फरवरी 2020, जो गंवा दिया गया…मत कहिये कि किसे पता था कि ऐसा हो जाएगा.. ! पता तो था !! पता होना चाहिए था।। सरकार को पता होना चाहिए था। दूरदर्शी नेतृत्व को पता होना चाहिए था…
फरवरी 2020, जो गंवा दिया गया।
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कहते है अगर एक घण्टे देर से जागो.. तो पूरा दिन भागकर वह एक घण्टा खोजते हुए गुजरेगा। फरवरी वो महीना था, जिसे गंवा दिया गया। अब हम आने वाले दशक हम इस खोई हुई फरवरी को खोजते रहेंगे।
फरवरी तक करोना की कहानियां, मौतें, खबरें आम हो चुकी थी। काश, हमने सिर्फ एयरपोर्ट लॉकडाउन कर दिए होते, आज भारत लॉकडाउन न होता। तब भारत लौटते भारतीयों को विशेष विमानों में बन्द कर लाया जाता, आज हजारों मजदूर खुले में पैदल न चल रहे होते। उन कुछ हजार हवाई यात्रियों को 15 दिन आईसोलेशन में बाद कस्टडी से छोड़ा जाता, आज पूरा देश कस्टडी में न होता।
मत कहिये कि किसे पता था कि ऐसा हो जाएगा.. ! पता तो था !! पता होना चाहिए था।। सरकार को पता होना चाहिए था। दूरदर्शी नेतृत्व को पता होना चाहिए था।
महामानव को पता होना चाहिए था।
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और एक बात, हस्पतालो और स्वास्थ्य सुविधाओं के हालात के मद्देनजर सोचिये, कि क्या हमने महज 2020 की फरवरी गंवाई है???यह कहना कि, इटली और अमेरिका जैसे देश भी हत्प्राण हैं, तो हमारी क्या बिसात??? क्यो नही यह कह सकते कि इटली अमरीका से भी बेहतर तैयारियां हमारी रही हैं।
मगर सन्तोष कीजिये, अमरीका में दस दिन लॉकडॉउन है। हमने 21 दिन का कर दिखाया। हमारी कोशिश ज्यादा तगड़ी है। अजी, हम ठलहे लोग तो 6 महीने भी कर सकते हैं।
क्योकि जीवन के बुनियादी मसलों से हमारा छह साल से लॉकडाउन है। करोना जब चला जायेगा, उंसके बाद हम ऐसा ऊंचा मंदिर बनाएं जो काबे से भी दिखाई दे।
मनीष सिंह की फेसबुक वॉल से
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