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जन्म के वक्त बच्ची का वजन ढाई किलो का था। 6 माह की उम्र होने के बावजूद उसका वजन 3 किलो से आगे नहीं बढ़ा। परिजन उसे जालंधर के अपोलो हॉस्पिटल ले गए, जहां 36 दिन इलाज चला। हार्ट फेलियर की आशंका के बाद उसे पीजीआई रेफर कर दिया। एम्बुलेंस से 9 अप्रैल को उसे लेकर पीजीआई आया। यहां उसके दिल में छेद होने का पता चला और सर्जरी की सलाह दी गई,
लेकिन सर्जरी से पहले वह संक्रमित हो गई। बच्ची में बुखार के लक्षण नहीं थे, लेकिन शरीर के अंगों ने रिस्पॉन्स देना बंद कर दिया था। फगवाड़ा की रहने वाली इस बच्ची को मंगलवार को कोरोना संक्रमित पाया गया था।
मां और पिता कोरोना पॉजिटिव नहीं
वेंटिलेटर पर रखी गई बच्ची को मां देखने जाती थी। बच्ची के पिता रामू और उसकी मां दोनों के कोरोना टेस्ट लिए गए। किसी की रिपोर्ट पॉजिटिव नहीं है। नानी और नाना का भी टेस्ट हुआ। उनमें भी संक्रमण नहीं पाया गया। सवाल उठ रहा है कि आखिर बच्ची को कोरोना हुआ कैसे?आभार-दैनिकभास्कर