आकर्षित कर रहे मैनपाट के तिब्बतियों के बनाए कालीन और कंबल : छत्तीसगढ़ भवन में हैंडलूम और हस्तशिल्प प्रदर्शनी का आयोजन
आकर्षित कर रहे मैनपाट के तिब्बतियों के बनाए कालीन और कंबल : छत्तीसगढ़ भवन में हैंडलूम और हस्तशिल्प प्रदर्शनी का आयोजन
बेलमेटल से लेकर सिल्क कोसे की दिख रही वेराइटी
छत्तीसगढ़ शासन के एक वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में नई दिल्ली स्थित छत्तीसगढ़ भवन में सोमवार से प्रदेश की हाथकरघा और हस्तशिल्प उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई गयी है। प्रदर्शनी में बेलमेटल से लेकर सिल्क कोसे की रेडीमेड कपड़ों की वेराइटी देखने को मिल रही है। इसके साथ ही मैनपाट के तिब्बतियों द्वारा तैयार किए गए कंबल और कालीन भी प्रदर्शनी में उपलब्ध हैं, जो कि लोगों को खासा आकर्षित कर रहा है। यहाँ प्रदेश के बुनकर रेडीमेड कपड़ों में सिल्क कोसे की ब्लाउज, शर्ट, कुर्ते-कुर्तियां, जैकेट, साडि़याँ आदि लेकर पहुंचे हैं। इन कपड़ों में छत्तीसगढ़ की कला और संस्कृति की झलक देखने को मिल रही है।
देश की राजधानी दिल्ली में छत्तीसगढ़ की हाथकरघा और हस्तशिल्प उत्पादों की खासा मांग देखने को मिलती है, इसे देखते हुये ही छत्तीसगढ़ भवन में समय-समय पर प्रदर्शनी का आयोजन किया जाता है। इस बार 16 से 25 दिसम्बर तक प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है, जिसे लेकर ग्राहकों में खासा उत्साह है। प्रदर्शनी में कोसे की ड्रेस मटेरियल, हैंडलूम फेब्रिक, प्राकृतिक रंगों से तैयार कपड़े उपलब्ध हैं, वहीं सिल्क की साडि़याँ यहाँ आपको कई रंगों में मिल जाएगी। इन साडि़यों में आदिवासी संस्कृति की झलक दिख रही है। इनमें खापा टैम्पल, जाला बूटा आदि विभिन्न वेराइटी की साडि़याँ उपलब्ध हैं।
वहीं प्रदर्शनी में छत्तीसगढ़ की बेजोड़ धातु शिल्पकला की झलक देखने को मिल रही है। प्रदेश की बेलमेटल से मूर्तियाँ बनाने की कला उत्कृष्ट है। ग्रामीण शिल्पियों की इन कलाकृतियों को लेकर लोगों में खासा उत्साह रहता है। इन कलाकृतियों में सर्वाधिक आदिवासी जीवनशैली और संस्कृति से संबंधित, वन्यजीव, देवी देवताओं की मूर्तियाँ आकर्षण का केंद्र रहती है। पूजा कक्ष हो या स्वागत कक्ष हर जगह इन मूर्तियों को रखा जा सकता है। वहीं, ये कलाकृतियाँ आदिवासी मान्यताएँ और परंपराओं से भी जुड़ी हुईं हैं। इसके अलावा प्रदर्शनी में टेराकोटा के बर्तन भी उपलब्ध हैं।