कराने का अनुरोध किया गया। कोई जानकारी प्राप्त ना होने पर विधि अनुसार गृह विभाग के प्रथम अपीलीय अधिकारी को प्रथम अपील लगाया गया। प्रथम अपील पर भी कोई जानकारी प्राप्त नहीं होने पर आरटीआई कार्यकर्ता ने सूचना आयोग में द्वितीय अपील किया। इस द्वितीय अपील की सुनवाई 3 दिसंबर 2019 को की गई सूचना आयोग के मौखिक आदेश से गृह पुलिस विभाग द्वारा 10 दिसंबर 2019 को आरटीआई कार्यकर्ता को जानकारी प्रदान कर बताया गया कि पुलिस महानिरीक्षक आरके देवांगन के विरुद्ध जांच लंबित है जांच के आरोपों का संक्षिप्त विवरण दिया गया कि 
 
पुलिस अधीक्षक जांजगीर के पद पर पदस्थ होने के दौरान की गई अनियमितताओं के संबंध में थाना बाराद्वार, जिला जांजगीर के रोजनामचा के पृष्ठ फाड़ कर जलवाया गया तथा जब्ती की कार्रवाई के दौरान विभिन्न तिथियों में जप्त सामग्री एवं राशि को भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 27 एवं पुलिस रेगुलेशन विनिमय 421 के विपरीत एक ही  दिनांक 7 फरवरी 1999 को जप्त करा कर साक्ष्य को विकृत एवं अविश्वसनीय बनाया गया तथा दिनांक 5 फरवरी 1999 को बरामद 245000 रुपए को जप्त कराने का कोई प्रयास ना कर साक्ष्य को विलोपित किया गया एवं सहायक उपनिरीक्षक  स्वयंवर सिंह द्वारा लाई गई पेटी कथित रूप से ₹560000 उप निरीक्षक सुश्री साधना सिंह द्वारा बरामद रुपए 50000 सहित सभी जप्ती को  नरेंद्र मिश्रा द्वारा किया जाना दर्शाया गया तथा नरेंद्र मिश्रा द्वारा बरामद 245000 की जब्ती सुनिश्चित नहीं की गई इस प्रकार सहायक उपनिरीक्षक  स्वयंवर सिंह द्वारा आरोपी  मोतीराम की बहन के घर से बरामद ताला लगी पेटी को  देवांगन द्वारा बरामदकर्ता को वहां से हटाकर अकेले बंद कमरे में पेटी को खोल कर स्वयं गिन कर बाद में उस पेटी में 560000 होना नियम विरुद्ध घोषित किया गया की जांच चल रही है।
 जो अब तक लंबित है।
 
इसी प्रकार आईपीएस अधिकारी एएम जूरी के विरुद्ध आरोप के संबंध में लेख किया गया है कि पत्नी के रहते हुए दूसरी औरत को अवैध रूप से रखने के संबंध में भी जांच लंबित है।
 
 आईपीएस मयंक श्रीवास्तव के विरुद्ध आरोप के संबंध में बताया गया कि पुलिस अधीक्षक जिला बस्तर के पद पर पदस्थ अवधि के दौरान कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा की जानकारी होते हुए श्री श्रीवास्तव द्वारा लापरवाही बरतते हुए यात्रा के दौरान पर्याप्त बल ना लगाकर उक्त अवधि में नारायणपुर एवं बीजापुर हेतु बल भेजकर परिवर्तन यात्रा की सुरक्षा में चूक की गई। इस प्रकार श्री मयंक श्रीवास्तव भारतीय पुलिस सेवा ने कर्तव्यनिष्ठ रहने और सर्वोत्तम विवेक से कार्य न करने के कारण अखिल भारतीय सेवा आचरण नियम 1968 के नियम 31 तथा नियम 21 का उल्लंघन किया गया है इनके विरुद्ध भी विभागीय जांच लंबित है।

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